सभी राज्य सरकारों ने विश्वविद्यालय शिक्षकों को सेवंथ यूजीसी पे-स्केल दे दिया है. केवल हिमाचल प्रदेश सरकार ही अभी तक शिक्षकों को 7th यूजीसी पे-स्केल नहीं दे रही है. ऐसे में तमाम शिक्षक यह मांग कर रहे हैं कि अन्य राज्यों की तर्ज पर जल्द से जल्द सेवंथ पे स्केल दिया जाए.
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शिमला: हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश सरकार की समस्याएं बढ़ती हुई नजर आ रही हैं. विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने 7th-यूजीसी पे-स्केल की मांग को लेकर 5 जुलाई तक शिक्षा बंद करने का फैसला लिया है.
इससे पहले 22 जून के दिन हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने वीसी ऑफिस से समरहिल चौक तक रोष रैली निकाल प्रदर्शन किया था. विश्वविद्यालय के शिक्षकों को प्रदेश सरकार की ओर से जल्द से जल्द 7th-यूजीसी पे-स्केल देने की बात कही गई थी, लेकिन साल 2016 से लंबित पे स्केल 6 साल बीत जाने के बाद भी शिक्षकों को नहीं मिल पाया है.
इसी पे-स्केल की मांग को लेकर हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, नौनी विश्वविद्यालय और पालमपुर कृषि विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने 5 जुलाई तक शिक्षा बंद करने का ऐलान किया है. इस दौरान विश्वविद्यालय में हाल ही में हुई परीक्षाओं के पेपर चेक करने का काम भी बंद किया जाएगा, जिसकी वजह से आम छात्रों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है.
प्रदेश सरकार के सामने अपनी मांग रखने के लिए हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय टीचर एसोसिएशन और हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय टीचर यूनियन की ओर से ज्वाइंट एक्शन कमेटी का गठन किया गया है.
ज्वाइंट एक्शन कमेटी के सेक्रेटरी मेंबर जोगिंदर सकलानी ने कहा कि साल 2016 से अब तक सेवंथ यूजीसी पे स्केल लंबित है. प्रदेश भर के 3 हजार शिक्षक लंबे समय से पे स्केल दिए जाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन प्रदेश सरकार शिक्षकों की मांग को नहीं सुन रही.
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने मंडी की जनसभा में 7th पे-स्केल देने की बात कही थी, लेकिन अब सरकार वादाखिलाफी कर रही है. उन्होंने कहा कि जिन शिक्षकों को कक्षा में रहकर बच्चों को पढ़ाना चाहिए, उन शिक्षकों को सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन करने के लिए मजबूर किया जा रहा है.
प्रो. जोगिंदर सकलानी ने बताया कि सेवंथ पे स्केल की मांग को लेकर विश्वविद्यालय शिक्षकों ने 5 जुलाई तक शिक्षा बंद करने का फैसला लिया है. इस दौरान शिक्षक किसी भी अकादमिक और आधिकारिक कार्य में हिस्सा नहीं लेंगे.