बेहद चिंताजनक! जंगलों में आग लगने का जिम्मेवार कौन? इंसानों का सुधरना क्यों जरूरी?
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बेहद चिंताजनक! जंगलों में आग लगने का जिम्मेवार कौन? इंसानों का सुधरना क्यों जरूरी?

अधिकतर जंगलों में आगजनी की घटनाओं का कारण लोग ही होते हैं, लोग घास काटने के बाद खुद ही जंगलों में आग लगा देते हैं, ताकि दोबारा घास अच्छी उग सके. जंगलों में आग लगने का कारण मानव ही है.

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शिमला: हिमाचल प्रदेश में इस साल लगातार मार्च अप्रैल के बाद जून महीने में आगजनी के मामले सामने आ रहे हैं. अब तक 2 हजार से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं. साढ़े 4 करोड़ से ज्यादा सम्पति को नुकसान हो चुका है.

लगातार बढ़ रहे आगजनी के आंकड़े चिंता का विषय है. जंगलों में आगजनी से 16 हजार 900 हेक्टेयर क्षेत्र प्रभावित हुआ है. फॉरेस्ट विभाग के अधिकारी अजय श्रीवास्तव ने बताया की जंगलों में आगजनी की घटनाएं कलाइमेटिकल होती हैं. 

जिस वर्ष प्रदेश में सुखा अधिक रहता है, उस वर्ष आगजनी की घटनाएं बढ़ जाती है जैसे 2017- 18 में घटनाएं कम हुई, 2020-21 में और ज्यादा कम हो गई, पिछले साल भी कम घटनाएं सामने आई, लेकिन इस साल अबतक 2 हजार 39 आगजनी की घटनाएं सामने आ चुकी हैं.

उन्होंने कहा कि अधिकतर जंगलों में आगजनी की घटनाओं का कारण लोग ही होते हैं, लोग घास काटने के बाद खुद ही जंगलों में आग लगा देते हैं, ताकि दोबारा घास अच्छी उग सके. जंगलों में आग लगने का कारण मानव ही है.

उन्होंने बताया कि जंगलों में आग 99.9 % ग्राउंड फायर ही होती हैं, जिससे किसी भी तरह का नुकसान नहीं होता है. सिर्फ जो नए प्लांट्स लगाए जातें हैं उन्हें ही इससे नुकसान है क्योंकि वह पूरी तरह जल जाते हैं.

जंगलों में ड्रोन से होगी निगरानी

बता दें कि वन विभाग ने जंगलों की आग को काबू करने के लिए ड्रोन से निगरानी रखने के लिए प्रस्ताव भारत सरकार को दे दिया है. सरकार की क्लेरेंस के बाद अब ड्रोन से निगरानी की जाएगी. वन विभाग के कर्मचारियों को ड्रोन चलाने के लिए ट्रेनिंग दी जाएगी. 

No. of Fire cases    Total Area Affected
2008- 09/ 572       6586.12   

2009-10/ 1906      24849.52   

2010-11/ 870         7837.63  

2011-12/ 168          1758.15 

2012-13/ 1798        20773.97

2013-14/ 397          3237.52

2014-15/ 725          6726.49

2015-16/ 672         5749. 95

2016-17/ 1832       19535.76

2017- 18/ 1164        9408.09   

2018-19/  2544         25858.91  

2019-20/ 1445          8961.7

2020-21/ 1045          10562.73

अब तक-2022 /2,239    16983.14

अनुमानित नुकसान 

6005064
25522928
9769363
4307878
27682589
5231011
11326522
13477730
35067790
19641124
32548385
16739692
33776117
45158073

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