नई दिल्ली: लंबे वक्त से आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान के लिए एक अच्छी खबर है. दरअसल पाकिस्तान FATF की ग्रे लिस्ट से बाहर हो सकता है. अगर ऐसा होता है तो एक बार फिर से पाकिस्तान विदेशी धन प्राप्त करने में सक्षम हो जाएगा.
2018 में FATF ने पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में किया था शामिल
वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF) द्वारा धन शोधन और आंतकवाद के वित्तपोषण पर रोक लगाने में विफल रहने के बाद पड़ोसी देश को जून 2018 में इस श्रेणी में शामिल किया गया था. एफएटीएफ ने धनशोधन और आतंकवाद के वित्तपोषण से निपटने में कानूनी, वित्तीय, नियामक, जांच, अभियोजन, न्यायिक और गैर-सरकारी क्षेत्र की कमियों के चलते पाकिस्तान को निगरानी सूची में डाला था.
आतंकी संगठनों पर कार्रवाई करने में नाकाम रहा था पाक
जून तक पाकिस्तान ने ज्यादातर कार्रवाई बिंदुओं को पूरा कर लिया था और केवल कुछ कार्रवाई बिंदु अधूरे रह गये थे, जिनमें जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) प्रमुख मसूद अजहर, लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के संस्थापक हाफिज सईद और जकीउर रहमान लखवी समेत संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामित आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करने में विफलता शामिल थी.
मुंबई हमलों में भी आया था नाम
अजहर, सईद और लखवी भारत में कई आतंकवादी कृत्यों में शामिल होने के लिए अति वांछित आतंकवादी हैं. इन आतंकवादी कृत्यों में मुंबई में आतंकवादी हमला और 2019 में जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की बस पर हमला शामिल है.
पाकिस्तान को चाहिए इतने वोट
धन शोधन और आतंकवाद के वित्तपोषण पर पेरिस स्थित वैश्विक निगरानीकर्ता ने कहा था, "सिंगापुर के टी राजा कुमार की अध्यक्षता के तहत एफएटीएफ की पहली बैठक 20-21 अक्टूबर को होगी." पाकिस्तान ने 27 सूत्री कार्य योजना के तहत इन कमियों को दूर करने के लिए उच्च स्तरीय राजनीतिक प्रतिबद्धताएं जताई हैं. बाद में इन कार्रवाई बिंदुओं की संख्या बढ़ाकर 34 कर दी गई। पाकिस्तान को ‘‘ग्रे लिस्ट’’ से बाहर निकलने और 'व्हाइट लिस्ट' में जाने के लिए 39 में से 12 वोट चाहिए.
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