नई दिल्ली: Vidhan Sabha Chunav Result 2023: राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भाजपा ने प्रचंड जीत दर्ज की है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर मिली इस जीत के बाद यह भाजपा की लहर मानी जा रही है. तीनों राज्यों में सीएम को लेकर गहमागहमी है. खासकर मध्य प्रदेश और राजस्थान को लेकर लोगों में भारी दिलचस्पी है. लेकिन इसी बीच तीन नेता ऐसे हैं, जो आज से 5 दिन पहले तक मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार थे, लेकिन अब नेपथ्य में जा चुके हैं. भूलकर भी कोई अखबार या चैनल उनके नाम को सीएम रेस में नहीं मान रहा है. इनमें दो नाम राजेंद्र राठौड़ और सतीश पूनिया के हैं, जो राजस्थान से हैं. तीसरा नाम नरोत्तम मिश्रा का है, जो मध्य प्रदेश से हैं.
राजेंद्र राठौड़ (Rajendra Rathore)
राजेंद्र राठौड़ राजस्थान विधानसभा में भाजपा की ओर से नेता प्रतिपक्ष थे. वे शेखावाटी के बड़े राजपूत चेहरे के तौर पर जाने जाते हैं. वे लगातार मुख्यमंत्री की दौड़ में बने हुए थे. लेकिन तारानगर से कांग्रेस के नरेंद्र बुडानिया ने उन्हें हरा दिया. राठौड़ अपने जीवन में पहली दफा चुनाव हारे हैं, इससे पहले वो 7 बार विधायक रह चुके हैं. खुद अमित शाह ने भी एक रैली में माना था कि राठौड़ जब विधानसभा में बोलते हैं तो गहलोत सरकार हिल जाती है. सीनियरटी के हिसाब से राठौड़ सीएम के सबसे मजबूत दावेदार थे. लेकिन वो जाट बनाम राजपूत की राजनीति का शिकार हो गए और विधानसभा का चुनाव हार गए.
सतीश पूनिया (Satish Poonia)
राजस्थान की आमेर विधानसभा सीट से साल 2018 में सतीश पूनिया विधायक चुनकर आए थे, पहली बार उन्हें विधानसभा में जाने का मौका मिला. पार्टी ने भी उन पर खूब भरोसा किया और प्रदेश अध्यक्ष का पद सौंप दिया. हालांकि, पूर्व सीएम वसुंधरा राजे और तत्कालीन राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा से अदावत के चलते पार्टी ने उन्हें अध्यक्ष पद से हटाकर उपनेता प्रतिपक्ष बना दिया. फिर भी पूनिया प्रदेश भाजपा के बड़े जाट चेहरे थे, मुख्यमंत्री की रेस में उनका भी नाम था. लेकिन आमेर सीट से कांग्रेस के प्रशांत शर्मा से वे 10 हजार वोटों से चुनाव हार गए. भावुक होकर उन्होंने आमेर छोड़ने और परिवार को समय देने की बात भी कह दी. लेकिन बाद में उन्होंने कहा कि मैं आपके बीच ही रहूंगा.
नरोत्तम मिश्रा (Natrottam Mishra)
मध्य प्रदेश में इस बार की शिवराज सरकार में नरोत्तम मिश्रा गृह मंत्री थी. वे प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान के बाद नंबर दो की पोजिशन पर माने जाते थे. मिश्र अपने विवादित बयानों के अलावा शिवराज से अंदरूनी खटपट के लिए भी चर्चा में रहते थे. उनका नाम मुख्यमंत्री के प्रबल दावेदारों में था. लेकिन दतिया सीट से कांग्रेस के प्रत्याशी राजेंद्र भारती से करीब 7700 से अधिक वोटों से चुनाव हार गए. मिश्रा प्रदेश भाजपा के बड़े ब्राह्मण चेहरा थे. ग्वालियर-चंबल के बेल्ट में वो भाजपा के बड़े नेता थे, लेकिन इस बार मुख्यमंत्री बनने का सपना अधूरा ही रह गया.
क्या होगा तीनों का राजनितिक भविष्य?
हर किसी के मन में यही सवाल है कि अब भाजपा के इन हारे हुए दिग्गजों का क्या होगा. अब ये न तो मुख्यमंत्री बन सकते हैं और न ही प्रदेश सरकार में मंत्री. हालांकि, भाजपा तीनों को एडजस्ट कर सकती है. तीनों को संगठन के बड़े पदों पर काम करने का मौक़ा मिल सकता है. पार्टी 2024 की रूपरेखा तैयार कर रही है, मुमकिन है कि इन्हें लोकसभा चुनाव लड़ाया जाए. इसके अलावा, पार्टी चाहे तो इन्हें राज्यसभा भी भेज सकती है. इनके कद को देखते हुए यह निश्चित तौर पर कहा जा सकता है कि इन्हें पार्टी बड़ी जिम्मेदारी देगी.
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