समुद्र की सतह पर भी दिखा रहा क्लाइमेट चेंज का असर, धीरे-धीरे सफेद रंग में तब्दील हो रहे कोरल

'नेशनल ओशनिक एंड एटमोस्फियरिक एडमिनिस्ट्रेशन' ने विश्व स्तर पर वैज्ञानिकों से कई हफ्तों तक रिपोर्ट लेने के बाद अटलांटिक, पैसिफिक और इंडियन ओशन में बड़े पैमाने पर तनाव होने की पुष्टि की. वैज्ञानिकों के मुताबिक भले ही सफेद कोरल दिखने में सुंदर लगते हों, लेकिन ये बीमार पड़ रहे हैं और अंदर से सड़ रहे हैं.  

Written by - Shruti Kaul | Last Updated : Apr 16, 2024, 05:10 PM IST
  • समुद्र में भी पड़ रहा क्लाइमेट चेंज का असर
  • तापमान के कारण सफेद हो रहा कोरल का रंग
समुद्र की सतह पर भी दिखा रहा क्लाइमेट चेंज का असर, धीरे-धीरे सफेद रंग में तब्दील हो रहे कोरल

नई दिल्ली: अमेरिका की 'नेशनल ओशनिक एंड एटमोस्फियरिक एडमिनिस्ट्रेशन' (NOAA) के मुताबिक समुद्र के भीतर मौजूद कोरल में ब्लींचिंग हो रही है, जिससे इनका रंग धीरे-धीरे सफेद पड़ रहा है. 'NOAA' के मुताबिक तनाव के कारण कोरल में ब्लीचिंग होती है. वहीं समुद्र का पानी बेहद गर्म होने के कारण इनका रंग सफेद पड़ने लगता है. बता दें कि कोरल समुद्री जीवों के लिए घर का काम करता है. इसके अलावा यह जीवों को बाढ़ और तूफान से बचाने में भी मदद करते हैं.   

पानी के बढ़ते तापमान ने बढ़ाई परेशानी 
'नेशनल ओशनिक एंड एटमोस्फियरिक एडमिनिस्ट्रेशन' ने विश्व स्तर पर वैज्ञानिकों से कई हफ्तों तक रिपोर्ट लेने के बाद अटलांटिक, पैसिफिक और इंडियन ओशन में बड़े पैमाने पर तनाव होने की पुष्टि की. वैज्ञानिकों के मुताबिक भले ही सफेद कोरल दिखने में सुंदर लगते हों, लेकिन ये बीमार पड़ रहे हैं और अंदर से सड़ रहे हैं. US,ऑस्ट्रेलिया, केन्या और ब्राजील के वैज्ञानिकों ने 'BBC' के साथ बातचीत में बताया कि उन्हें बेहद निराशा महसूस हो रही है और गुस्सा आ रहा है कि उन्होंने कोरल को गर्म महासागरों के कारण खतरे में या खत्म होते हुए देखा है. बता दें कि समुद्र में मौजूद एलगी कोरल को रंग-बिरंगा रखने में मदद करते हैं. पानी का तापमान बढ़ने के कारण कारण एलगी कोरल से बाहर निकल जाते हैं, जिससे इनका रंग निकलने लगता है और ये मरने लगते हैं. 

कोरल के खराब होने का वॉर्निंग साइन
'BBC' के मुताबिक कोरल के खराब होने का पहला वॉर्निंग साइन पिछले साल यानी 2023 में  कैरिबियन में मिला था, जब समुद्र में नहाने वालों ने पाया कि फ्लोरिडा के तट पर एक हॉट टब जितना गर्म पानी था. 'BBC' के मुताबिक यह गर्मी दक्षिणी गोलार्ध में चली गई है. वहीं इसने अबतक दुनियाभर के आधे से ज्यादा कोरलों को नुकसान पहुंचाया है, जिसमें ऑस्ट्रेलिया के ग्रेट बैरियर रीफ और मॉरीशस, ब्राजील,तंजानिया, पैसिफिक आइलैंड, रेड सी और फारस की खाड़ी भी शामिल है. 

मछलियों पर भी असर डाल रहा कोरल का रंग 
साल 2023 के अगस्त में ग्लोबल एवरेज ओशन टेंपरेचर ने अपना सर्वकालिक रिकॉर्ड तोड़ा था. तभी से यह तापमान लगभग हर दिन बढ़ते ही जा रहा है.  'BBC' के मुताबिक क्लाइमेट चेंज के कारण समुद्र की सतह का तापमान बढ़ रहा है क्योंकि जब हम कोयला, गैस और तेल जलाते हैं तो इनसे निकलने वाली गर्म गैस को महासागर अवशोषित कर लेते हैं. केन्या के इकोलॉजिस्ट डेविड ओबुरा के मुताबिक कोरल का मरना समुद्र में मौजूद मछलियों के डाइट पैटर्न को प्रभावित करता है. 

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