Himachal Pradesh: गुरु का लाहौर में दो दिवसीय बसंत पंचमी मेले का हुआ आयोजन, जानें क्या है मान्यता
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Himachal Pradesh: गुरु का लाहौर में दो दिवसीय बसंत पंचमी मेले का हुआ आयोजन, जानें क्या है मान्यता

Basant Panchami fair: जिला बिलासपुर के गुरु का लाहौर में बसंत पंचमी का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है. यहां दो दिवसीय बसंत पंचमी मेले का आयोजन किया गया है. गुरुद्वारा साहब में दर्शनों के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ देखने को मिल रही है. जिला प्रशासन ने मेले के दौरान सुरक्षा के पुख्ता बंदोबस्त किए हुए हैं.

Himachal Pradesh: गुरु का लाहौर में दो दिवसीय बसंत पंचमी मेले का हुआ आयोजन, जानें क्या है मान्यता

विजय भारद्वाज/बिलासपुर: हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिला में स्थित गुरु का लाहौर में दो दिवसीय बसंत पंचमी मेला बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है. मेले के पहले दिन गुरुद्वारा साहब में दर्शनों के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ लगी रही. वहीं हिमाचल सरकार के दिशा-निर्देशों पर जिला और पुलिस प्रशासन द्वारा मेले में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. इस बसंत पंचमी मेला में पंजाब, हिमाचल, हरियाणा दिल्ली और अन्य प्रदेशों से हजारों की संख्या में श्रद्धालु दर्शनों के लिए पहुंचने लगे हैं. 

हर साल लगता है बसंत पंचमी मेला
गौरतलब है कि दशमेश गुरु गोविंद सिंह के विवाह उत्सव के उपलक्ष्य पर हर साल बसंत पंचमी मेले का आयोजन किया जाता है. गुरुद्वारा सेहरा साहब से गुरु महाराज की बारात शोभायात्रा के रूप में पंच प्यारों की अगुवाई में निकाली जाती है और फिर यह बारात गुरु का लाहौर में पहुंचती है. जहां गुरु महाराज के लावां यानी फेरे किए जाते हैं. 

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बिलासपुर के बस्सी क्षेत्र में है गुरु का लाहौर और गुरुद्वारा सेहरा साहब
बता दें, गुरुद्वारा सेहरा साहब वह स्थान है जहां गुरु महाराज की सेहरा बंदी हुई थी और गुरु का लाहौर वह स्थान है जहां गुरु महाराज के लावां फेरे हुए थे. ये दोनों स्थान जिला बिलासपुर के बस्सी क्षेत्र में हैं. कहा जाता है कि जब पाकिस्तान के लाहौर में हालात ठीक नहीं थे तब गुरु गोविंद सिंह ने माता जीत कौर के मायके वालों को यहीं बुला लिया था और यहां जिला बिलासपुर के गुरु का लाहौर में विधिवत रूप से सिखों के दसवें गुरु गुरु गोविंद सिंह जी का विवाह उत्सव धूमधाम से संपन्न हुआ. 

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खड़ानाला था पहले इस जगह का नाम 
हालांकि इस गांव का नाम पहले खड़ानाला था, लेकिन बाद में इसे गुरु का लाहौर के नाम से जाना जाने लगा. गुरु गोविंद सिंह जी महाराज ने इसका नामकरण किया और बसंत पंचमी के उपलक्ष्य पर हर वर्ष गुरु गोविंद सिंह का विवाह उत्सव यहां धूमधाम से मनाया जाने लगा. इस दिन यहां भंडारे का आयोजन किया जाता है. इसके साथ ही मिठाइयां भी बांटी जाती हैं और आतिशबाजी भी की जाती है. गुरु महाराज के इस धार्मिक स्थल पर श्रद्धालुओं की अपार आस्था भी देखी जाती है. 

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