नई दिल्ली: केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन ने जम्मू-कश्मीर में 25 लाख से अधिक अतिरिक्त मतदाताओं के जुड़ने की खबरों को लेकर शनिवार को कहा कि 'कुछ निहित स्वार्थों द्वारा तथ्यों को गलत ढंग से पेश किया गया है.' प्रशासन का कहना है कि मतदाता सूची में संशोधन से केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर के मौजूदा निवासियों को शामिल किया जाएगा.
'मतदाता सूची का संक्षिप्त पुनरीक्षण'
सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय द्वारा स्थानीय दैनिक अखबारों में प्रकाशित एक विज्ञापन में प्रशासन के हवाले से कहा गया है कि निर्वाचन आयोग द्वारा समय-समय पर निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार मतदाता सूची का संक्षिप्त पुनरीक्षण किया जाता है.
विज्ञापन में कहा गया है कि कश्मीरी प्रवासियों के लिए उनके मूल निर्वाचन क्षेत्रों की मतदाता सूची में नामांकन के लिए विशेष प्रावधानों में कोई बदलाव नहीं किया गया है. प्रशासन ने कहा कि मीडिया में ऐसी खबरें आई हैं कि पुनरीक्षण प्रक्रिया शुरू होने के बाद 25 लाख से अधिक मतदाता मतदाता सूची में शामिल हो जाएंगे.
मौजूदा निवासियों को किया जाएगा शामिल
प्रशासन की तरफ से कहा गया है, 'यह कुछ निहित स्वार्थों द्वारा तथ्यों की गलत व्याख्या है. मतदाता सूची में संशोधन से जम्मू कश्मीर के मौजूदा निवासियों को शामिल किया जाएगा. उन्होंने कहा कि यह वृद्धि मुख्यत: उन नए मतदाताओं को शामिल किये जाने के कारण हुई है, जो अब 18 वर्ष के हो गए हैं.'
अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद पहली बार मतदाता सूची के विशेष सारांश संशोधन के बाद मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) की 'जम्मू-कश्मीर में मतदाता सूची में बाहरी लोगों सहित 25 लाख अतिरिक्त मतदाताओं के जोड़े जाने की संभावना' वाली कथित विवादित टिप्पणी के बाद यह स्पष्टीकरण सामने आया है. सीईओ की टिप्पणी की यहां मुख्यधारा के राजनीतिक दलों ने कड़ी आलोचना की.
उन्होंने आरोप लगाया कि 'गैर-स्थानीय लोगों को मतदाता सूची में शामिल करना जम्मू और कश्मीर के लोगों को बेदखल करने की एक चाल है.' पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) प्रमुख ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में आमतौर पर रहने वाले गैर-कश्मीरियों को नौकरी, शिक्षा या व्यवसाय के लिए मतदाता के रूप में पंजीकरण की अनुमति देने का चुनाव अधिकारियों का कदम 'यहां लोकतंत्र के ताबूत में आखिरी कील गाढ़ने' के समान है.
'नेशनल कांफ्रेंस' ने करार दिया चाल
'नेशनल कांफ्रेंस' के महासचिव अली मोहम्मद सागर ने शनिवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर में मतदाता सूची में 'गैर-स्थानीय मतदाताओं को शामिल करना' अस्वीकार्य है. उन्होंने इसे घाटी के मूल निवासियों को 'शक्तिहीन करने की चाल' करार दिया.
उन्होंने कहा कि 'नेशनल कांफ्रेंस' के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने इस मुद्दे पर चर्चा के लिए सोमवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई है. हालांकि, इस मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट करते हुए शनिवार को एक अखबार के विज्ञापन में जम्मू कश्मीर प्रशासन ने कहा कि सारांश संशोधन का उद्देश्य पात्र युवाओं को मतदाता के रूप में अपना पंजीकरण कराने में सक्षम बनाना था.
आंकड़ों से समझिए क्या है माजरा
सूचना विभाग ने कहा कि 2011 में जम्मू कश्मीर राज्य के विशेष सारांश संशोधन में प्रकाशित मतदाताओं की संख्या 66,00,921 थी और केंद्र शासित प्रदेश की मतदाता सूची में अब यह संख्या 76,02,397 है. उन्होंने कहा कि यह वृद्धि मुख्यत: उन नए मतदाताओं को शामिल किये जाने के कारण हुई है, जो अब 18 वर्ष के हो गए हैं.
केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन द्वारा जारी स्पष्टीकरण का स्वागत करते हुए, जम्मू-कश्मीर 'अपनी पार्टी' के अध्यक्ष अल्ताफ बुखारी ने इसे 'लोगों की जीत' बताया. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को धन्यवाद दिया और कहा कि स्पष्टीकरण ने गैर-स्थानीय लोगों को शामिल करने के विवाद को समाप्त कर दिया है.
जम्मू-कश्मीर के मुख्य चुनाव अधिकारी की कथित विवादित टिप्पणी को लेकर उन्होंने कहा, 'पहली बात ऐसे बयान क्यों दिए जा रहे हैं जो जनसांख्यिकीय परिवर्तन से डरने वाले लोगों में भ्रम पैदा करते हैं?' बुखारी ने कहा, 'मैं केंद्र और जम्मू-कश्मीर के अधिकारियों का शुक्रगुजार हूं, जिन्होंने लोगों को राहत देते हुए यह स्पष्टीकरण दिया.'
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