JNU में एडमिशन रद्द करने और 30 हजार रुपये जुर्माने वाले आदेश पर आया ये नया अपडेट, जानिए यहां

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय ने छात्रों पर 30 हजार रुपये तक का जुर्माना लगाने का नियम बनाया था. हालांकि, गुरुवार शाम विश्वविद्यालय प्रशासन ने अपना यह आदेश वापस ले लिया. पहले लागू किए गए इस आदेश के मुताबिक छात्रों का एडमिशन भी रद्द तक किया जा सकता था. छात्रों के लगभग सभी संगठनों की ओर से इसका तीखा विरोध किए जाने के बाद इस आदेश को वापस ले लिया गया है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Mar 3, 2023, 06:55 AM IST
  • विश्वविद्यालय की ओर से लाया गया था ये नियम
  • वाइस चांसलर के निर्देश पर वापस लिए गए नियम
JNU में एडमिशन रद्द करने और 30 हजार रुपये जुर्माने वाले आदेश पर आया ये नया अपडेट, जानिए यहां

नई दिल्लीः जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय ने छात्रों पर 30 हजार रुपये तक का जुर्माना लगाने का नियम बनाया था. हालांकि, गुरुवार शाम विश्वविद्यालय प्रशासन ने अपना यह आदेश वापस ले लिया. पहले लागू किए गए इस आदेश के मुताबिक छात्रों का एडमिशन भी रद्द तक किया जा सकता था. छात्रों के लगभग सभी संगठनों की ओर से इसका तीखा विरोध किए जाने के बाद इस आदेश को वापस ले लिया गया है.

छात्र और स्टूडेंट यूनियन था इसके खिलाफ
विश्वविद्यालय के छात्र और छात्र संगठन इस फैसले के खिलाफ थे. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और वामपंथी छात्र संगठन दोनों ही जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रशासन से नाखुश थे. छात्रों का कहना है कि विश्वविद्यालय ने अनुचित तौर पर विरोध प्रदर्शन जैसी सामाजिक गतिविधियों के लिए भारी जुर्माना लगाने का फैसला किया है.

विश्वविद्यालय की ओर से लाया गया था ये नियम
विश्वविद्यालय की ओर से तय किए गए नियम के मुताबिक, अनुचित गतिविधियों में लिप्त या धरना प्रदर्शन करने वाले छात्रों पर 20 हजार रुपये तक जुर्माना और एडमिशन रद्द किए जाने की कार्यवाही की जा सकती थी. इसके अलावा यदि कोई छात्र हिंसा से जुड़े का दोषी पाया जाता तो उस पर 30 हजार रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता था. 

वाइस चांसलर के निर्देश पर वापस लिए गए नियम
विश्वविद्यालय प्रबंधन ने इसको लेकर बाकायदा आवश्यक दिशा निर्देश जारी किए थे. यह दिशानिर्देश 'अनुशासन और आचरण के नियम' शीर्षक से जारी किए गए थे. जेएनयू विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि अब वाइस चांसलर के निर्देश पर नए अनुशासन एवं आचरण नियम वापस ले लिए गए हैं.

बोलने की आजादी खत्म करने की कोशिश
विश्वविद्यालय ने इन आदेशों को लागू करते वक्त अपनी एडवाइजरी में कई अन्य क्रियाकलापों को भी शामिल किया गया था, जैसे कि कैंपस के भीतर जुआ खेलना, छात्रावास के कमरों पर अनधिकृत कब्जा करना और अभद्र भाषा आदि. छात्रों को धरना प्रदर्शन एवं विरोध करने के विषय पर सबसे अधिक आपत्ति थी. छात्रों का कहना था कि विश्वविद्यालय के नए नियम उनके बोलने की आजादी को खत्म कर रहे हैं.

जेएनयू ने कठोर आचार संहिता की लागू
एबीवीपी जेएनयू के सचिव विकास पटेल ने इस विषय पर अपना विरोध दर्ज कराते हुए कहा कि इस नई तुगलकी आचार संहिता की कोई आवश्यकता नहीं है. पुरानी आचार संहिता पर्याप्त रूप से प्रभावी है. सुरक्षा और व्यवस्था में सुधार पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय, जेएनयू प्रशासन ने इस कठोर आचार संहिता को लागू किया है.

हितधारकों, विशेष रूप से छात्र समुदाय के साथ किसी भी चर्चा के बिना यह नए नियम लागू किए गए हैं. हम कठोर आचार संहिता को पूरी तरह से वापस लेने की मांग करते हैं. छात्रों की इन्हीं मांगों को देखते हुए विश्वविद्यालय ने नए नियम वापस लेने का निर्णय किया.

(इनपुटः आईएएनएस)

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