धीरे-धीरे खड़ा हो रहा वैश्विक योग बाजार, किस पायदान पर है अपना हिंदुस्तान

योग और बाजार, ये दोनों अपने आप में विरोधाभाषी शब्द हैं. लेकिन ग्लोबलाइजेशन के इस दौर में बाजार के महत्व को भी नकारा नहीं जा सकता. वैसे ये अजब बात है कि योग के जनक और प्रणेता देश भारत की इतने बड़े योग बाजार में मौजूदा हिस्सेदारी तर्कसंगत नहीं लगती. ऐसे में चलिए जानते हैं कि बढ़ते वैश्वित योग का बाजार में भारत अपनी हिस्सेदारी पाने में कहां चूक रहा है ?

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