दिनभर मोबाइल-लैपटॉप चलाने से हो रहीं दिक्कतों से कैसे बचें, जानें यहां

हर क्षेत्र में गैजेट्स का इस्तेमाल अत्यधिक बढ़ गया है, जिससे हमारे स्वास्थ्य के लिए खतरा उत्पन्न हो गया है. इसके दो सबसे प्रमुख कारण हैं. पहला, गैजेट्स के कारण लोग घंटों बैठे रहते हैं. दूसरा, इनका इस्तेमाल करते समय लोग सही पॉश्चर का ध्यान भी नहीं रखते हैं. ऐसे में स्पाइन से जुड़ीं स्वास्थ्य समस्याओं के मामले लगातार बढ़ रहे हैं.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jul 28, 2022, 06:04 AM IST
  • गैजेट्स के इस्तेमाल से बढ़ रहीं स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं
  • गैजेट्स के इस्तेमाल से होने वाली समस्याओं से कैसे बचें
दिनभर मोबाइल-लैपटॉप चलाने से हो रहीं दिक्कतों से कैसे बचें, जानें यहां

नई दिल्ली: आज हम डिजिटल युग में जी रहे हैं. हर क्षेत्र में गैजेट्स का इस्तेमाल अत्यधिक बढ़ गया है, जिससे हमारे स्वास्थ्य के लिए खतरा उत्पन्न हो गया है. इसके दो सबसे प्रमुख कारण हैं. पहला, गैजेट्स के कारण लोग घंटों बैठे रहते हैं. दूसरा, इनका इस्तेमाल करते समय लोग सही पॉश्चर का ध्यान भी नहीं रखते हैं. ऐसे में स्पाइन से जुड़ीं स्वास्थ्य समस्याओं के मामले लगातार बढ़ रहे हैं.

चिंता की बात यह है कि उम्रदराज लोग ही नहीं, आजकल युवा भी तेजी से इसकी चपेट में आ रहे हैं. पिछले दो वर्षों में कोरोना महामारी के कारण गैजेट्स का इस्तेमाल और भी अधिक बढ़ गया है. पेशेवर काम, पढ़ाई, मीटिंग्स और मनोरंजन सभी गैजेट्स के द्वारा ही हो रहे हैं. घर पर ऑफिस जैसा प्रोफेशनल सेटअप और सुविधाएं तो होती नहीं हैं. ऐसे में गैजेट्स पर लगातार काम करना स्वास्थ्य के लिए खतरा उत्पन्न कर रहा है.

गैजेट्स के इस्तेमाल से बढ़ रहीं स्वास्थ्य समस्याएं
गैजेट्स के साथ अधिक समय बिताने से गर्दन, कमर और पैरों से संबंधित कई समस्याएं हो रही हैं. शारीरिक सक्रियता कम होने और गैजेट्स का इस्तेमाल बढ़ने का सीधा प्रभाव शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ रहा है.

सर्वाइकल पेन
गर्दन में दर्द होने को चिकित्सीय भाषा में सर्वाइकल पेन कहते हैं. गर्दन से होकर गुजरने वाले सर्वाइकल स्पाइन के जोड़ों और डिस्क में समस्या होने से सर्वाइकल पेन हो जाता है. यह हड्डियों और डिस्क में पतन/घिसने के कारण होने से होता है. कम्प्यूटर पर लगातार कई घंटों झुककर काम करना और मोबाइल को सिर और कंधे के बीच में फंसाकर लंबी बातें करना सर्वाइकल पेन के सबसे प्रमुख रिस्क फैक्टर बनकर उभर रहे हैं.

लोअर बैक पेन
रीढ़ की हड्डी के अलावा हमारी कमर की बनावट में कार्टिलेज (डिस्क), जोड़, मांसपेशियां, लिगामेंट आदि शामिल होते हैं. इसमें किसी के भी विकारग्रस्त होने से कमर दर्द हो सकता है. कम्प्यूटर पर लगातार एक ही स्थिति में बैठकर काम करना, एक के बाद एक कई वर्चुअल मीटिंग्स में शामिल होना, शारीरिक सक्रियता की कमी, नियमित दिनचर्या का पालन न करना कमर दर्द का कारण बन रहा है.

