Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश में ईको टूरिज्म को विकसित करने के लिए प्रदेश सरकार कार्य कर रही है. ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि प्राकृतिक सुंदरता से कोई छेड़छाड़ ना हो.
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मनीष ठाकुर/कुल्लू: हिमाचल प्रदेश में इको टूरिज्म को विकसित करने की दिशा में प्रदेश सरकार द्वारा कार्य किया जा रहा है, ताकि हिमाचल की प्राकृतिक सुंदरता से कोई छेड़छाड़ ना हो और सैलानी भी यहां की प्राकृतिक सुंदरता का नजारा ले सकें. इसी कड़ी में जिला कुल्लू में भी पांच ईको साइट का चयन किया गया है. सरकार द्वारा पीपीपी मोड के तहत से विकसित करने के लिए भी मंजूरी दी गई है. ऐसे में जिला कुल्लू के काइस धार, कसोल, सूमा रोपा, मनाली के सोलंग नाला और बंजार विधानसभा के सोझा को इसके लिए चयनित किया गया है. ऐसे में अब जल्द ही इन सभी सीटों को विकसित करने का कार्य शुरू कर दिया जाएगा.
मिली जानकारी के अनुसार, संबंधित फर्म को इन सभी सीटों को खुद ही विकसित करना होगा. पीपीपी मोड के तहत काम करने वाली फर्म को साइट पर इन्फ्रास्ट्रक्चर खुद फॉरेस्ट-लॉ का पालन करते हुए तैयार करना होगा. इसके लिए वन और जैव विविधता को नुकसान पहुंचाने की किसी को भी इजाजत नहीं होगी, क्योंकि हिमाचल में 2020-21 में वन संपदा को नुकसान पहुंचाने और बिना एफसीए के पूर्व में चल रही 11 इको-टूरिज्म साइट का ऑपरेशन केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय बंद कर चुका है. इसके अलावा केंद्रीय वन मंत्रालय ने एफसीए के बगैर इको-टूरिज्म एक्टिविटी शुरू करने की मंजूरी दे दी है, लेकिन वन संपदा को नुकसान पहुंचाने की किसी को इजाजत नहीं दी जाएगी.
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मणिकरण और मनाली में बीते कुछ दिनों सैलानियों की आमद बढ़ी है. सैलानी पहाड़ों के बीच शांति से अपने दिन गुजार रहे हैं. इको टूरिज्म के विकसित होने से यह स्थानीय युवाओं को भी रोजगार मिलेगा और पर्यटन गतिविधि बढ़ने से यहां की आर्थिक की भी मजबूत होगी. वन मंडल अधिकारी कुल्लू एंजल चौहान ने कहा कि सोलंग नाला पर इको टूरिज्म के तहत तीन करोड़ रुपये की राशि खर्च की जाएगी. पूरे सोलंग नाला को विकसित किया जाएगा. यह अब पहले से अधिक सुंदर दिखेगा. पर्यटकों को स्कीइंग, पैराग्लाइडिंग और ट्रैक की अच्छी सुविधा मिलेगी.
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