धर्मशाला में सुक्खू सरकार के विरुद्ध सड़कों पर उतरे मजदूर, केंद्र सरकार के खिलाफ भी की नारेबाजी
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धर्मशाला में सुक्खू सरकार के विरुद्ध सड़कों पर उतरे मजदूर, केंद्र सरकार के खिलाफ भी की नारेबाजी

Dharamshala News in Hindi: बुधवार को धर्मशाला में केंद्र व राज्य सरकार के खिलाफ संयुक्त ट्रेड यूनियन संघर्ष समिति के बैनर तले मजदूरों ने जोरदार नारेबाजी और प्रदर्शन किया. 

धर्मशाला में सुक्खू सरकार के विरुद्ध सड़कों पर उतरे मजदूर, केंद्र सरकार के खिलाफ भी की नारेबाजी

Dharamshala News: हिमाचल प्रदेश संयुक्त ट्रेड यूनियन संघर्ष समिति के बैनर तले बुधवार को धर्मशाला में केंद्र व राज्य सरकार के खिलाफ रोष रैली निकाल जोरदार धरना प्रदर्शन किया गया. इसके साथ ही अब मांगों पर विचार न होने पर राजधानी शिमला, उपमंडलों सहित लोक सभा चुनावों में परिणाम भुगतने का ऐलान किया है. 

ट्रेड यूनियन कोऑर्डिनेशन सेंटर के प्रदेश अध्यक्ष प्रेमचंद चौधरी, राज्य महासचिव रविंद्र सिंह रवि, इंटक के ज़िला अध्यक्ष संजय सैनी की अगुवाई में बुधवार को धर्मशाला में सैंकड़ो निर्माण श्रमिकों ने बस स्टैंड से लेकर डीसी कार्यालय तक रोष मार्च किया. 

सीटू महासचिव कांगड़ा, अशोक कटोच ने कहा है कि भारत सरकार ने 50 दिन काम करने वाले मनरेगा मजदूरों का निर्माण कामगार कल्याण बोर्ड में बतौर लाभार्थी पंजीकरण बंद कर दिया, लेकिन प्रदेश में कांग्रेस सरकार ने आते ही सभी निर्माण मजदूरों का ही पंजिकरण बंद कर दिया. जो 5 लाख मजदूर पंजीकृत हैं, उनको योजना का लाभ बंद कर दिया. 

एक लाख 31,000 क्लेम बोर्ड के पास 3 वर्ष से लंबित हैं और उन्हें नष्ट किया जा रहा है. बोर्ड अपनी आए से चलता है कि लेबर सेस एक्ट से फंड आता है और सीधा बोर्ड के खाते में जमा होता है. आज बोर्ड के पास 700 करोड़ से भी अधिक फंड पड़ा होने के बाबजूद गरीब मजदूरों को उनके कानूनी अधिकार नहीं दिए जा रहें. 

भवन या अन्य निर्माण कामगार कानून का उलंघन हो रहा है. बोर्ड के सचिव और अन्य अधिकारियों को कानून की कोई जानकारी नहीं है.  लॉ डिपार्टमैट की सलहा नहीं मानी जा रही है. सुप्रीम कोर्ट तक के आदेशों का उलंघन हो रहा है. बोर्ड में पड़ा मज़दूरों का धन पिछली सरकार ने अपने निजी हितों पर खर्च किया. 

अब ये सरकार भी श्रमिक फंड को अपनी एडवर्टिसमेंट पर खर्च कर रही है. अधिकारी बोर्ड की गाड़ियों में घूम रहे हैं. बोर्ड के अधिकारी मौज मस्ती में लगे हुए हैं, लेकिन कानूनन जो 95 प्रतिशत फंड निर्माण कामगारों पर खर्च होना था, वो फजूल खर्च हो रहा है. ऐसे में इस रोष मार्च के बाद मुख्यमंत्री को डीसी के माध्यम से ज्ञापन सौंपा गया है. 

रिपोर्ट- विपिन कुमार, धर्मशाला 

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