'नूपुर शर्मा को देश से माफी मांगनी चाहिए', सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी; 5 बड़ी बातें

नूपुर शर्मा की विवादित टिप्पणी पर सुप्रीम कोर्ट सख्त रुख अख्तियार किया है. उदयपुर समेत देश में भावनाएं भड़काने के लिए जिम्मेदार ठहराया. अदालत ने कहा- नूपुर शर्मा देश से माफी मांगे. कोर्ट ने उन्हें राहत देने से इनकार कर दिया.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jul 1, 2022, 12:47 PM IST
  • SC में नूपुर की याचिका पर सुनवाई
  • देशभर में भावनाओं को भड़काया- SC
'नूपुर शर्मा को देश से माफी मांगनी चाहिए', सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी; 5 बड़ी बातें

नई दिल्ली: पैगम्बर मोहम्मद को लेकर टिप्पणी पर देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने नाराजगी जाहिर की है. अदालत ने कहा कि उसकी टिप्पणी ने देश भर में लोगो की भावनाओं को भड़का दिया है.

'नूपुर को देश से माफी मांगनी चाहिए'

सुप्रीम कोर्ट ने नूपुर शर्मा को लताड़ लगाते हुए कहा है कि 'आज जो कुछ देश में हो रहा है, उसके लिए वो जिम्मेदार है.' कोर्ट ने कहा कि हमने डिबेट को देखा है. उसको भड़काने की कोशिश की, लेकिन उसके बाद उसने जो कुछ कहा, वो शर्मनाक है.

कोर्ट ने कहा कि 'उसे पूरे देश से माफी मांगनी चाहिए.' अदालत ने नूपुर शर्मा की याचिका पर राहत देने से साफ इनकार कर दिया. नूपुर शर्मा ने अपनी याचिका वापस ली.

सुप्रीम कोर्ट की 5 बड़ी बातें

1). नूपुर की टिप्पणी से भावनाएं भड़की
2). नूपुर को देश से माफी मांगनी चाहिए
3). नूपुर की वजह से उदयपुर जैसी घटना
4). प्रवक्ता हैं तो कुछ भी नहीं कह सकते
5). टिप्पणी सुरक्षा के लिए खतरा बन गई

पैंगम्बर मोहम्मद को लेकर टिप्पणी करने के चलते बीजेपी से निलंबित नेता नूपुर शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर अपने खिलाफ अलग-अलग राज्यों में दर्ज मामलों को दिल्ली ट्रांसफर करने की मांग की है. नूपुर का कहना है कि उन्हें लगातार हत्या और रेप की धमकी मिल रही है. ऐसी सूरत में उनके लिए जांच में सहयोग के लिए अलग-अलग शहरों में जा पाना संभव नहीं है.

न्यायालय ने कहा कि शर्मा ने पैगंबर के खिलाफ टिप्पणी या तो सस्ता प्रचार पाने के लिए या किसी राजनीतिक एजेंडे के तहत या किसी घृणित गतिविधि के तहत की.

नूपुर शर्मा की याचिका पर विचार करने से इनकार

न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की अवकाशकालीन पीठ ने पैगंबर के खिलाफ टिप्पणी के लिए विभिन्न राज्यों में दर्ज प्राथमिकियों को एक साथ जोड़ने की शर्मा की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया और उन्हें याचिका वापस लेने की अनुमति दी.

पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा, 'ये बयान बहुत व्यथित करने वाले हैं और इनसे अहंकार की बू आती है. इस प्रकार के बयान देने से उनका क्या मतलब है? इन बयानों के कारण देश में दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं हुईं... ये लोग धार्मिक नहीं हैं. वे अन्य धर्मों का सम्मान नहीं करते. ये टिप्पणियां या तो सस्ता प्रचार पाने के लिए की गईं अथवा किसी राजनीतिक एजेंडे या घृणित गतिविधि के तहत की गईं.'

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