Sharad Pawar revealations: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष शरद पवार ने मंगलवार को अपनी जीवनी पर लिखी किताब के दूसरे भाग का विमोचन करने पहुंचे थे, जहां पर उन्होंने अपने अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की खबर से सभी को चौंका दिया. जहां उनके समर्थक शरद पवार को अपना फैसला वापस लेने की मांग कर रहे हैं तो वहीं पर उनके भतीजे अजीत पवार ने फैसले पर विचार करने के लिए 2-3 दिन का समय लिया है.
जीवनी के दूसरे भाग में पवार ने किये बड़े खुलासे
उल्लेखनीय है कि राजनीतिक गलियारों में पिछले कुछ समय से चाचा शरद पवार और भतीजे अजीत पवार के बीच तनातनी की खबरे हैं जिसके चलते पार्टी के अंदर फूट पड़ने की आशंका जताई जा रही थी. माना जा रहा था कि अजीत पवार पार्टी के कुछ विधायकों के साथ जल्द ही बीजेपी का दामन थाम सकते हैं. हालांकि शरद पवार के ऐलान के बाद जिस किताब का वो विमोचन करने पहुंचे थे वो बुक लॉन्च का कार्यक्रम ही पूरा नहीं हो सका.
पवार ने अपनी इस किताब में कई चौंकाने वाले खुलासे किये हैं और राजनीतिक गलियारों में पिछले 2 दशक के अंदर हुए उलटफेर के बारे में बताया है. इस दौरान उन्होंने बड़ा दावा करते हुए लिखा है कि 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बीजेपी अपने 30 साल पुराने साथी और सहयोगी पार्टी शिवसेना को खत्म करने के लिये तैयार थी.
30 साल पुराने सहयोगी को खत्म करने के लिये तैयार थी बीजेपी
शरद पवार ने इसके पीछे का कारण बताते हुए दावा किया है कि बीजेपी पूरी तरह से आश्वस्त थी कि वो महाराष्ट्र में तबतक एकछत्र सरकार नहीं बना सकती जब तक कि राज्य से शिवसेना का नामो निशान न मिटा दिया जाए. अपनी ऑटोबॉयोग्राफी के दूसरे भाग ‘लोक माझे संगति’ में शरद पवार ने 2019 विधानसभा चुनाव को लेकर कई खुलासे किये और बताया कि किस वजह से शिवसेना ने बीजेपी से अलग होकर महा विकास अघाड़ी बनाने का फैसला किया.
शिवसेना को खत्म करने की खबरों ने बीजेपी के खिलाफ सहयोगी पार्टी में गुस्सा भर दिया और जैसे ही उन्होंने महाविकास अघाड़ी बनाने का फैसला किया उसने राजनीतिक गलियारों को हिला कर रख दिया. रिपोर्ट के अनुसार किताब में दावा किया गया है कि भले ही विधानसभा चुनाव में शिवसेना ने 171 सीटों पर चुनाव लड़ा और बीजेपी ने 117 सीटों पर लेकिन इसके बावजूद बीजेपी 2019 में बिना शिवसेना के साथ के सरकार बनाने की ओर देख रही थी.
इस वजह से ही बीजेपी-शिवसेना में हुई थी लड़ाई
यही वजह थी कि बीजेपी ने 2019 में 164 सीटों पर लड़ने का फैसला किया और अपनी साथी शिवसेना के लिए सिर्फ 124 सीटें छोड़ी. बीजेपी को अति आत्म-विश्वास था की उसकी पार्टी बहुमत से सत्ता में आएगी और सरकार बनाएगी. इसके साथ ही शिवसेना को खत्म करने के लिए एक कदम और आगे बढ़ाएगी.
शरद पवार ने दावा किया कि बीजेपी ने शिवसेना के जले पर नमक तब छिड़का जब उसने नारायन राने की स्वाभिमान पार्टी को साथ में ले लिया. राने को शिवसेना गद्दार की तरह देखती है. उन्होंने आगे लिखा कि बीजेपी ने करीब 50 विधानसभा क्षेत्रों में शिवसेना से बागी हुए प्रत्याशियों के लिए मैदान तैयार कर उन्हें अपनना समर्थन दिया जो कि शिवसेना की संख्या कम करने का मास्टरस्ट्रोक था ताकि वो बिना किसी दिक्कत के सत्ता हासिल कर सके.
2017 के इस कदम से बीजेपी–शिवसेना में बढ़ी दरार
एनसीपी के पूर्व अध्यक्ष ने दावा किया कि बीजेपी ने हमेशा वहां चोट मारने की कोशिश जहां पर सबसे ज्यादा दर्द हो, 2017 के मुंबई निकाय चुनाव की शुरुआत से ही थाणे और उसके शहरी इलाकों के पास कल्याण-डोंबिवाली, नवी मुंबई, मीरा रोड-भयंडर, वसाई-विरार जहां पर शिवसेना लंबे समय से पैठ बनाए हुई थी वहां पर बीजेपी ने अपना ध्यान लगाना शुरू कर दिया. इसको लेकर बीजेपी और शिवसेना के बीच की दरार बढ़ती चली गई.
शरद पवार ने इसे अपने लिये सकारात्मक सिग्नल बताया. साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की बॉडी लैंग्वेज शिवेसना के लिए सहानुभूति जनक नहीं नजर आ रही थी.
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