भगवान हनुमान और नर्मदा नदी के प्रति समर्पित Siyaram Baba का 95 वर्ष की आयु में निधन, उनके जीवन के बारे में जानें
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भगवान हनुमान और नर्मदा नदी के प्रति समर्पित Siyaram Baba का 95 वर्ष की आयु में निधन, उनके जीवन के बारे में जानें

आदरणीय आध्यात्मिक गुरु सियाराम बाबा का मोक्षदा एकादशी और गीता जयंती के दिन 95 वर्ष की आयु में निधन हो गया.

 

भगवान हनुमान और नर्मदा नदी के प्रति समर्पित Siyaram Baba का 95 वर्ष की आयु में निधन, उनके जीवन के बारे में जानें

Siyaram Baba Passed Away: भगवान हनुमान और नर्मदा नदी के प्रति अपनी भक्ति के लिए जाने जाने वाले एक प्रतिष्ठित आध्यात्मिक व्यक्ति सियाराम बाबा का बुधवार को 95 वर्ष की आयु में निधन हो गया. उनका निधन मोक्षदा एकादशी और गीता जयंती के शुभ दिन हुआ, जिससे देश भर में उनके भक्तों में शोक की लहर दौड़ गई.

सियाराम बाबा के अंतिम क्षण और अंतिम संस्कार की व्यवस्था 
सियाराम बाबा ने नर्मदा नदी के किनारे स्थित भट्टायन बुजुर्ग में अपने आश्रम में सुबह 6:10 बजे अंतिम सांस ली. वे पिछले दस दिनों से निमोनिया से जूझ रहे थे और उन्होंने शुरू में सनावद के एक निजी अस्पताल में इलाज करवाया था. हालांकि, आध्यात्मिक नेता ने अपने आश्रम लौटने पर जोर दिया, जहां उन्हें जिला अस्पताल के डॉक्टरों ने उपचार दिया. उनका अंतिम संस्कार शाम 4:00 बजे उनके आश्रम के पास होगा, जिसमें हजारों भक्तों के शामिल होने की उम्मीद है.

सियाराम बाबा का प्रारंभिक जीवन और आध्यात्मिक यात्रा 
1933 में भावनगर, गुजरात में जन्मे सियाराम बाबा ने 17 वर्ष की आयु में ही आध्यात्मिक पथ पर कदम रख दिया था. अपने गुरु से शिक्षा ग्रहण करने और विभिन्न तीर्थ स्थलों की यात्रा करने के बाद वे 1962 में भट्टायन पहुंचे. वहां उन्होंने एक पेड़ के नीचे गहन साधना की और अंततः "सियाराम" के जाप के साथ अपना मौन तोड़ा, जो उनकी आध्यात्मिक पहचान बन गई.

सादगी और सेवा की विरासत 
बाबा का दैनिक जीवन पूजा और निस्वार्थ सेवा पर केंद्रित था. वे भगवान राम और नर्मदा नदी के प्रति अपनी भक्ति के लिए जाने जाते थे, वे प्रतिदिन रामायण का पाठ करते थे और आगंतुकों को प्रसाद के रूप में चाय देते थे. अपने आध्यात्मिक कद के बावजूद, उन्होंने एक विनम्र जीवन व्यतीत किया, ग्रामीणों से भोजन दान स्वीकार किया और अपने लिए केवल एक छोटा हिस्सा लेने के बाद इसे जानवरों और पक्षियों में बांट दिया. 

भक्तों ने अर्पित की श्रद्धांजलि 
बाबा के निधन की खबर सुनकर उनके आश्रम में बड़ी संख्या में लोग उमड़ पड़े हैं, जहां भक्तगण उन्हें अंतिम श्रद्धांजलि देने के लिए एकत्रित हो रहे हैं. भक्ति, सादगी और सेवा से भरपूर उनके जीवन ने अनगिनत अनुयायियों पर अमिट छाप छोड़ी है.

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