नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मंत्रिमंडल में बड़ा बदलाव करते हुए किरेन रिजिजू को कानून मंत्री के पद से हटा दिया है. उनकी जगह पर अब अर्जुन राम मेघवाल को कानून मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई है. बताया जा रहा है कि न्यायपालिका से लगातार टकराव की मुद्रा में रहने के कारण किरेन रिजिजू से कानून मंत्रालय छीना गया है. चुनावी वर्ष में सरकार न्यायपालिका से टकराव नहीं चाहती है.
क्यों बदला गया किरेन रिजिजू का मंत्रालय?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सलाह पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मोदी कैबिनेट में इस बदलाव को मंजूरी दे दी है. इस नए बदलाव के मुताबिक अब तक कानून एवं न्याय मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाल रहे किरेन रिजिजू को अब भू (पृथ्वी) विज्ञान मंत्रालय सौंपा गया है. रिजिजू की जगह पर अब अर्जुन राम मेघवाल कानून एवं न्याय मंत्रालय की जिम्मेदारी संभालेंगे. उन्हें उनके मौजूदा मंत्रालय के साथ-साथ कानून और न्याय मंत्रालय में राज्य मंत्री के तौर पर स्वतंत्र प्रभार सौंपा गया है.
कानून और न्याय जैसे अहम मंत्रालय का जिम्मा संभाल रहे किरेन रिजिजू को इस तरह से अचानक हटाने को बहुत बड़ा और चौंकाने वाला फैसला माना जा रहा है. सूत्रों के मुताबिक, न्यायपालिका और खासकर सुप्रीम कोर्ट के साथ लगातार टकराव में रहने के कारण ही किरेन रिजिजू से कानून मंत्रालय छीना गया है.
कॉलेजियम व्यवस्था की करते रहे हैं आलोचना!
कानून मंत्री बनने के बाद से ही किरेन रिजिजू लगातार सार्वजनिक तौर पर जजों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम व्यवस्था की खुल कर आलोचना करते रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट और जजों को लेकर उनके कई बयान काफी विवादों में रहे. सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ उनके द्वारा खुल कर की जा रही टिप्पणियों से सरकार और सुप्रीम कोर्ट के संबंध लगातार खराब होते जा रहे थे और देश के साथ-साथ पूरी दुनिया में यह संदेश जा रहा था कि भारत सरकार न्यायपालिका के साथ टकराव की मुद्रा में है.
किरेन रिजिजू ने जजों की नियुक्ति की वर्तमान कॉलेजियम व्यवस्था की खुल कर आलोचना करते हुए कहा था कि यह व्यवस्था पारदर्शी नहीं है और संविधान के लिए एलियन है. उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि कुछ रिटायर्ड जज और एक्टिविस्ट भारत विरोधी गिरोह के सदस्य हैं.
'सुप्रीम कोर्ट के साथ कोई टकराव नहीं चाहती है सरकार'
इस तरह की बयानबाजी और टकराव को लेकर सुप्रीम कोर्ट के जज भी अपनी नाराजगी जाहिर कर चुके थे. हाल के दिनों में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को झटका देते हुए कई फैसले उसके खिलाफ किये थे और केंद्र सरकार को लेकर कई तल्ख टिप्पणियां भी की थी. दिल्ली में एलजी बनाम मुख्यमंत्री के अधिकारों की लड़ाई, एल्डरमैन की नियुक्ति और समलैंगिक विवाह सहित कई अन्य मामलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसलों और टिप्पणियों से सरकार की मुश्किलें भी लगातार बढ़ती जा रही थी. यह कहा जाने लगा था कि कानून मंत्रालय सरकार के पक्ष को सही तरीके से अदालत में नहीं रख पा रहा है और इसलिए सर्वोच्च न्यायालय में केंद्र सरकार को लगातार असहज स्थिति का सामना करना पड़ रहा है.
बताया जा रहा है कि, सरकार चुनावी वर्ष में सुप्रीम कोर्ट के साथ कोई टकराव नहीं चाहती है क्योंकि शीर्ष अदालत की तल्ख टिप्पणियों से देश भर के मतदाताओं में गलत संदेश जाता है इसलिए सरकार ने किरेन रिजिजू से कानून मंत्रालय को वापस लेने का फैसला कर लिया.
उनकी जगह पर अर्जुन राम मेघवाल को कानून एवं न्याय मंत्रालय का जिम्मा सौंपा गया है. मेघवाल आईएएस अधिकारी रह चुके हैं, विनम्र स्वभाव के हैं और आमतौर पर टकराव और विवादों से दूर रहते हैं. हालांकि यह भी माना जा रहा है कि केंद्र सरकार में मेघवाल का कद बढ़ाकर भाजपा राजस्थान के मतदाताओं को भी खासकर प्रदेश के दलित मतदाताओं को साधने की कोशिश कर रही है, जहां कुछ महीनों बाद विधान सभा का चुनाव होना है. मेघवाल राजस्थान के बीकानेर से लोक सभा सांसद हैं और राज्य में अनुसूचित जाति के बड़े नेता माने जाते हैं.
(इनपुट- आईएएनएस)
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