IIT Baba: हरियाणा के रहने वाले अभय सिंह ने आईआईटी मुंबई से इंजीनियरिंग की डिग्री पूरी की. अपनी शिक्षा के दौरान उनकी रुचि दर्शनशास्त्र में हो गई और उन्होंने प्लेटो, सुकरात के कार्यों का अध्ययन करना शुरू कर दिया.
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Maha Kumbh 2025: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में हर 12 साल में आयोजित होने वाला महाकुंभ मेला दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक मेला है, जिसमें देश भर के साथ-साथ दुनिया भर से करोड़ों श्रद्धालु शामिल होते हैं. 13 जनवरी से शुरू हुए इस साल के महाकुंभ मेले में दुनिया भर से श्रद्धालु भी शामिल हुए हैं. इसमें आईआईटी मुंबई के एयरोस्पेस इंजीनियर अभय सिंह भी शामिल हैं, जिन्होंने अपना करियर वैज्ञानिक करियर से आध्यात्मिक करियर की ओर मोड़ लिया है.
कौन हैं आईआईटी बाबा अभय सिंह?
हरियाणा के रहने वाले अभय सिंह ने आईआईटी मुंबई से इंजीनियरिंग में स्नातक किया. अपनी शिक्षा के दौरान उनकी रुचि दर्शनशास्त्र में हो गई और उन्होंने प्लेटो, सुकरात के कार्यों का अध्ययन करना शुरू कर दिया. आगे उन्होंने आधुनिकता की खोज करते हुए जीवन को गहराई से समझने का प्रयास किया.
अपनी इंजीनियरिंग की शिक्षा पूरी करने के बाद, अभय सिंह ने डिजाइन में मास्टर डिग्री हासिल की और फोटोग्राफी के माध्यम से अपने शौक को भी पूरा किया. अपनी मजबूत शैक्षणिक और कलात्मक उपलब्धियों के बावजूद, उन्हें एहसास हुआ कि उनकी सच्ची पुकार आध्यात्मिकता थी.
जीवन का सर्वोत्तम चरण
मीडिया के साथ एक साक्षात्कार में, अभय सिंह ने कहा कि उनकी आंतरिक खोज ने उन्हें अपना वैज्ञानिक करियर छोड़कर एक भिक्षु का जीवन अपनाने के लिए प्रेरित किया. महाकुंभ मेला 2025 में अभय सिंह, जिन्हें 'मसानी गोरख' के नाम से भी जाना जाता है. इस सफर के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा, ''यह दौर जिंदगी का सबसे अच्छा दौर है.''
पत्रकारों के साथ धाराप्रवाह अंग्रेजी में संवाद करने की उनकी क्षमता को देखकर, महाकुंभ मेले में उनके प्रति काफी रुचि जगी है. वे सोशल मीडिया पर लगातार एक्टिव रहते हैं. इंस्टाग्राम पर उनके करीब 93 हजार फॉलोअर्स हैं. उनके पोस्ट मुख्य रूप से ध्यान, योग और आध्यात्मिकता के बारे में हैं. महाकुंभ मेले में अपने अनुभव के बारे में बात करते हुए सिंह ने कहा, "यहां आकर मानसिक शांति मिली है."
144 साल बाद महाकुंभ मेला
इस साल का महाकुंभ मेला खास है क्योंकि यह 144 साल बाद आयोजित हो रहा है. कुंभ मेला हर 12 साल में आयोजित किया जाता है, लेकिन महाकुंभ मेला 12 कुंभ मेलों (12x12=144 वर्ष) के बाद आयोजित किया जाता है. महाकुंभ का सबसे खास आकर्षण शाही स्नान होता है, जो विशेष ग्रह स्थितियों में होता है. इस दौरान लाखों श्रद्धालु त्रिवेणी संगम में स्नान करते हैं और पापों से मुक्ति के लिए प्रार्थना करते हैं. महाकुंभ न केवल एक आध्यात्मिक आयोजन है बल्कि यह समाज के विभिन्न वर्गों को एक साथ लाने का भी काम करता है. यहां विभिन्न संत, महात्मा और साधु एकत्रित होकर चिंतन और मनन करते हैं, जिससे सामाजिक और सांस्कृतिक सद्भाव साझा होता है.