BJP में पहली बार इतनी माथापच्ची, 5 दिन बाद भी क्यों नहीं बने तीनों राज्यों में CM?

Who Will be CM:  ऐसा पहली बार है, जब भाजपा को मुख्यमंत्री का नाम तय करने में इतनी माथापच्ची करनी पड़ रही है. पहले भी राज्यों में मुख्यमंत्री का नाम तय करने में पार्टी ने समय लिया है, लेकिन इस बाद एक बाद एक मीटिंग, प्रदेश नेताओं को बार-बार तलब करना, और मीडिया के सामने चुप्पी समेत कई ऐसी चीजें देखने को मिल रही हैं, जो पहले नहीं देखी गईं.

Written by - Ronak Bhaira | Last Updated : Dec 8, 2023, 08:44 AM IST
  • स्थापित चेहरों को हटाना चुनौती
  • तीनों राज्यों के CM पर सस्पेंस
BJP में पहली बार इतनी माथापच्ची, 5 दिन बाद भी क्यों नहीं बने तीनों राज्यों में CM?

नई दिल्ली: Who Will be CM: तीन राज्यों में भाजपा को पूर्ण बहुमत मिला है, फिर भी पार्टी अभी तक मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान नहीं कर सकी है. राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के परिणाम 3 दिसंबर को जारी हुए थे. करीब 5 दिन बीत जाने के बाद भी पार्टी किसी नतीजे पर नहीं पहुंची है. यदि पहुंची भी है तो अब तक किसी नाम का ऐलान नहीं कर सकी है. ऐसा पहली बार है, जब भाजपा को मुख्यमंत्री का नाम तय करने में इतनी माथापच्ची करनी पड़ रही है. पहले भी राज्यों में मुख्यमंत्री का नाम तय करने में पार्टी ने समय लिया है, लेकिन इस बाद एक बाद एक मीटिंग, प्रदेश नेताओं को बार-बार तलब करना, और मीडिया के सामने चुप्पी समेत कई ऐसी चीजें देखने को मिल रही हैं, जो पहले नहीं देखी गईं.

अब तक क्यों नहीं बन पाए तीन राज्यों के CM?
हर राज्य की राजनीति परिस्थिति अलग-अलग है. लेकिन तीनों राज्यों में एक बड़ी समानता ये है कि पार्टी पुरानें चेहरों को दरकिनार कर नई लीडरशिप लाना चाह रही है. राजस्थान में वसुंधरा राजे, मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान और छत्तीसगढ़ में डॉ रमन सिंह मुख्यमंत्री रह चुके हैं. तीनों ही स्थापित चेहरे हैं. इन्हें हटाने में भी जोखिम हो सकते हैं. लिहाजा पार्टी हर पहलू पर विचार कर रही है. 

राजस्थान: पूर्व सीएम वसुंधरा राजे दो बार राज्य की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं. उनके कई समर्थक विधायकों ने भी चुनाव जीता है. पार्टी को उन्हें साइडलाइन करने दिक्कत हो रही है. वसुंधरा पहले भी आलाकमान से बगावत कर चुकी हैं. राजनाथ सिंह पार्टी अध्यक्ष रहते हुए वसुंधरा ने बड़ी संख्या में विधाकों के साथ इस्तीफे देने की बात भी कही थी. लेकिन डैमेज कंट्रोल किया गया. ऐसे में पार्टी वो स्थिति फिर से पैदा नहीं करना चाह रही. वसुंधरा के अलावा राज्य में दूसरा लोकप्रिय चेहरा नहीं है. ऐसे मेने 2024 के लिए पार्टी रिस्क नहीं लेना छह रही. लिहाजा, जो भी फैसला हो, उसमें वसुंधरा की सहमति जरूरी है. 

मध्य प्रदेश: शिवराज सिंह चौहां साल 2005 से मुख्यमंत्री हैं. बीच में दो-ढ़ाई साल के लिए कांग्रेस की सरकार बनी, इसके अलावा वो ही सीएम रहे. मध्य प्रदेश में भाजपा के पास ज्योतिरादित्य सिंधिया, प्रहलाद पटेल, नरेंद्र तोमर और कैलाश विजयवर्गीय समेत कई चेहरे हैं. लेकिन शिवराज की 'मामा' वाली छवि का कोई दूसरा नेता नहीं है, जो डायरेक्ट पब्ल्कि से कनेक्ट करे. सिंधिया के अलावा इन सबकी उम्र भी करीब-करीब शिवराज जितनी ही है, इसलिए पार्टी के पासे यंग लीडरशिप की कमी है. मप्र में भाजपा के कई बड़े नेता हैं, इसलिए गुट भी ज्यादा हैं. शिवराज सभी गुटों को साथ लेकर चलने वाले नेता हैं, ऐसे में किसी दूसरे नेता पर बाजी खेलना भी पार्टी को नुकसान दे सकता है.

छत्तीसगढ़: डॉ रमन सिंह भले राज्य के पॉपुलर फेस नहीं हैं, लेकिन उनकी राजनीतिक पैठ बहुत मजबूत है. कई विधायक और नेता उनके समर्थक हैं. यदि यहां किसी नए चेहरे को सत्ता सौंपी जाती है तो रमन सिंह को एडजस्ट करना बेहद जरूरी है. वे पहले से सीएम रहे हैं, अब मंत्री तो बन नहीं सकते. इसलिए पार्टी को उनके लिए सम्मानजनक पद भी देखना होगा.  

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