जी7 के मंच पर पीएम मोदी ने चुन-चुनकर गिनाईं संयुक्त राष्ट्र की कमियां, कहा- ये वास्तविकता के अनुरूप नहीं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को संयुक्त राष्ट्र (UN) जैसे बड़े वैश्विक संस्थानों में सुधार की पुरजोर वकालत करते हुए कहा कि यदि ऐसे संस्थान मौजूदा विश्व की वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित नहीं करते हैं तो ये महज ‘चर्चा का मंच’ बनकर रह जाएंगे. मोदी ने कहा कि पिछली सदी में गठित संयुक्त राष्ट्र और सुरक्षा परिषद जैसे संस्थान 21वीं सदी की व्यवस्था और वास्तविकता के अनुरूप नहीं हैं. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : May 21, 2023, 02:24 PM IST
  • प्रधानमंत्री मोदी ने जी7 को किया संबोधित
  • 'आतंक की परिभाषा तक मान्य नहीं हो पाई'
जी7 के मंच पर पीएम मोदी ने चुन-चुनकर गिनाईं संयुक्त राष्ट्र की कमियां, कहा- ये वास्तविकता के अनुरूप नहीं

नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को संयुक्त राष्ट्र (UN) जैसे बड़े वैश्विक संस्थानों में सुधार की पुरजोर वकालत करते हुए कहा कि यदि ऐसे संस्थान मौजूदा विश्व की वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित नहीं करते हैं तो ये महज ‘चर्चा का मंच’ बनकर रह जाएंगे. मोदी ने कहा कि पिछली सदी में गठित संयुक्त राष्ट्र और सुरक्षा परिषद जैसे संस्थान 21वीं सदी की व्यवस्था और वास्तविकता के अनुरूप नहीं हैं. 

उन्होंने कहा कि इन संस्थानों को ग्लोबल साउथ (अल्प विकसित देशों) की आवाज भी बनना होगा, वरना संयुक्त राष्ट्र और सुरक्षा परिषद मात्र बातचीत का मंच बनकर रह जाएंगे. 

प्रधानमंत्री ने जी7 को किया संबोधित

हिरोशिमा में जी-7 समूह के एक सत्र को संबोधित करते हुए मोदी ने आश्चर्य व्यक्त किया, ‘यह सोचने की बात है कि भला हमें शांति और स्थिरता की बातें अलग-अलग मंच पर क्यों करनी पड़ रही हैं? उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की शुरुआत ही शांति स्थापित करने की कल्पना से की गई थी, ऐसे में यह आज संघर्ष को रोकने में सफल क्यों नहीं होता? 

'आतंकवाद की परिभाषा तक मान्य नहीं हो पाई'

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘आखिर क्यों, संयुक्त राष्ट्र में आतंकवाद की परिभाषा तक मान्य नहीं हो पाई है? अगर आत्मचिंतन किया जाए, तो एक बात साफ है कि पिछली सदी में बनाए गए ये संस्थान, 21वीं सदी की व्यवस्था के अनुरूप नहीं हैं. वर्तमान की वास्तविकताओं को प्रदर्शित नहीं करते हैं.’ मोदी ने कहा, ‘इसलिए जरूरी है कि संयुक्त राष्ट्र जैसे बड़े संस्थानों में सुधार को मूर्त रूप दिया जाए. इन संस्थानों को ग्लोबल साउथ की आवाज भी बनना होगा, वरना हम संघर्षों को खत्म करने पर सिर्फ चर्चा ही करते रह जाएंगे. संयुक्त राष्ट्र और सुरक्षा परिषद महज बातचीत का एक मंच बनकर रह जाएंगे.’ 

यूएन में सुधार की मजबूती से वकालत करता है भारत

गौरतलब है कि भारत संयुक्त राष्ट्र में सुधार की मजबूती से वकालत करता रहा है. भारत चाहता है कि उसे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता प्राप्त हो. अभी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पांच स्थायी सदस्य- अमेरिका, रूस, चीन, ब्रिटेन और फ्रांस हैं, जिन्हें वीटो शक्ति प्राप्त है. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में 10 अस्थायी सदस्य होते हैं और इनका चयन संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा दो वर्ष के लिए होता है. 

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