Himachal Pradesh News: रामपुर में आई बाढ़ ने कई जिंदगियां बर्बाद कर दीं. इस बाढ़ में कई लोगों की जान चली गई जबकि कई लोग लापता हो गए. इस बीच एक डॉग का मालिक भी बाढ़ में बह गया, जिसे ये कुत्ता बार-बार ढ़ूढ रहा है.
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बिशेषर नेगी/रामपुर: हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल श्रीखंड महादेव की चोटी के पास 31 जुलाई व एक अगस्त की देर रात बादल फटे. उसके बाद कुल्लू जिला के निरमंड उपमंडल और शिमला जिला के रामपुर उपमंडल क्षेत्र के अंतर्गत बहने वाली गानवी, समेज और कुर्पन खड्ड में भयंकर बाढ़ आई.
इस बाढ़ में 45 लोग और सैकड़ो मवेशी बह गए. दर्जनों मकान, दुकानें एवं व्यापारिक प्रतिष्ठान चपेट में आए. कई परिवारों ने अपनों को खो दिया तो किसी का पीछे रोने वाला भी नहीं बचा. कई लोगों की जिंदगी भर की कमाई आंखों के सामने ध्वस्त हो गई. कभी न मिटने वाले जख्मों का दंश एक कुत्ते को भी झेलना पड़ रहा है. कुत्ते ने यह साबित कर दिया कि वाकई कुत्ता इंसान का सबसे वफादार जानवर होता है. कुर्पन खड्ड की बाढ़ में बागीपुल में बहे एक परिवार का कुत्ता किसी तरह बच तो गया, लेकिन मालिक के खोने का दर्द वो सहन नहीं कर पा रहा है.
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कुत्ते की बेचैनी और बेबसी को देखकर हर व्यक्ति का दिल पसीज रहा है. कुत्ता उस स्थान पर दलदल में जाकर सूंघ रहा है, जहां अपने मालिक का घर हुआ करता था. जब वहां कुछ नहीं मिला तो आस लेकर यहां से 4 किलोमीटर दूर मालिक के बगीचे में जाकर देख रहा है. शायद मलिक इस त्रासदी से बचकर बगीचे में पहुंचा हो, लेकिन बगीचे में भी सुनसान घर देख कर फिर वापस इस स्थान पर पहुंचकर दो दिनों तक मातम मनाता रहा. जब लोग इकट्ठे होते हैं तो लोगों के बीच मलिक को ढूंढ रहा है.
मलिक के कहीं न मिलने के बाद कुत्ते की बेचैनी इतनी बड़ी है कि वह उफनती खड्ड में अपनी जिंदगी को दाव पर लगाने का प्रयास कर रहा है. खड्ड में इधर-उधर अपने मालिक को खोज रहा है. उसे क्या मालूम कि मालिक परिवार समेत इस त्रासदी में लीन हो गया है. अब उसकी यादें ही केवल शेष बची हैं, लेकिन कुत्ते की आस अब तक नहीं टूटी है. उम्मीद है कि कहीं ना कहीं इस उफनती खड्ड में मलिक के दर्शन हो जाएं, इसलिए वह खोज में निरंतर जुटा रहा.
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बागीपुल की योमां ठाकुर ने बताया कि जब सुबह वे उठीं तो अपने घर के ठीक सामने देखा कि जो घर थे उन का नामोनिशान मिट चुका है, लेकिन उस परिवार का कुत्ता दलदल में फसते हुए अपने मालिक को खोज रहा है. उसके बाद वह कुत्ता उनके चार किलोमीटर दूर बगीचे में भी गया, वहां भी मलिक नहीं मिला और वापिस उसी स्थान पर आया. जब लोग मंजर को देखने इकट्ठा हो रहे थे तो उनके बीच जाकर भी मलिक को खोजता रहा. वह लगातार उफनती खड्ड के चारों ओर मलिक को खोजने में जुटा है.