Bhang Ki Kheti: हिमाचल प्रदेश को जहां टूरिज्म के लिए जाना जाता है. वहीं, प्रदेश चाय और भांग को लेकर भी विश्वभर में काफी प्रसिद्ध है, लेकिन अब इसकी खेती को लीगल करने की मांग की जा रही है.
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संदीप सिंह/कुल्लू: प्रदेश सरकार द्वारा भांग की खेती को लीगल करने के लिए विधानसभा की सर्वदलीय कमेटी द्वारा जिला कुल्लू के अटल सदन में पंचायत प्रतिनिधियों के साथ संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में कमेटी के अध्यक्ष व कैबिनेट मंत्री जगत सिंह नेगी की अध्यक्षता में मुख्य संसदीय सचिव सुंदर सिंह ठाकुर, विधायक केवल सिंह पठानिया, विधायक डॉ. हंसराज, विधायक डॉ. जनक राज, विधायक सुरेंद्र शौरी और विधायक पूर्ण चंद ठाकुर भी मौजूद रहे. इस दौरान कुल्लू जिला की कई पंचायतों के प्रतिनिधि भी बैठक में शामिल हुए.
विधानसभा कमेटी के सदस्यों ने बैठक में भांग के पौधे के औषधीय और औद्योगिक उत्पादों के बारे में विस्तृत जानकारी दी. इस दौरान कमेटी के सदस्यों ने प्रदेश में भांग के पौधे से लोगों की आर्थिक स्थिति कैसे सुदृढ़ होगी, इसे लेकर भी विस्तृत जानकारी दी. बैठक में उपस्थित पंचायत प्रतिनिधियों ने भांग की खेती को लीगल करने के लिए कमेटी के अध्यक्ष व कैबिनेट मंत्री जगत सिंह नेगी को समर्थन प्रस्ताव सौंपे. सभी पंचायत प्रतिनिधियों ने भांग की खेती को लीगल करने के लिए सरकार से मांग की.
भांग की खेती को लीगल करने के लिए कई पंचायतों को सौंपी गई जिम्मेदारी
कैबिनेट मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा भांग की खेती को लीगल करने के लिए विधानसभा की सर्वदलीय कमेटी का गठन किया गया है. उन्होंने कहा कि सर्वदलीय कमेटी को दायित्व सौंपा गया है कि भांग की खेती को लेकर सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर विस्तृत अध्ययन किया जा रहा है. कानूनों के साथ-साथ पंचायत प्रतिनिधियों और जनता की राय जानने के लिए संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया है. उन्होंने कहा कि संवाद कार्यक्रम के माध्यम से पंचायत प्रतिनिधियों ने भांग की खेती को लीगल करने के लिए 200 से अधिक पंचायतों ने प्रस्ताव सौंपा है, जिसमें जनसमर्थन मिला है.
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भांग को लेकर विश्वभर में प्रसिद्ध है हिमाचल
जगत सिंह नेगी ने कहा कि भांग की खेती की मार्केट पूरी दुनिया में हजारों करोड़ रुपये की है. भांग की खेती को लेकर पड़ोसी राज्य उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में पॉलिसी बनाई गई है, लेकिन हिमाचल प्रदेश भांग को लेकर पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है. भांग के इंडस्ट्रियल उद्योग के लिए विदेशों से लोग हिमाचल आना चाहते हैं. ऐसे में अगर हिमाचल पीछे रह जाएगा तो इसका फायदा पड़ोसी राज्य उठाएंगे. ऐसे में भांग की खेती से प्रदेश सरकार और प्रदेश वासियों की आर्थिकी सुदृढ़ होगी. इसके लिए कमेटी पूरे प्रदेश की जनता के बीच जाकर उनकी राय जानने का प्रयास कर रही है.
भांग के पॉजिटिव और नेगेटिव इफेक्ट को लेकर किया जा रहा अध्ययन
उन्होंने कहा कि प्रदेश में भांग की खेती के कानूनी पहलुओं को लेकर पुलिस को भी जानकारी न होने से भांग को नष्ट किया जा रहा है. प्रदेश सरकार एनडीपीएस एक्ट के तहत कानून के दायरे में रहकर भांग की व्यवसायिक खेती उत्पाद बनाने के लिए कर सकते हैं. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू भांग की खेती को लीगल करने के लिए जल्द पॉलिसी बनाने का प्रयास कर रहे हैं. प्रदेश सरकार भांग के पॉजिटिव और नेगेटिव इफेक्ट को लेकर अध्ययन कर रही है.
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भांग की खेती को लेकर जीआई टैगिंग की मांग
वहीं, भरमौर के विधायक डॉ. जनक राज ने कहा कि केंद्र सरकार भी भांग की खेती के लिए मेडिकल और इंडस्ट्रियल यूज के लिए मेडिकल रिसर्च होना जरूरी है, उन्होंने कहा कि हिमाचल में भांग की खेती को लेकर जीआई टैगिंग करवाई जाए ताकि भविष्य में प्रदेशवासियों की भांग की खेती से आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हो.
भाग की खेती से होते हैं कई फायदे
उन्होंने कहा कि भांग की खेती में एनडीपीएस एक्ट के तहत चरस निकालना कानूनी जुर्म है, जबकि भांग के पौधे से रेशे से विभिन्न तरह के उत्पाद बनाना कोई जुर्म नहीं है. उन्होंने कहा कि भांग के पौधे में नशे के अलावा भी बहुत से गुण होते हैं, जिसमें कपड़े, जूते, कागज और तेल सहित अन्य तरह के कई उत्पाद तैयार किए जाते हैं.
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