Happy Rose Day Shayari: शायरों की जुबां से सुनिए गुलाब की तारीफ

Rose यानी गुलाब. गुलशन में एक गुल खिला और न जाने कब इश्क की दास्तान बन गया पता ही नहीं चला. किसी का भरोसा बनना हो, प्यार जताना हो, जिंदगी भर का साथ का वादा निभाना हो या फिर कदम दर कदम हम राही बनने की कसमें खानी हों, प्रेमियों ने गुलाब (Happy Rose Day) का एक फूल हाथ में लिया और सारी बातें कह डालीं. जो न कह सके उन्हें गुलाब (Rose) ने जता दिया. शायरों की कलम भी बाग तक गई तो  गुलाब पर ठहर गई. मीर तो बोल ही पड़े नाजुकी उसके लब की क्या कहिए, पंखुड़ी एक गुलाब की सी है. इस Rose Day के मौके पर आप भी अपने दिल की बात नहीं कह पा रहे हैं तो शायरों के ये कलाम आपके काम आ सकते हैं.

 

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अहमद फराज ने जैसे स्याही में गुलाब जल मिला लिया हो, कागज पर इसकी रंगत खूब खिलकर आई है.

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शहरयार को समझ ही न आए गुलाब के किस्से, वह तो इसे करिश्मा ही मान बैठे हैं

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सरदार सलीम ने गुलाब लिख देने भर को गंगा जल सा माना है, गुलाब देने की तो बात ही क्या

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मजहर इमाम की तो बात ही क्या, उन्होंने इश्क के जुर्म में गुलाब को भी हमसाथी मान लिया है

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जफर इकबाल के अल्फाज भी गुलाब पर आकर अटक गए, उन्होंने क्या खूब कहा है.

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मुनीर नियाजी के चमन में तो इतने गुलाब खिले हैं कि वे कुछ और देखना ही नहीं चाहते

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हफीज बनारसी ने क्या खूब लिखा है गुलाब की तारीफ में, पढ़कर मजा ही आ जाता है