नई दिल्ली: Kumar Vishwas Life changing book: कुमार विश्वास देश के जाने-माने शायर रहे हैं. उन्होंने कई कविताएं लिखी हैं, जिनके लोग दीवाने हैं. कुमार की सबसे प्रसिद्ध कविता 'कोई दीवाना कहता है' है. कुमार विश्वास आज भले देश-विदेश में फेमस हो गए हैं, उनके लाखों चाहने वाले हैं, लेकिन समय ऐसा भी था जब उनके पिता चाहते थे कि वे इंजीनियर बनें. लेकिन फिर कुमार ने एक ऐसी किताब पढ़ी, जिसने उनकी जिंदगी बदल दी.
पिता चाहते थे- इंजीनियर बने
यूपी के पिलखुवा में जन्मे कुमार विश्वास के पिता डॉ. चंद्रपाल शर्मा हिंदी के प्रोफेसर हुआ करते. घर में शुरू से ही साहित्य का माहौल था. कुमार का झुकाव भी इसी तरफ था. लेकिन 12वीं के बाद कुमार के पिता ने उनका दाखिला एक इंजीनियरिंग कॉलेज में करवा दिया.
1 रुपये की किताब
कुमार विश्वास ने एक इंटरव्यू में बताया कि वे बेमन से वहां पढ़ते थे. जब फर्स्ट ईयर में मिड ब्रेक हुआ, तो उनका रूम मेट अपने घर पंजाब चला गया. उसके जाने के बाद कुमार को उसके सामान में एक किताब दिखी. ये किताब रजनीश ने लिखी थी, इसका नाम था 'माटी कहे कुम्हार से'. कुमार ने बताया कि तब इस किताब की कीमत 1 रुपया थी.
किताब में क्या लिखा था?
दरअसल, इस किताब में कहीं पर लिखा था कि अपने अंदर की आवाज सुनें, इसके खिलाफ मत जाइए. खुद की आवाज के खिलाफ जाने का अर्थ है, ईश्वर के खिलाफ जाना. किताब पढ़ने के बाद कुमार ने सोचा कि मेरे अंदर की आवाज क्या कहती है. उनके अंदर की आवाज ये थी कि वे साहित्य पढ़ना चाहते हैं. फिर कुमार ने अपना सारा सामान बांधा और घर पहुंच गए.
फिर बन गए कवि
कुमार के घर पहुंचे ही हंगामा हो गया. जब उन्होंने अपने पिता को अपनी इच्छा बताई तो वे नाराज हो गए. फिर कुमार के पिता ने कहा कि तुम्हें जो करना है अपने खर्चे से करना. कुमार ने हिंदी लिटरेचर में ग्रेजुएशन किया. इस दौरान वे कवि सम्मेलनों में जाने लगे थे, कविता कहने लगे थे. देखते ही देखते वे देश के नामी कवि बन गए. यदि कुमार के हाथ उस दिन वो किताब न लगती तो शायद ही वे इंजीनियरिंग छोड़ पाते.
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