नई दिल्ली: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने शनिवार को सुप्रीम कोर्ट (प्रैक्टिस एंड प्रोसीजर) बिल, 2023 को लौटाने के लिए राष्ट्रपति डॉ. आरिफ अल्वी की आलोचना की और उन्हें पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) का कार्यकर्ता बताया. बिल का उद्देश्य मुख्य न्यायाधीश की शक्तियों को कम करना है, जिसमें स्वप्रेरणा और पीठों का गठन शामिल है. पीटीआई ने कानून पारित करने के कदम की कड़ी निंदा की है और कहा है कि यह न्यायपालिका पर हमला है.
शहबाज शरीफ ने राष्ट्रपति आरिफ अल्वी की आलोचना की
जियो न्यूज ने बताया कि राष्ट्रपति द्वारा विधेयक को लौटाए जाने के घंटों बाद प्रधानमंत्री ने ट्वीट में कहा, राष्ट्रपति अल्वी द्वारा संसद से विधिवत रूप से पारित सर्वोच्च न्यायालय के विधेयक को लौटाना सबसे दुर्भाग्यपूर्ण है. राष्ट्रपति ने पिछले साल अप्रैल में पाकिस्तान डेमोकेट्रिक मूवमेंट की सरकार के गठन के बाद से कई बिल लौटाए हैं और प्रधानमंत्री शहबाज सहित संघीय कैबिनेट के कई सदस्यों को शपथ दिलाने से भी इनकार कर दिया है.
अल्वी ने पीटीआई के अध्यक्ष इमरान खान से सेना प्रमुख की नियुक्ति सहित कई महत्वपूर्ण मामलों पर सलाह मांगी थी. ट्वीट में, प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्रपति ने अपने कार्यों के माध्यम से अपने कार्यालय को नीचा दिखाया है क्योंकि वह संविधान और अपने कार्यालय से अधिक पीटीआई प्रमुख के आदेशों का पालन करते हैं.
पाकिस्तान में राजनीतिक और संवैधानिक संकट
जियो न्यूज ने बताया, अपने आचरण के माध्यम से, उन्होंने पीटीआई के एक कार्यकर्ता के रूप में कार्य कर प्रतिष्ठित कार्यालय का अपमान किया है, जो संविधान और अपने कार्यालय से अधिक इमरान नियाजी के प्रति समर्पित हैं.
पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा प्रांतों में चुनावों को लेकर देश में गहराते राजनीतिक और संवैधानिक संकट के बीच पिछले महीने संसद के दोनों सदनों ने इस विधेयक को मंजूरी दे दी थी और सहमति के लिए राष्ट्रपति के पास भेज दिया था. जियो न्यूज ने बताया कि अल्वी द्वारा बिल को मंजूरी देने से इनकार करने के बाद, सरकार को संसद के संयुक्त सत्र से इस विधेयक के पारित होने की संभावना है.
(इनपुट- आईएएनएस)
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