Holi 2023 Panchang: आज से हुई हिंदू नववर्ष की शुरुआत, जानें क्या है होली का पंचाग?
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Holi 2023 Panchang: आज से हुई हिंदू नववर्ष की शुरुआत, जानें क्या है होली का पंचाग?

Holi Panchang: हिंदू पचांग को वैदिक पंचांग भी कहा जाता है. पंचांग के माध्यम से ही काल व समय की गणना की जाती है. हिंदू कैलेंडर के हिसाब से एक माह में तीस तिथियां होती हैं, जो दो पक्षों में विभाजित होती हैं. ऐसे में यहां जानें होली का पंचाग? 

 

Holi 2023 Panchang: आज से हुई हिंदू नववर्ष की शुरुआत, जानें क्या है होली का पंचाग?

Aaj ka Panchang 8 March 2023: आज 8 मार्च को दिन बुधवार है. आज का पंचाग खास है. आज चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि है. रंगों की होली के साथ आज से चैत्र मास की शुरुआत हो गई है. आज हिंदू नववर्ष की शुरुआत भी हुई है. ऐसे में जानें क्या है आज का शुभ मुहूर्त, समय और राहुकाल?

आज की तिथि: प्रतिपदा 
आज का वार: बुधवार
आज का पक्ष: कृष्ण
आज का करण: बालव
आज का नक्षत्र: उत्तरा फाल्गुनी
आज का योग: शूल 
आज का त्योहार: धुलंडी/रंगों की होली

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दुष्ट मुहूर्त-               11:37 से 12:56 तक रहेगा. 
कुलिक-                 1:29 से 3:19 तक रहेगा. 
कंटक-                   5:43 से 7:12 तक रहेगा. 
यमघण्ट-                 3:11 से 4:45 तक रहेगा. 
राहुकाल-                2:23 से 4:38तक रहेगा. 
यमगंड-                  11:54 से 1:29 तक रहेगा.
गुलिक काल-           7:45 से 9:13 तक रहेगा. 

यह है होलिका दहन का शुभ मुहूर्त
इस साल होलिका दहन 7 मार्च यानी आज किया जाना है. इसके लिए शुभ मुहूर्त 2 घंटे 34 मिनट रहेगा. आप शाम 6 बजकर 48 मिनट से रात 9 बजकर 10 मिनट होलिका दहन कर सकते हैं.  

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क्या होता है पंचांग? 
सरल भाषा में कहा जाए तो पंचांग महीने की तीस तिथियों से और पांच अंगों से मिलकर बनता है, लेकिन इसमें सबसे महत्वपूर्ण होते हैं पांच अंग वार, योग, तिथि, नक्षत्र और करण. वैसे तो कैलेंडर के हिसाब से किसी महीने में 31 दिन होते हैं तो किसी महीने में 30, लेकिन अगर हम हिंदी कैलेंडर की बात करें तो इसके हिसाब हर माह में 30 दिन ही होते हैं, जिन्हें हम तिथि बोलते हैं. 

ये तिथियां दो पक्षों में विभाजित होती हैं. जो कि 15-15 दिन के होते हैं. इनमें से एक पक्ष को शुक्ल और एक पक्ष को कृष्ण कहा जाता है. हिंदू कैलेंडर के हिसाब से इन तिथियों को प्रतिप्रदा, द्वितीय, तृतीय, चतुर्थी, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रियोदशी और एक पक्ष की आखिरी तिथि को अमावस्या और दूसरे पक्ष की अंतिम तिथि को पूर्णिमा कहा जाता है. पंचांग इन्हीं सब के आधार पर पंचांग बनता है. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. जी न्यूज इसकी पुष्टि नहीं करता.)

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