रोहिंग्या शरणार्थियों की बढ़ती आबादी और अपराध ने बढ़ाया सिरदर्द, जानें पूरा मामला

बांग्लादेश के मंत्री ने कहा कि आने वाले दिनों में कट्टरपंथी घटनाओं में बढ़ोतरी भी देखने को मिल सकती है. ऐसा इसलिए कि क्योंकि म्यांमा से भागकर नाफ नदी पार कर ये लोग इस तरफ पहुंचे. सीमा के उस पार ये अपने मकान और अपनी जमीन को देखकर उद्वेलित होते हैं और उसे पाने के लिए कुछ भी कर सकते हैं.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jun 13, 2022, 08:51 PM IST
  • रोहिंग्या की बढ़ती सरकार के लिए सिरदर्द
  • समाधान नहीं निकलता देख अब दबाव में सरकार
रोहिंग्या शरणार्थियों की बढ़ती आबादी और अपराध ने बढ़ाया सिरदर्द, जानें पूरा मामला

ढाका: म्यांमा में वर्ष 2017 में सैन्य तख्ता पलट के बाद बड़ी संख्या में भागकर बांग्लादेश पहुंचे शरणार्थियों का खुले दिल से स्वागत करने वाली सरकार पांच वर्षों में रोहिंग्या संकट का समाधान नहीं निकलता देख अब दबाव महसूस कर रही है. देश में रह रहे रोहिंग्याओं की आबादी जहां तेजी से बढ़ रही है वहीं, उनसे जुड़े अपराधों की रफ्तार भी बेहद तेज है. स्थानीय आबादी की एक फीसदी की वृद्धि दर के मुकाबले रोहिंग्या आबादी की वृद्धि दर पांच फीसदी है.

अपराधों में सात गुना की बढ़ोतरी

कॉक्स बाजार क्षेत्र में पिछले पांच वर्षों में अपराधों में भी लगभग सात गुना की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. चटगांव डिविजन के कॉक्स बाजार जिले में रोहिंग्या शिविर के दौरे के दौरान वहां कानून लागू करने वाली एजेंसियों से जुड़े अधिकारियों से बातचीत में यह स्थिति सामने आई. एक अधिकारी ने बताया कि कॉक्स बाजार क्षेत्र में पिछले पांच साल में चोरी, हत्या, डकैती, दुष्कर्म, मादक पदार्थों की तस्करी जैसी आपराधिक गतिविधियां करीब सात गुना बढ़ी हैं.

साल 2017 में इस तरह के अपराध के 76 मामले सामने आए थे और इसमें 159 अपराधी गिरफ्तार किए गए थे, वहीं, 2021 में अपराधों की संख्या 507 हो गई, जबकि 1024 आरोपी गिरफ्तार किए गए. अधिकारी ने बताया कि पिछले छह माह में रोहिंग्याओं से मादक पदार्थ ‘याबा’ के 1,55,65,244 टुकड़े, जबकि 14.8 किलोग्राम मादक पदार्थ ‘आईस’ व सोना पकड़ा गया.

मादक पदार्थों की तस्करी क्षेत्र के लिये खतरा

उन्होंने दावा किया कि म्यांमा से हो रही मादक पदार्थों की तस्करी बांग्लादेश-भारत के साथ इस पूरे क्षेत्र के लिये खतरा है. गौरतलब है कि भारत, बांग्लादेश के साथ 4095 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है, जिसमें 1116 किलोमीटर नदी क्षेत्र है.

अधिकारी ने बताया कि रोहिंग्या शरणार्थियों और स्थानीय आबादी के बीच भी संघर्ष बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि स्थानीय लोगों में महंगाई और अपने रोजगार पर असर के लिए शरणार्थियों को जिम्मेदार मानने की भावना में इजाफा हुआ है.

स्थानीय मीडिया में प्रकाशित आंकड़ों के आधार पर अधिकारी ने बताया कि 2017 के मुकाबले दैनिक मजदूरी में 50 फीसदी की कमी आई है. उन्होंने बताया कि चटगांव जिले के कॉक्स बाजार क्षेत्र में नए शरणार्थियों के आने से पहले कृषि मजदूरी 500-600 टका (बांगलादेशी मुद्रा), निर्माण क्षेत्र में मजदूरी 600-700 टका थी, जो अब गिरकर 200-250 टका प्रतिदिन पर पहुंच गई है.

बांग्लादेश के सूचना मंत्री ने चिंता जताई

दिल्ली से आए पत्रकारों के एक दल से बातचीत के दौरान बांग्लादेश के सूचना मंत्री डॉक्टर हसन महमूद ने रोहिंग्या की आबादी में तेजी से बढोतरी और इसे लेकर चिंता की बात स्वीकार की. उन्होंने कहा '' देश की स्थानीय आबादी में बढोतरी की दर एक फीसदी है, जबकि रोहिंग्या की आबादी पांच फीसदी की दर से बढ़ रही है. ''

उन्होंने कहा कि पांच साल पहले म्यांमा संकट के दौरान करीब 70 हजार गर्भवती रोहिंग्या महिलाएं भी यहां पहुंची थीं और उन्होंने बच्चों को जन्म दिया. उसके बाद से करीब दो लाख बच्चे और यहां जन्म ले चुके हैं.