पैरों से संबंधित समस्याएं
घरों में प्रोफेशनल वर्क स्टेशन नहीं होने से लोग पलंग, सोफे या गद्दे पर बैठकर पैरों को फोल्ड करके काम कर रहे हैं, जिससे उन्हें पैरों से संबंधित कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. जो लोग टेबल-कुर्सी पर बैठकर काम कर रहे हैं, अगर वो लंबे समय तक पैरों को लटकाकर बैठेंगे तो न केवल कमर दर्द होने का खतरा बढ़ जाएगा, बल्कि पैरों की मांसपेशियां और तंत्रिकाएं भी क्षतिग्रस्त हो जाएंगी.

सिर दर्द
जिस तरह से इस समय हमारी निर्भरता डिजिटल माध्यम पर बढ़ती चली जा रही है, उसकी वजह से हमारा स्क्रीन टाइम भी बढ़ रहा है. इससे सिर दर्द की समस्या में भी वृद्धि हुई है, सिर के सामने और आंखों के पीछे दर्द रहना और चक्कर आना यह सब बढ़ती स्क्रीन टाइम के कारण देखा जा रहा है. इसके अतिरिक्त नींद में गड़बड़ी होना, जिसके कारण सिरदर्द रहना भी आजकल देखा जा रहा है.

वर्चुअल फटीग
कोरोना महामारी ने हमारे जीवन को बदलकर रख दिया है. आउटडोर गतिविधियां सीमित होने से लोग गैजेट्स के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिता रहे हैं. ऐसे में लोगों में वर्चुअल फटीग के मामले काफी बढ़ रहे हैं. रिसर्च के अनुसार, गैजेट्स के बढ़ते चलन और वर्चुअल मीटिंग के कारण वर्चुअल फटीग के काफी मामले सामने आ रहे थे. ब्रेनवैव पैटर्न जो तनाव और क्षमता से अधिक काम करने से संबंधित हैं, वो ऑनलाइन मीटिंग्स में होता है, क्योंकि इसमें अधिक ध्यान केंद्रित करने की जरूरत होती है, जिसके लिए लोगों को अत्यधिक ऊर्जा खर्च करनी पड़ती है.

गैजेट्स के इस्तेमाल से होने वाली समस्याओं से कैसे बचें
- जीवनशैली में बदलाव लाएं; पोषक भोजन खाएं. विशेषकर ऐसा भोजन जो कैल्शियम और विटामिन डी से भरपूर हो.
- कंप्यूटर पर काम करते समय अपना पॉश्चर अच्छा रखें.
- शारीरिक रूप से सक्रिय रहें. नियमित रूप से एक्सरसाइज और योग करें.
- मोबाइल फोन को अपने कान और कंधे के बीच में फंसा कर बात न करें.
- गैजेट्स के अत्यधिक इस्तेमाल से बचें.
- चाय और कैफीन का सेवन कम करें, क्योंकि इनसे कैल्शियम का अवशोषण प्रभावित होता है.
- पैदल चलने की कोशिश करें; पैदल चलना बोन मास को बढ़ाने में सहायक है.
- हर दो घंटे के बाद एक ब्रेक लें. नियमित रूप से ब्रेक लेना अपनी आदत बना लें. कुछ मिनट ऑफिस या घर में इधर-उधर चहलकदमी कर लें, थोड़ी सी स्ट्रेचिंग कर लें, इससे आपकी मांसपेशियों और जोड़ों को आराम मिलेगा.

यह भी पढ़ें: PM Kisan Yojana: बस इन्हीं किसानों को मिलेंगे 2 हजार रुपये, 12वीं किस्त चाहिए तो 5 दिन में निपटा लें ये काम

Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.

ट्रेंडिंग न्यूज़