नई दिल्ली: जब भी दिल्ली की बात होती है, तो हमारे जेहन में लाल किला, हुमायूं का मकबरा और कुतुबमीनार का नाम आता है. कहीं न कहीं दिल्ली मुगलों की निशानियों से भरा पड़ा है. सालों तक मुगलों के अनगिनत हमलों ने जब दिल्ली में हिंदू मंदिरों को तबाह कर दिया, उसके बावजूद भी आज भी शहर में कई प्राचीन मंदिर मौजूद हैं. ये मंदिर सिर्फ धार्मिक लिहाज से ही नहीं, वास्तु कला के लिहाज से भी आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं. दिल्ली में स्थित हैं ये 7 प्राचीन मंदिर:
दादा देव मंदिर
दिल्ली के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक दादा देव मंदिर का निर्माण लगभग 838 ईसवी के आस-पास हुआ था. इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि राजस्थान के टोंक जिले में दादा देव जी को भगवान का ही अवतार माना जाता था. उनके दो भक्त वहां से दादा देव के स्वरूप के रूप में टोंक से पत्थर लेकर निकले, लेकिन यह रास्ते में ही गिर गया. जहां पर यह पत्थर गिरा, वहीं पर उन भक्तों ने दादा देव जी के मंदिर का निर्माण कराया.
गौर शंकर मंदिर
जैसा कि नाम से स्पष्ट है कि यह मंदिर भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है. आज से लगभग 800 साल पहले इस मंदिर का निर्माण एक प्राचीन शिवलिंग के आस-पास किया गया था. इस शिवलिंग के चारों ओर चांदी के सर्प लिपटे हुए हैं. यह प्राचीन मंदिर भगवान शिव के भक्त अपु गंगाधर ने बनवाया था. जब साल 1959 में इस मंदिर का जीर्णोधार कराया गया, तब अपु गंगाधर का नाम एक बड़े पत्थर पर उकेरकर उन्हें सम्मानित किया गया था.
हनुमान मंदिर
दिल्ली के कनॉट प्लेस में स्थित हनुमान मंदिर के बारे में शायद ही कोई न जानता हो. हनुमान मंदिर को दिल्ली का सबसे प्राचीन मंदिर भी कहा जाता है. किवदंतियों की मानें, तो इस मंदिर का निर्माण पांडवों ने कराया था. यह मंदिर पवन पुत्र भगवान हनुमान को समर्पित है. सी मंदिर का सबसे उत्कृष्ट पहलू यह है कि यहां पर सुंदर काण्ड के उस अध्याय का उद्धरण है, जिसमें भगवान हनुमान ने रावण की लंका में प्रवेश किया, माता सीता से मिले और लगभग आधे शहर को जलाकर राख कर दिया.
कालका जी मंदिर
ऐसा कोई निश्चित काल तो नहीं, लेकिन कहा जाता है कि यह मंदिर लगभग 300 साल पुराना है. जिसे मुगल शासक औरंगजेब ने तबाह कर दिया था. बाद में मराठाओं ने क्षेत्रीय व्यापारियों की मदद से इस मंदिर का विनिर्माण कराया था. मराठाओं ने इस मंदिर के आस-पास कई धर्मशाला भी बनवाए थे.
श्री दिगंबर जैन लाल मंदिर
यह जैन मंदिर अपने पशु चिकित्सालय के लिए भी प्रसिद्ध है, जो जैन पक्षी अस्पताल के नाम से जाना जाता है. यह अस्पताल मंदिर के पीछे दूसरे भवन में स्थित है. कहा जाता है कि यह मंदिर महान मुगल बादशाह शाहजहाँ द्वारा बनवाया गया था, जिन्होंने कई अग्रवाल जैन व्यापारियों को यहां बुलाया था. इस मंदिर में प्रवेश से पहले व्यक्ति को सभी चमड़े की चीजें बाहर ही छोड़नी पड़ती हैं.
योगमाया मंदिर
योगमाया भगवान कृष्ण की बहन थीं. ये मंदिर उन 27 मंदिरों में से एक था, जिन्हें महमूद गजनी ने नष्ट कर दिया. इस मंदिर में भगवान विष्णु और योगमाया की मायावी शक्ति का वास माना जाता है, इसलिए यहां नवरात्रि में योगमाया की बड़े धूम-धाम से पूजा होती है. कहते हैं कि यह मंदिर पांडवों से बनवाया था, जिसे साल 1827 में फिर से विनिर्मित किया गया.
नीली छतरी मंदिर
दिल्ली के प्राचीन मंदिरों की सूची में अंतिम नाम है 'नीली छतरी मंदिर'. 'नीली छतरी' का शाब्दिक अर्थ है भगवान शिव. यह मंदिर उस घटना की तरफ इशारा करता है, जब भगवान शिव ने पृथ्वी लोक की रक्षा के लिए अमृत मंथन में निकले विष को पीने का चुनाव किया था. कहा जाता है कि यह मंदिर पांच पांडवों में सबसे बड़े युधिष्ठिर ने बनवाया था. जिसका जीर्णोधार बाद में हमेशा सच बोलने के लिए प्रसिद्ध कुरु साम्राज्य के सम्राट द्वारा कराया गया था.
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