Rohit Sharma Captaincy: आखिरी बार जब भारतीय टीम ने यूएई की सरजमीं पर कदम रखा था तो वो वहां पर विराट कोहली की कप्तानी में टी20 का विश्वकप खेलने पहुंची थी. 2021 में खेला गया यह टूर्नामेंट भारतीय टीम के लिहाज से बिल्कुल भी अच्छा नहीं रहा था क्योंकि टीम को यहां पर पहले पाकिस्तान और फिर न्यूजीलैंड की टीम के हाथों हार का सामना करना पड़ा जिसके चलते वो सेमीफाइनल में क्वालिफाई नहीं कर सकी. टूर्नामेंट के बाद भारतीय टीम मैनेजमेंट में बदलाव हुआ और टीम की कमान रोहित शर्मा को सौंप दी गई.
रोहित शर्मा के कप्तानी संभालने के बाद से ही भारतीय टीम का रंग बदल गया और उसने उनकी कप्तानी में अब तक एक भी सीरीज नहीं गंवाई है. ऐसे में यह सवाल उठता है कि आखिरकार रोहित शर्मा की कप्तानी में ऐसा क्या बदला जिसके चलते भारतीय टीम को लगातार जीत मिल रही है. आइये एक नजर भारतीय टीम में आये उन बदलावों पर डालें जो रोहित की कप्तानी के बाद देखने को मिले हैं.
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ज्यादा आक्रामक क्रिकेट खेल रहा है भारत
रोहित शर्मा की कप्तानी में भारतीय टीम ने ज्यादा आक्रामक खेलना शुरू कर दिया है. भारतीय टीम की यह एप्रोच न सिर्फ बल्लेबाजी में बल्कि फील्डिंग और गेंदबाजी में भी नजर आती है, जिसके चलते भारतीय टीम बैकफुट पर नहीं जाती है बल्कि विपक्षी टीम को खुद पर हावी ही नहीं होने देती है. उसका यह अंदाज इंग्लैंड में खत्म हुई द्वीपक्षीय सीरीज और एशिया कप में पाकिस्तान के खिलाफ खेले गये मैच में भी देखने को मिला.
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टॉप ऑर्डर फ्लॉप होने से नहीं पड़ता फर्क
2013 के बाद से भारतीय टीम के आईसीसी टूर्नामेंट का खिताब नहीं जीत पाने का सबसे बड़ा कारण टॉप ऑर्डर का फ्लॉप रहना है. भारतीय टीम का टॉप ऑर्डर अक्सर नॉकआउट मैचों में लड़खड़ा जाता था और मध्यक्रम वो योगदान नहीं दे पाता था जिसकी टीम को दरकार होती थी. हालांकि रोहित शर्मा की कप्तानी में कई बार देखने को मिला की टॉप ऑर्डर फ्लॉप भी रहा है तो जिम्मेदारी मध्यक्रम ने ली और मुश्किल से बाहर निकालकर टीम को मैच जिताया. पाकिस्तान के खिलाफ जब केएल राहुल पहले ही ओवर में आउट हो गये थे तो पहले रोहित-कोहली ने साझेदारी कर टीम को संभाला और जब दोनों का विकेट एक ओवर के अंतराल में गिरा तो फिर जडेजा, सूर्यकुमार और हार्दिक ने जिम्मेदारी लेकर टीम को जीत दिलाने का काम किया.
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8 नंबर तक बल्लेबाजी हुई मजबूत
रोहित शर्मा के आने के बाद भारतीय टीम में ऑलराउंडर्स की संख्या बढ़ी है, साथ ही टीम के गेंदबाज भी बल्लेबाजी स्किल्स पर ध्यान देने लगे हैं. दीपक चाहर, शार्दुल ठाकुर, हर्षल पटेल और खुद जसप्रीत बुमराह भी बल्ले से रन बना रहे हैं. ऐसे में अगर किसी मुश्किल दौर में भारतीय टीम को गेंदबाजों से बैटिंग में योगदान की दरकार होती है तो वो भी मिलता है और भारतीय टीम एक चैलेंजिंग स्कोर देने में कामयाब हो जाती है.
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पावरप्ले में विकेट लेने वाले गेंदबाजों की संख्या बढ़ी
पिछले साल टी20 विश्वकप में भारत के नाकाम होने का सबसे बड़ा कारण था कि उसके गेंदबाज पावरप्ले में विकेट चटकाने में नाकाम रहे थे. लेकिन रोहित शर्मा के आने के बाद यह मुश्किल भी दूर हुई है. भारतीय टीम के बॉलर्स ने पावरप्ले में विकेट हासिल करना शुरू कर दिया है. चोट से वापसी कर रहे भुवनेश्वर कुमार, दीपक चाहर, आवेश खान, अर्शदीप सिंह, जसप्रीत बुमराह, हर्षल पटेल समेत कई गेंदबाजी विकल्प इस समय टीम के पास हैं जो कि पावरप्ले में विकेट हासिल करने की काबिलियत रखते हैं. पाकिस्तान के खिलाफ भी भारतीय गेंदबाजों ने पावरप्ले में दो विकेट हासिल किये जिसके चलते पाकिस्तान की टीम बड़ा स्कोर खड़ा करने में नाकाम रही.
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