Adbhut Himachal: हिमाचल प्रदेश के देवरथ की अद्भुत कहानी सुन हर कोई रह गया दंग
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Adbhut Himachal: हिमाचल प्रदेश के देवरथ की अद्भुत कहानी सुन हर कोई रह गया दंग

Dev rath ki Kahani: हिमाचल प्रदेश में देवरथ को लेकर एक मान्यता बहुत प्रसिद्ध है, जिसके बारे में आज तक वैज्ञानिक भी कोई जवाब नहीं दे पाए हैं. अद्भुत हिमाचल की सैर में आज हम आपको इसी देवरथ के बारे में बता रहे हैं जो बिना किसी का सहारा लिए अपने आप आगे बढ़ता है.

Adbhut Himachal: हिमाचल प्रदेश के देवरथ की अद्भुत कहानी सुन हर कोई रह गया दंग

Adbhut Himachal ki Sair: हिमाचल प्रदेश को यूं तो उसकी प्राकृतिक खूबसूरती के लिए जाना जाता है, लेकिन प्रदेश की एक खासियत यह भी है कि कलयुग के दौर में भी यहां देवी-देवताओं की कृपा बनी हुई है. यही वजह है कि इसे देवभूमि भी कहा जाता है. हालांकि इन दिनों यहां बड़ी संख्या में पर्यटक बर्फबारी का लुत्प उठाने पहुंच रहे हैं. 

कण-कण में देवी-देवताओं का वास
वैसे तो आम दिनों में भी पर्यटक यहां घूमने के लिए आते ही रहते हैं, क्योंकि हिमाचल प्रदेश एक ऐसी जगह है जहां कई शक्तिपीठ भी मौजूद हैं. ऐसे में सैलानी न सिर्फ यहां घूमने बल्कि देवी-देवताओं का आर्शीवाद लेने भी पहुंचते हैं. यहां कण-कण में देवी-देवताओं का वास माना जाता है. यहां की प्राकृतिक खूबसूरती ही नहीं बल्कि हिमाचल प्रदेश की पुरानी पंरपराएं और संस्कृति भी लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर लेती है. 

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क्या है देव रथ का अद्भुत रहस्य?
ऐसे में आज अद्भुत हिमाचल की सैर में हम आपको बता रहे हैं देव रथ की अद्भुत कहानी, जिसके बारे में जानकर शायद आपको यकीन भी न हो. जब कोई भी देव रथ के बारे में जानता है तो वह एक अलग ही दुनिया में चला जाता है. जब कोई व्यक्ति पहली बार इसके बारे में जानता और देखता है तो वह अक्सर मानसिक रूप से परेशान भी हो जाता है. 

बिना किसी का सहार लिए खुद ही आगे बढ़ता है देवरथ
दरअसल हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में पूजा अर्चना कर देव रथ को बाहर निकाला जाता है, जिसे लेकर स्थानीय लोगों की मान्यता है कि इसे बाहर निकालने के लिए पहले देवता की आज्ञा लेनी पड़ती है और फिर वाद्य यंत्रों की धुन पर रथ यात्रा निकाली जाती है. हैरानी की बात यह है कि इस दौरान चार लोग रथ को कंधे पर रखे होते हैं और यह रथ खुद ही आगे की ओर बढ़ता चला जाता है. 

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कौन मोड़ता है रथ
यहां के लोगों का कहना है कि देवता अपनी मर्जी से ही यात्रा तय करते हैं. देवता को अगर अपना रास्त बदलना होता है तो यह रथ अपने आप रुककर उस ओर मुड जाता है. यात्रा के दौरान यह रथ चार लोगों के कंधों पर झूलता हुआ नजर आता है, लेकिन यह कैसे मुड़ रहा है, इसे कौन चला रहा है ये सब आज तक कोई नहीं देख पाया. 

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देवता से बात करते हैं गुर 
देवताओं के गुरों का कहना है कि अगर कोई देवता नाराज हो जाए तो यह रथ न बाहर आता है और न हीं आगे बढ़ता है. दरअसल हिमाचल में इन देवताओं की पूजा पाठ करने वालों को गुर कहा जाता है. और तो और अगर देवता को लोगों से कोई भी बात कहनी होती है वह इन्हीं के जरिए अपनी बात लोगों तक पहुंचाते हैं. बता दें, इस अद्भुत रथ को किसी अलग वस्तु से नहीं बल्कि एक साधारण लकड़ी से ही बनाया जाता है. 

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