नई दिल्लीः मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लगातार दूसरी बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेते ही BJP ने मिशन लोकसभा चुनाव 2024 पर काम शुरू कर दिया है. यूपी में 2014 चुनाव के बाद भाजपा ने पलटकर नहीं देखा और सभी सियासी समीकरणों को तोड़ते हुए लगातार चौथे बड़े चुनाव में भगवा पताका लहराई.
मोदी-योगी ने तोड़ा जातियों का तिलिस्म
दरअसल, इसका सबसे बड़ा कारण BJP की सोशल इंजीनियरिंग को बताया जाता है. मोदी-योगी ने क्षेत्रीय पार्टियों यानी सपा और बसपा के जातीय तिलिस्म को तोड़ दिया. अब बीजेपी की नजर यूपी में सपा के कोर वोटर यानी यादव वोट बैंक पर है.
UP में यादव समाज, जिसकी हिस्सेदारी महज 8 फीसदी है, लेकिन सियासी ताकत ऐसी रही है कि इसने ठाकुर और ब्राह्मणों के नेतृत्व को न सिर्फ यूपी की सत्ता से बेदखल किया, बल्कि मंडल आंदोलन के बाद मायावती को छोड़ दें तो सत्ता में भी लगातार भागीदारी रही. राम नरेश यादव से लेकर मुलायम सिंह और अखिलेश यादव तक तीन यादव पांच बार यूपी के मुख्यमंत्री बने.
ओबीसी वर्ग में राजनीतिक रूप से मजबूत हैं यादव
उत्तर प्रदेश के इटावा, एटा, फर्रुखाबाद, मैनपुरी, फिरोजबाद, कन्नौज, बदायूं, आजमगढ़, फैजाबाद, बलिया, संतकबीर नगर, जौनपुर और कुशीनगर जिले को यादव बहुल माना जाता है. इन जिलों की करीब 50 विधानसभा सीटों पर यादव वोटर अहम भूमिका में हैं. यादव वर्ग ने हमेशा राजनीतिक तौर पर ओबीसी वर्ग में भी मजबूत पकड़ बनाए रखी है.
साल 2014 और 2019 की सफलता को दोहराने के लिए PM मोदी और CM योगी सपा के हार्डकोर वोटर यानी यादवों को अपने साथ लाने में जुट गए हैं. ये कहने की ठोस वजह भी है. दरअसल, बीते दिनों सैफई परिवार की सदस्य और मुलायम सिंह यादव की बहू अपर्णा यादव ने बीजेपी की सदस्यता ली और यूपी में जमकर चुनाव प्रचार किया.
शिवपाल बोले- जल्द लूंगा बड़ा फैसला
वहीं, मुलायम सिंह यादव के छोटे भाई और सपा के संस्थापक सदस्य शिवपाल सिंह यादव सपा मुखिया और अपने भतीजे अखिलेश यादव से मिले अपमान की वजह से भाजपा नेतृत्व के संपर्क में हैं. शनिवार को MLC चुनाव में वोट डालने के बाद शिवपाल यादव ने कहा कि वो जल्दी ही बड़ा और अच्छा फैसला लेने वाले हैं.
हालांकि, बीते सप्ताह ही शिवपाल ने ट्विटर पर पीएम मोदी और सीएम योगी को ना सिर्फ ट्विटर पर फॉलो किया था, बल्कि सीएम योगी से लंबी मुलाकात भी की थी. चर्चा है कि शिवपाल यादव ने दिल्ली में बीजेपी आलाकमान से मुलाकात कर ली है और जॉइनिंग की बात लगभग बन गई है, बस सही मौके का इंतजार है.
सपा में एक वर्ग ढूंढ रहा नया सियासी ठिकाना
पहले एटा से हरनाथ यादव को राज्यसभा भेजने के बाद सुभाष यदुवंश को युवा मोर्चा का अध्यक्ष बनाया गया और अब उन्हें MLC का टिकट सौंपकर युवाओं को भाजपा में लाने की जिम्मेदारी दी गई है. वहीं, विधानपरिषद के चुनावों में जिस तरह से सपा नेताओं ने सत्ता पक्ष के सामने हथियार डाले हैं उसके बाद सपा का एक बड़ा वर्ग नया सियासी ठिकाना ढूंढ रहा है.
9 सीटों पर सपा का आत्मसमर्पण
विधान परिषद चुनावों में 36 सीट पर लड़ाई होनी थी, लेकिन चुनाव से पहले ही 9 सीटों पर सपा प्रत्याशियों ने आत्म समर्पण कर दिया और भाजपा निर्विरोध निर्वाचित हो गई. बचे 27 सीटों की बात की जाए तो वहां भी अखिलेश यादव के करीबियों ने कोई खास संघर्ष नहीं किया.
सबसे बड़ी बात है कि इन चुनावों में अखिलेश यादव ने 36 में से 24 सीटों पर यादव वर्ग के प्रत्याशियों को उतारा था. सपा में एक बड़ा वर्ग है, जिसे अब नया सियासी ठिकाना चाहिए और भाजपा उसी को अपने पक्ष में लाकर अखिलेश यादव को रेस से बाहर करने में जुटी है.
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