नई दिल्ली: पकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने बुधवार को कहा कि उन्होंने कभी अपनी पसंद का सेना प्रमुख बनाने की योजना नहीं बनाई, जैसा की उनके विरोधियों ने आरोप लगाया है. इस्लामाबाद में एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए खान ने कहा कि उन्होंने अपनी पसंद का सेना प्रमुख नियुक्त करने का बारे में कभी नहीं सोचा था.
इमरान खान ने पेश की सेना पर सफाई
उन्होंने कहा, 'अल्लाह मेरा गवाह है. मैंने कभी नहीं सोचा कि नवंबर में सेना प्रमुख कौन होगा. इमरान खान को अपना सेना प्रमुख नियुक्त करने की जरूरत नहीं है.' गौरतलब है कि पाकिस्तान के सेना प्रमुख का कार्यकाल नवंबर 2022 में समाप्त होना है.
अब सवाल है कि पूर्व पाकिस्तानी पीएम इमरान खान को ऐसी बातें कहने की भला क्या जरूरतें पड़ने लगीं. इसमें कोई दो राय नहीं है कि पाकिस्तान की पूरी सरकार की बागडोर वहां की सेना के हाथ में होती है. इमरान खान सरकार के तख्तापलट में भी कहीं न कहीं सेना की पूरी भूमिका थी.
उन पर ये आरोप लगने लगे थे कि वो बाजवा को पसंद नहीं करते हैं. इन्हीं सारी बातों को लेकर उनकी सत्ता छिन गई. अब इमरान खान पाकिस्तानी सेना के सामने खुद की बिगड़ी सुधारने की कोशिश में जुट गए हैं, यही वजह है कि उन्हें अल्लाह को अपना गवाह बनाना पड़ रहा है.
तालिबान के साथ बातचीत पर पूरा अपडेट
पाकिस्तान के शीर्ष नागरिक और सैन्य नेतृत्व को बुधवार को अवगत कराया गया कि अफगान तालिबान प्रतिबंधित आतंकवादी समूह तहरीक-ए-तालिबान साथ बातचीत में सहयोग प्रदान कर रहा है और विद्रोहियों के साथ कोई भी समझौता संसद की मंजूरी पर निर्भर करेगा.
प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की अध्यक्षता में राष्ट्रीय सुरक्षा पर एक उच्च स्तरीय बैठक हुई जिसमें सेना के शीर्ष अधिकारी शामिल हुए. संसद में हुई इस बैठक में सांसदों को राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित विभिन्न मुद्दों की जानकारी दी गई. बैठक के बाद जारी एक बयान में कहा गया कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जिम्मेदार संस्थानों ने समिति को देश की सुरक्षा स्थिति से अवगत कराया.
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