Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल और सुक्खू सरकार में बागवानी व राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी एक बार फिर आमने-सामने हो गए हैं. मंत्री के इस बयान पर राज्यपाल ने शुक्रवार को पलटवार किया. उन्होंने कहा कि राजभवन किसी के चुनावी वादों को पूरा करने के लिए नहीं है.
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समीक्षा राणा/शिमला: हिमाचल सरकार में मंत्री जगत सिंह नेगी ने राज्यपाल के नौतोड़ संबंधी मंत्रिमंडल के प्रस्ताव को मंजूरी ना देने पर उनके खिलाफ सड़कों पर उतरने की बात कही थी. राज्यपाल ने कहा कि इस संबंध में राजभवन ने सरकार से लाभार्थियों की सूची मांगी थी. उन्होंने कहा कि राजभवन ने सरकार से पूछा है कि नौतोड़ के तहत कितने लोगों के आवेदन आए हैं, उनके नाम क्या हैं, उसकी सूची दिखाएं, जिसे सरकार उपलब्ध नहीं करवा पाई है, जिसके कारण राज्यपाल इसे मंजूरी नहीं दे रहे हैं.
राज्यपाल ने दोटूक शब्दों में जवाब देते हुए कहा कि राजभवन किसी के चुनावी वादों को पूरा करने के लिए नहीं है. राज्यपाल ने मंत्री पर तंज कसते हुए कहा कि वह सरकार के माननीय मंत्री हैं. राजभवन ने उन्हें शपथ दिलाई है. यहां उनका स्वागत है. हम उनका सम्मान करते हैं. वो भले ही राजभवन का अनादर करें, जिसके बाद सरकार व राजभवन में नौतोड़ संशोधन विधेयक की स्वीकृति पर तकरार बढ़ गई है.
मंत्री जगत सिंह नेगी ने एक साक्षात्कार के दौरान कहा था कि इस संबंध में राज्यपाल से 5 बार मुलाकात की गई है. पक्ष और विपक्ष के विधायकों के साथ-साथ जनजातीय सलाहकार परिषद के सदस्यों और पंचायत प्रतिनिधियों ने भी राज्यपाल से मुलाकात की है. इसके अलावा राज्यपाल जब किन्नौर दौरे पर थे तो उस दौरान भी प्रतिनिधिमंडलों ने मुलाकात कर इस प्रस्ताव को मंजूरी देने की गुहार लगाई है.
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नेगी ने कहा कि राज्यपाल इस प्रस्ताव को मंजूरी देने से इनकार नहीं कर रहे हैं, लेकिन मंजूरी दे भी नहीं रहे हैं. उन्होंने जो क्वेरी लगाई गई थी, उसे एड्रेस कर दिया गया है. अब मंजूरी न देने के पीछे कारण क्या है ये समझ से परे है. मंत्री ने साफ शब्दों में कहा कि अब एक बार फिर कोशिश की जाएगी.
राज्यपाल से मुलाकात कर फिर से आग्रह किया जाएगा कि वह इस प्रस्ताव को मंजूरी दें ताकि जनजातीय क्षेत्रों में लोगों को लाभ मिल सके, लेकिन अगर फिर भी उनसे मंजूरी नहीं मिलती है तो संविधान में दिए गए अधिकार के मुताबिक शांतिपूर्ण विरोध का इस्तेमाल करेंगे और जरूरत पड़ी तो जनमानस के साथ सड़कों पर भी उतरेंगे.
राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी का कहना है कि प्रदेश के जनजातीय क्षेत्रों, जिनमें किन्नौर, लाहौल-स्पीती और पांगी-भरमौर का इलाका है. यहां से करीब 20 हजार आवेदन जमीन के लिए आए हैं. इन आवेदनों में कुछ प्रोसेस हो चुके हैं और कुछ की प्रकिया जारी है. जगत सिंह नेगी ने कहा कि जनजातीय क्षेत्रों में फोरेस्ट कंजरवेशन एक्ट को सस्पेंड करने की शक्ति राज्यपाल के पास ही है. इससे तीन बार कैबिनेट के प्रस्ताव को मंजूरी दी चुकी है.
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साल 2014 में राज्यपाल ने सबसे पहले अपनी शक्ति का प्रयोग किया था, जिसके तहत इस कानून को 2016 तक सस्पेंड किया गया था. दूसरी बार इसे 2017 में बढ़ाया गया, जिसके चलते ज्वाइंट इन्सपेक्शन होने के बाद काफी लोगों को नौतोड़ के तहत जमीन मिली है. साल 2017 के बाद किन्नौर में लंबे आंदोलन के बाद तत्कालीन जय राम सरकार ने इसे बढ़ाया था.
जय राम सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि जय राम सरकार के समय मात्र एक व्यक्ति को ही नौतोड़ दिया गया था. जनजातीय लोगों के साथ उस समय की भाजपा सरकार ने अन्याय किया. उन्होंने कहा कि काफी इलाका अंतर्राष्ट्रीय बॉर्डर के पास भी है. ऐसे में वहां से पलायन रोकने के साथ-साथ लोगों की आय को बढ़ाने के लिए जमीन देना जरूरी है.
बता दें, नौतोड़ नियम के तहत जनजातीय क्षेत्र के ऐसे लोगों को भूमि देने का प्रस्ताव है, जिनके पास 20 बीघा से कम जमीन है. राज्यपाल के संविधान के अनुच्छेद 5 के तहत शक्तियां हैं कि वो केंद्र सरकार वन संरक्षण अधिनियम, 1980 को संशोधित या सस्पेंड कर सकते हैं. प्रदेश में इससे पहले तीन बार राज्यपालों ने अपनी इस शक्ति का प्रयोग किया है, जिससे पात्र लाभार्थियों को जमीनें दी गई हैं. सुक्खू सरकार के सत्ता में आने के बाद साल 2023 में मंत्रिमंडल ने इससे संबंधित प्रस्ताव को पारित कर मंजूरी के लिए राज्यपाल को भेजा था, लेकिन अब तक इसे राजभवन से मंजूरी नहीं मिली है.
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