American M4 rifles: अफगानिस्तान में अमेरिका 'जो' छोड़ गया, आज पाकिस्तान 'उससे' जम्मू-कश्मीर में फैला रहा दहशत

Jammu Kashmir Terrorism: विशेषज्ञों ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों द्वारा इस असॉल्ट राइफल का लगातार इस्तेमाल चिंता का विषय है और यह 2021 में अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी का संभावित परिणाम हो सकता है.

Written by - Nitin Arora | Last Updated : Nov 12, 2024, 04:23 PM IST
  • अखनूर में मुठभेड़ में मारे गए 3 आतंकवादियों से M4 राइफलें बरामद
  • एम4 राइफलों में बुलेटप्रूफ वाहनों को भेदने की क्षमता
American M4 rifles: अफगानिस्तान में अमेरिका 'जो' छोड़ गया, आज पाकिस्तान 'उससे' जम्मू-कश्मीर में फैला रहा दहशत

American M4 rifles: जम्मू-कश्मीर के अखनूर में मुठभेड़ में मारे गए तीन आतंकवादियों के पास से अमेरिकी M4 राइफल बरामद होने से सुरक्षा बलों में हड़कंप मच गया है. सुरक्षा बल इस बात का आकलन कर रहे हैं कि अफगानिस्तान से वापसी के दौरान अमेरिकी सेना द्वारा छोड़ी गई ये घातक राइफलें जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों तक कैसे पहुंच रही हैं.

इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI इन बेहतरीन हथियारों की आपूर्ति कर रही है. इस हथियार की खास बात ये है कि यह बुलेटप्रूफ वाहनों को भी भेदने की क्षमता रखता है. अब जहां सीमा पार करके भारत में घुसने वाले आतंकवादियों को ये हथियार मुहैया कराए जा रहे हैं. इन राइफलों में स्टील की गोलियां लगी होती हैं जो इतनी शक्तिशाली होती हैं कि वे किलेबंद वाहनों और बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान पहुंचा सकती हैं.

बताया गया कि सीमा पार करने वाले लगभग सभी आतंकवादी एके-47 राइफल और एम4 कार्बाइन लेकर आ रहे हैं. इससे सुरक्षा बलों को काफी नुकसान हुआ है. एम4 राइफल को पहली बार जम्मू-कश्मीर में 2017 में देखा गया था, जब सुरक्षा बलों ने पुलवामा में जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर के भतीजे तल्हा रशीद मसूद को मार गिराया था. तब से, कठुआ, रियासी, पुंछ और राजौरी में हुए हमलों सहित कई आतंकी घटनाओं में एम4 राइफलों का इस्तेमाल किया गया है.

खुफिया रिपोर्टों में क्या पता चला?
हाल ही में आई एक खुफिया रिपोर्ट के अनुसार, जम्मू-कश्मीर सीमा के पास लॉन्च पैड्स पर बड़ी संख्या में आतंकवादी जमा हो गए हैं और बर्फबारी से पहले जितना संभव हो सके उतने आतंकवादियों को घुसपैठ कराने की कोशिश की जा रही है. हाल ही में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (Pok) में एक उच्च स्तरीय बैठक हुई जिसमें ISI के अधिकारियों और आतंकी समूहों के शीर्ष कमांडरों ने हिस्सा लिया. बैठक में आतंकवादियों को अमेरिका में बनी एम4 कार्बाइन मुहैया कराने पर चर्चा हुई. इसी बैठक में यह भी तय हुआ कि कश्मीर घाटी में बड़े पैमाने पर हमले करने के लिए ओवरग्राउंड वर्कर्स (OGWs) द्वारा सहायता मुहैया कराई जाएगी.

M4 राइफल कितनी घातक है?
M4 कार्बाइन एक हल्की, गैस से चलने वाली, एयर-कूल्ड, मैगजीन-फीड असॉल्ट राइफल है. प्रति मिनट 700-900 राउंड फायर करने में सक्षम, M4 की प्रभावी फायरिंग रेंज 500-600 मीटर और अधिकतम रेंज 3,600 मीटर है. रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों द्वारा इस असॉल्ट राइफल का लगातार इस्तेमाल चिंता का विषय है और यह 2021 में अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी का संभावित परिणाम हो सकता है.

अमेरिकी सेना, अफगानिस्तान में 300,000 छोटे हथियार और हजारों M4 राइफलों सहित 7 बिलियन डॉलर से अधिक मूल्य के सैन्य उपकरण छोड़कर गया था. खुफिया सूत्रों के अनुसार, ये हथियार अफगानिस्तान से पाकिस्तान पहुंचे हैं. अब वे अंततः जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों तक पहुंचते हैं.

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