कांग्रेस में आलाकमान से तकरार जारी, गुलाम नबी आजाद ने गांधी परिवार को लिया आड़े हाथ

कांग्रेस में अंदरूनी कलह थम नहीं रही है. शीर्ष नेतृत्व से वरिष्ठ नेताओं की तकरार जारी है. गांधी परिवार पर अप्रत्यक्ष रूप से गुलाम नबी आजाद ने करारा हमला बोला है.  

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Aug 28, 2020, 01:36 PM IST
    • संगठन के चुनाव नहीं हुए तो झेलना होगा ऐतिहासिक नुकसान- आजाद
    • चिट्ठी लिखने वाले उन 23 नेताओं में शामिल हैं गुलाम नबी आजाद
कांग्रेस में आलाकमान से तकरार जारी, गुलाम नबी आजाद ने गांधी परिवार को लिया आड़े हाथ

नई दिल्ली: कांग्रेस को पिछले एक साल से अपना पूर्णकालिक अध्यक्ष नहीं मिला है. अंदरुनी कलह और सियासी लालच में फंसा शीर्ष नेतृत्व लगातार एक परिवार के लिए पार्टी को दांव पर लगा रहा है. गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस की इसी कमी पर करारा प्रहार किया है. राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि अगर कांग्रेस नहीं सुधरी तो आने वाले 50 सालों तक विपक्ष में ही रहेगी.

संगठन के चुनाव नहीं हुए तो झेलना होगा ऐतिहासिक नुकसान- आजाद

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और विपक्ष की सबसे अहम आवाज गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस के आलाकमान पर हमला बोलते हुए कहा कि जो अधिकारी या राज्य इकाई के अध्यक्ष,जिला अध्यक्ष हमारे प्रस्ताव का विरोध कर रहे हैं उन्हें मालूम है कि चुनाव होने पर वे कहीं नहीं होंगे. यदि संगठन में बदलाव नहीं हुआ तो कांग्रेस अगले 50 वर्षों तक विपक्ष में बैठी रहेगी.

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चिट्ठी लिखने वाले उन 23 नेताओं में शामिल हैं गुलाम नबी आजाद

गुलाम नबी आजाद इस समय कांग्रेस के अंदरूनी कार्यो से बहुत खफा हैं और वे राहुल गांधी के कार्यकलापों पर भी नाराज हैं. गुलाम नबी आजाद उन नेताओं में शामिल हैं जिन्होंने कांग्रेस में पूर्णकालिक अध्यक्ष की मांग की थी. सोनिया गांधी को लिखे गए असहमति पत्र पर हस्ताक्षर करने के कारण पार्टी में अलग-थलग किए जाने के चार दिन बाद उन्होंने पार्टी नेतृत्व को एक और संदेश दिया.

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आपको बता दें कि सांसद और पूर्व मंत्रियों सहित 23 कांग्रेस नेताओं द्वारा अंतरिम पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी को लिखे गए पत्र में व्यापक सुधार, निष्पक्ष आंतरिक चुनाव, सामूहिक निर्णय लेने और पूर्णकालिक अध्यक्ष की मांग की गई थी। हालांकि इस पत्र को राहुल गांधी के ऊपर एक हमले के रूप में देखा गया, जिन्होंने पिछले साल कांग्रेस की चुनावी हार के बाद अध्यक्ष पद छोड़ दिया था.

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