नई दिल्ली: Charan Singh and Swaminathan: केंद्र की मोदी सरकार ने देश के पूर्व प्रधानमंत्री चरण सिंह और कृषि वैज्ञानिक एम. एस. स्वामीनाथन को भारत रत्न देने की घोषणा की है. इसे नरेंद्र मोदी सरकार का लोकसभा चुनाव से पहले मास्टरस्ट्रोक माना जा रहा है. दरअसल, चरण सिंह किसानों के मसीहा कहे जाते हैं. जबकि स्वामीनाथन को किसानों का उद्धार करने के लिए जाना जाता है. इससे स्पष्ट है कि भाजपा का फोकस किसानों पर है.
किसानों पर फोकस क्यों?
केंद्र सरकार ने साल 2021 में तीन कृषि कानून पारित किए थे. जिसके खिलाफ कई किसान संगठनों ने विरोध किया था. किसान महीनों तक दिल्ली बोर्डर पर बैठे रहे थे. केंद्र की मोदी सरकार को इसके बाद कदम पीछे खींचने पड़े और पीएम मोदी ने कृषि कानून वापस लेने का ऐलान किया. तब से ही किसान भाजपा से नाराज बताए जा रहे हैं. इसलिए भाजपा ने इन्हें साधने के लिए ये कदम उठाया है.
जाटों पर पड़ेगा असर
चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देकर भाजपा ने जाट समाज को साधने की कोशिश की है. किसान आंदोलन के दौरान जाटों ने इसमें बढ़-चढ़कर हिस्स लिया था, भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के नेता राकेश टिकैत ने जाटों को एकजुट करने का काम किया था. तब ये भाजपा से नाराज हो गए थे. अब इनके नेता चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देकर भाजपा इन्हें वापस अपने पाले में करना चाह रही है.
RLD की राह हुई आसान
यदि RLD और BJP का गठबंधन होता है तो जयंत चौधरी ये तर्क दे सकते हैं कि हमारी पुरखों का सम्मान किया, इसलिए BJP के साथ चले गए. साथ ही पश्चिमी यूपी के जाटों को भी साधने में कामयाब हो सकते हैं. वेस्ट यूपी की 27 सीटों को जीतने के लिए भाजपा ने ये प्लान तैयार किए है. जयंत से हाथ मिलाने से पहले उनके दादा को भारत रत्न दे दिया है.
किसानों को याद हैं स्वामीनाथन के फैसले
स्वामीनाथन ने किसान कौम के लिए बड़े ही हितकारी फैसले किए हैं. उन्हें भारत में हरित क्रान्ति का जनक माना जाता है. गांव के किसान को आज भी स्वामीनाथन ऐतिहासिक काम याद हैं. साथ ही साउथ के लोग भी उनसे जुड़ाव महसूस करते हैं. ऐसे में भाजपा ने उन्हें भारत रत्न देकर एक तीर से दो निशाने साध लिए हैं.
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