नई दिल्ली. अगले साल लोकसभा चुनाव के मद्देनजर केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने जबरदस्त तैयारियां शुरू कर दी हैं. पार्टी का प्लान लगातार तीसरी बार जीत हासिल कर सरकार बनाने का है. पार्टी ने इस प्लान को अमलीजामा पहनाना या यूं कहें कि जमीनी धरातल पर उतारना शुरू कर दिया है.
50% वोट हासिल करने की रणनीति
इस बार लोकसभा चुनाव में बीजेपी पचास प्रतिशत से ज्यादा वोट हासिल करने की रणनीति पर काम रही है. पार्टी एक तरफ अपने मजबूत गढ़ों को बचाने की कोशिश करेगी तो वहीं विपक्षी गढ़ों में ढहाने या फिर उसमें सेंध लगाने की तैयारी है. इसके अलावा पार्टी ऐसे पुराने दोस्तों को सबक सिखाने की तैयारी में भी है जो अब खेमा बदल चुके हैं. इनमें बिहार के सीएम नीतीश कुमार और उद्धव ठाकरे जैसे लीडर शामिल हैं.
क्या है प्लानिंग
2019 के चुनाव में देश के सबसे ज्यादा सीटों वाले राज्य यूपी में बीजेपी ने सहयोगी अपना दल के साथ मिलकर 80 में से 64 सीटों पर जीत हासिल की थी. यह कामयाबी इसलिए भी बहुत बड़ी थी क्योंकि उस चुनाव में चिरप्रतिद्वंद्वी कहे जाने वाले सपा-बसपा एक साथ आ गए थे. इसके बावजूद एनडीए 64 सीटें जीतने में कामयाब रहा था. अब बीजेपी का फोकस इस बार बाकी की 16 सीटों पर है.
वहीं महाराष्ट्र में बीजेपी ने शिवसेना के साथ मिलकर 48 में से 41 सीटों पर जीत हासिल की थी. अब शिवसेना दो भागों में बंट चुकी है और उद्धव की अगुवाई वाला धड़ा अब विपक्षी गठबंधन इंडिया के साथ खड़ा है. इस बार बीजेपी के साथ शिवसेना का एकनाथ शिंदे गुट और एनसीपी का अजित पवार गुट दोनों ही हैं. ऐसे में 48 की 48 सीटों पर जीत हासिल करने की तैयारी है.
बिहार में भी पिछली बार बीजेपी ने नीतीश कुमार के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था और 40 में से 39 सीटों पर जीत हासिल की थी. अब नीतीश कुमार आरजेडी के साथ जा चुके हैं. ऐसे में बीजेपी की प्लानिंग नीतीश कुमार के वोटबैंक में सेंध लगाने की है. साथ ही पिछला प्रदर्शन दोहराने की है.
इन राज्यों में मिला था 50 प्रतिशत वोट
बीजेपी ने उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात, राजस्थान, झारखंड, छत्तीसगढ़, हरियाणा, दिल्ली, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में अकेले अपने दम पर 50 प्रतिशत से ज्यादा वोट हासिल किया था. भाजपा की कोशिश इन राज्यों में भी इस बार 50 प्रतिशत से ज्यादा वोट हासिल कर विपक्षी एकता को मात देने की है.
दक्षिण भारतीय राज्यों में तैयारी
2019 में बीजेपी को आंध्र प्रदेश, केरल और तमिलनाडु में एक भी सीट नहीं मिली थी, इसलिए बीजेपी इस बार इन तीनों राज्यों में खाता खोलने की कोशिश कर रही है. आंध्र प्रदेश में वर्तमान सत्तारूढ़ पार्टी वाईएसआर कांग्रेस के इंडिया गठबंधन में जाने की संभावना नहीं है. वहीं पार्टी को यह भी लगता है कि केरल में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूडीएफ और सीपीएम के नेतृत्व वाली एलडीएफ का मिलकर लड़ना संभव नहीं है और अगर ये मिलकर लड़ते भी हैं तो ईसाई और हिन्दू मतदाताओं के बल पर केरल में भी बीजेपी का खाता खुलना तय है. वहीं तमिलनाडु में पहली बार बीजेपी अपनी सहयोगी एआईएडीएमके से बराबरी के स्तर पर बात कर रही है.
(IANS इनपुट्स)
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