दाउद का घर कब तोड़ेगी उद्धव सरकार?

इस सवाल से पहले ये सवाल भी पैदा होता है कि क्या हो सकता है अंजाम अगर उद्धव ठाकरे दाऊद का घर तुड़वा देते हैं भिंडी बाजार में?..

Written by - Parijat Tripathi | Last Updated : Sep 12, 2020, 06:16 AM IST
    • नीलाम नाकाम तो निर्माण गिराया क्यों नहीं?
    • हर नीलामी कैसे नाकाम हुई?
    • हाजी हबीब मुसाफिरखाना क्यों नहीं गिराया?
दाउद का घर कब तोड़ेगी उद्धव सरकार?

नई दिल्ली.  अवैध निर्माण को तोड़ने पर उतारू बीएमसी को दाऊद से डर क्यों लगता है? अगर डर नहीं लगता है तो क्यों नहीं तोड़ा है दाऊद का भिंडी बाज़ार वाला घर उद्धव सरकार ने? अगर दाऊद से कोई डर है तो अपनी सिक्योरिटी बढ़ा सकते हैं मुख्यमंत्री ठाकरे. ऐसे में विपक्षियों ये सुनना बाला साहेब वाली शिव सेना के लोगों के लिए अजीब सा लगेगा कि सीएम उद्धव ठाकरे दाऊद से डरते हैं और इसीलिए मांग उठने के बाद भी मुख्यमंत्री भिंडी बाजार वाले दाऊद के अमीरखाने को नहीं तुड़वा रहे हैं.

नीलाम नाकाम तो निर्माण गिराया क्यों नहीं?

1993 मुंबई विस्फोट की पड़ताल करते समय सीबीआई ने इस खूनी काण्ड के अपराधी दाऊद इब्राहिम कासकर की कुल दस सम्पत्तियां जब्त की थीं. उसके बाद से अब तक इन दाउदी सम्पत्तियों की नीलामी की कोशिश कई सालों से चल रही है. मुंबई में दाऊद की तीन सम्पत्तियां नीलाम तो हुई पर खरीदने वालों को मिल नहीं पाईं और खरीदने वालों को कब्जा दिलाने के लिए सरकारी तौर पर भी कोई मदद नहीं की गई. ऐसी हालत में अगर नीलामी नाकाम है तो इन अवैध सम्पत्तियों पर बुलडोज़र क्यों नहीं चलाया जाता? 

नीलामी कैसे नाकाम हुई?

मुंबई में तीन साल पहले वर्ष 2017 में दाऊद की तीन सम्पत्तियां सैफी बुरहानी अपलिफ्टमेंट ट्रस्ट ने खरीद ली थीं जिनमे दाऊद का अफरोज होटल भी शामिल था. इसके भी पहले 2015 में पूर्व पत्रकार बालाकृष्णन ने दाऊद इब्राहिम के खौफ को चुनौती दी और ऐलान करके दाऊद के रौनक अफरोज़ होटल को नीलामी में खरीदा था. उन्होंने 4 करोड़ से भी बड़ी बोली लगाकर बाजी मारी थी. फिर उसके बाद परदे के पीछे कुछ ऐसा हुआ कि वे 'चाहे-अनचाहे' निर्धारित समय सीमा पर निर्धारित धन राशि जमा नहीं कर पाए. उसके बाद नीलामी रद्द हो गई. इतना ही नहीं उनकी जमानत राशि के तीस लाख रुपये भी जब्त हो गए. और पहले जाएं तो इसके भी बारह वर्ष पूर्व 2003 में दिल्ली के अजय श्रीवास्तव ने नीलामी में  दाउद की एक संपत्ति जीती थी पर उनको भी आज तक उसका कब्जा नहीं मिल पाया है. 

हाजी हबीब मुसाफिरखाना क्यों नहीं गिराया?

यदि उपरोक्त सम्पत्तियां कानूनी बहाने बना कर बचाई जाती रही हैं तो कम से कम भिन्डी बाजार स्थित हाजी हबीब मुसाफिर खाने का मामला तो साफ था, इसको तो गिराया ही जा सकता था. आतंकी दाऊद का ये ऐशगाह जिसमे कभी दाऊद ने शरण ली थी, अभी तक शान से खड़ा हुआ है. 2019 में इस इमारत को गिराने के लिए आया हाईकोर्ट का फैसला काफी था किन्तु इसके बाद भी अंदर की कहानियां कुछ ऐसी चलीं कि आज तक हाईकोर्ट के फैसले पर अमल नहीं हुआ है. अभी तक यदि कोरोना का बहाना था तो अब कंगना रनौत का घर गिराते समय कोरोना क्यों नहीं दिखा बीएमसी को?  

ये भी पढ़ें. दादी नहीं बगदादी हूं मैं - 81 वर्षीया दादी ने किया पोल डान्स

 

ट्रेंडिंग न्यूज़