मंत्री ने कहा कि रोहिंग्या पहले से आपराधिक गतिविधियों में लिप्त हैं और शरणार्थी शिविर कट्टरपंथी समूहों के लिए बेहद "उपयुक्त" जगह हैं. उन्होंने कहा कि शरणार्थी शिविर ऐसे समूहों के लिए सबसे बड़े भर्ती स्थल बन गए हैं.

हमारी सरकार बेहद सख्त

उन्होंने कहा, ‘‘कट्टरपंथी समूहों को लेकर हमारी सरकार बेहद सख्त है, लेकिन रोहिंग्याओं की इतनी बड़ी आबादी को संभालना आसान नहीं है.'' बांग्लादेश मे रोहिंग्या शरणार्थी करीब 11.5 लाख हैं और ये कॉक्स बाजार, उखिया और टैक्नाफ क्षेत्र में स्थित शरणार्थी शिविरों में रह रहे हैं.

रोहिंग्या आबादी में भारी बढ़ोतरी का एक बड़ा कारण बांग्लादेश द्वारा अंतरराष्ट्रीय सहयोग से दी जा रही मदद भी है. बांग्लादेश स्थित थिंक टैंक सेंट्रल फाउंडेशन फॉर इंटरनेशनल एंड स्ट्रैटेजिक स्टडी (सीएफआईएसएस) के चेयरमैन कोमोडोर (सेवानिवृत्त) मोहम्मद नुरूल अबसार ने बताया कि प्रति परिवार मुफ्त राशन व प्रति व्यक्ति प्रतिमाह 1100 टका नकद राशि दी जा रही है.

उन्होंने कहा, इसके अलावा गर्भवती महिलाओं को पौष्टिक भोजन की सुविधा भी मिल रही है और भोजन पकाने के लिए मुफ्त रसोई गैस दी जा रही है. अबसार ने कहा कि रोहिंग्या शरणार्थी 'याबा' 'आईस' समेत कई मादक पदार्थों की तस्करी, रंगदारी वसूलने के अलावा मानव तस्करी जैसे अपराधों से जुड़े हैं.

कर रहे हैं इस तरह के अपराध

इसके अलावा छिनैती, चोरी व अन्य अपराधों में भी लिप्त हैं. उन्होंने कहा कि रोहिंग्याओं के साथ स्थानीय आबादी का संघर्ष भी बढ़ रहा है, क्योंकि देश की गरीब जनता जहां दो वक्त के भोजन के लिए कड़ा संघर्ष कर रही है, वहीं रोहिंग्या शरणार्थियों को मुफ्त राशन, 1100 टका प्रति व्यक्ति प्रतिमाह नगद राशि और मुफ्त रसोई गैस जैसी सुविधाएं मिल रही हैं.

उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में कट्टरपंथी घटनाओं में बढ़ोतरी भी देखने को मिल सकती है, क्योंकि म्यांमा से भागकर नाफ नदी पार कर ये लोग इस तरफ पहुंचे. सीमा के उस पार ये अपने मकान और अपनी जमीन को देखकर उद्वेलित होते हैं और उसे पाने के लिए कुछ भी कर सकते हैं.

वहीं, बांग्लादेश में शरणार्थी जीवन जी रहे रोहिंग्याओं ने पांच साल बाद भी देश वापसी की उम्मीद नहीं छोड़ी है. हालांकि, इसमें लग रहे वक्त को लेकर वह निराश जरूर महसूस कर रहे हैं. कॉक्स बाजार के उखिया में शरणार्थी शिविर में रह रही जमालीदा बेगम (33) को उम्मीद है कि वह अपने घर वापस जा पाएंगी.

हालात चुनौतीपूर्ण बने हुए हैं

उन्होंने कहा, ''हालात चुनौतीपूर्ण जरूर हैं, लेकिन वापसी की उम्मीद अभी कम नहीं हुई है, मुझे भरोसा है कि इसका कुछ हल जरूर निकलेगा. '' जमालीदा ने बताया कि उसके पति अब्दुल शुकुर को उसके सामने ही म्यांमा के सैनिकों ने गोली मार दी थी. उन्होंने कहा, "मेरे साथ दुष्कर्म किया गया. मैं किसी तरह जान बचाकर नाफ नदी पार कर बांग्लादेश पहुंची."

म्यांमा से बेहद चुनौतीपूर्ण हालात में बांग्लादेश पहुंचे मोहम्मद अमीन (48) भी बेसब्री से वतन वापसी का इंतजार कर रहे हैं. हालांकि, इसमें लंबा वक्त लगने को लेकर वह निराश हैं. अपनी बेबसी जाहिर करते हुए अमीन ने कहा '' यह (वापसी) हमारे हाथ में नहीं है, लेकिन, इंशाअल्लाह हमें कामयाबी मिलेगी.''

मोहम्मद नूर ने कहा कि अगर वह वापस जा सके तो खुद को बेहद खुशनसीब मानेंगे. नूर ने कहा '' हम वहां तभी रह सकते हैं, जब हमें रहने दिया जाएगा. हालात अभी भी खराब हैं, लेकिन अब वापसी की कोई राह बनती है, तो मैं जरूर अपने घर जाना चाहूंगा.''

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