Movies based on LGBTQ बॉलीवुड में है तरह की फिल्में बनाई जाती हैं. कभी हॉरर तो कभी रोमांटिक तो कभी सस्पेंस थ्रिलर. मगर आज हम आपको एक ऐसे सब्जेक्ट पर आधारित फिल्मों के बारे में बताने जा रहे हैं जिसपर शायद अभी आपकी नजर गई नहीं है.
नई दिल्ली: Movies based on LGBTQ: एलजीबीटीक्यू+ समुदाय को लेकर पहले भी बनती रहती हैं. हिंदी सिनेमा हो या साउथ सिनेमा, अब फिल्मों का दायरा काफी बढ़ गया है. आज हम आपके लिए लाए हैं कुछ बढ़िया एलजीबीटीक्यू+ शोज और फिल्मों की लिस्ट लाए हैं जिन्हें आपको जरूर देखना चाहिए.
इसके अलावा हम आपके लिए एक विदेशी शो का रेकमेंडेशन भी लाए जिसका नाम है हार्टस्टॉपर. इस शो की कहानी फेमस लेखक Alice Oseman की फैन फिक्शन किताब से ली गई है. ये शो आपको काफी पसंद आएगा जिसमें चार्ली स्प्रिंग्स और निक नेल्सन के क्यूट रोमांस को दिखाया गया है. इस शो में LGBT कम्युनिटी को बड़े ही अच्छे ढंग में रिप्रेजेंट किया गया है, जिससे यंग दर्शक आसानी से जुड़ सकते हैं.
हंसल मेहता के निर्देशन में बनीं ये फिल्म सच्ची घटनाओं पर आधारित है जो अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से जुड़ी है. फिल्म में मनोज बाजपेयी ने बड़ी खुबसूरती किरदार को सामने रखने की कोशिश की है जिसे उनकी समलैंगिकता के कारण यूनिवर्सिटी से बेदखल कर दिया जाता है. फिल्म में मनोज के साथ राजकुमार राव ने अहम भुमिका निभाई है.
ओनीर की फिल्म डॉमिनिक डी सूजा के जीवन पर आधारित है. बता दें कि डॉमिनिक को साल 1989 में एड्स संक्रमित होने की वजह से गिरफ़्तार कर लिया गया था. उस दौरान ये बीमारी किसी गुनाह से कम की तरह नहीं देखी जाती थी. फिल्म में स्विमिंग पियन निखिल कपूर के एचआईवी संक्रमित पाए जाने के बाद उसे अपनी टीम और अपने घर दोनों से निकाल दिया जाता है. जब पूरी दुनिया उसका साथ छोड़ देती है तब उसके लिए उसका बॉयफ्रेंड और बहन सहारा बनते हैं.
Zee5 पर निर्देशक फारुख कबीर की इस फिल्म में मोहम्मद जीशान अय्यूब, शशांक अरोड़ा, मानवी गागरू जैसे कलकारों ने काम किया है. फ़िल्म विभिन्न परिस्थितियों से आने वाले कुछ लोगों के बारे में है जो एलजीबीटीक्यू के अधिकारों के लिए लड़ने के लिए एक साथ खड़े होते हैं.
शोनाली बोस की यह फिल्म यौनिकता और विकलांगता के कई अनदेखे और अनसुने पहलुओं के दिखाने की कोशिश करती है. कहानी सेरीब्रल पॉलसी ग्रस्त लैला की है जो खुद की खोज में निकलती है. अपनी ज़िंदगी में वह जिनसे रिश्ता जोड़ती है उनमें से एक से वो जुड़ सी जाती है. दोनों के रिश्ते की हर छोटी-बड़ी बात दिल को छू जाती है. यह फ़िल्म एचआईवी/एड्स और यौनिकता के मुद्दों बड़े ही सहज ढंग में सामने रखने की कोशिश करती है.