नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के सीनियर मोस्ट जज जस्टिस डी वाई चन्द्रचूड़ राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) के सबसे कम अवधि के लिए कार्यकारी अध्यक्ष हो सकते हैं. जस्टिस यूयू ललित के देश का सीजेआई (Chief Justice of India) बनने के बाद नालसा के कार्यकारी अध्यक्ष पद के लिए कवायद शुरू हो गई है.
नालसा एक्ट के अनुसार देश के मुख्य न्यायाधीश इस संस्थान के संरक्षक होते हैं, वहीं सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के सीनियर मोस्ट जज नालसा के कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किए जाते हैं. लेकिन सीनियर मोस्ट जज द्वारा कार्यकारी अध्यक्ष का पद स्वीकार नहीं करने की स्थिति में सीजेआई के बाद तीसरे नंबर के जज को ये भूमिका सौपी जा सकती है.
शीघ्र होगी कार्यकारी अध्यक्ष की नियुक्ति
जस्टिस ललित के सीजेआई बनने के बाद नालसा का कार्यकारी अध्यक्ष का पद रिक्त हो गया है. परंपरा के अनुसार नालसा कार्यालय ने अपने नए अध्यक्ष के लिए जस्टिस डी वाई चन्द्रचूड़ के नाम का प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेज दिया है.
सूत्रों के अनुसार जस्टिस चन्द्रचूड़ द्वारा अपनी रजामंदी दिये जाने के बाद केन्द्र सरकार नालसा कार्यकारी अध्यक्ष पद पर उनकी नियुक्ति की कवायद करेगी. रजामंदी देने पर संभवतया इसी सप्ताह के अंत तक जस्टिस चन्द्रचूड़ की नियुक्ति का नोटिफिकेशन जारी हो सकता है.
जस्टिस के रामास्वामी बने थे पहले कार्यकारी अध्यक्ष
9 नवंबर 1995 को देश में विधिक सेवा के प्रचार, प्रसार और जागरूकता के लिए लीगल सर्विस एक्ट को लागू किया गया था. एक माह बाद 5 दिसंबर 1995 को देश में राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण की स्थापना की गई. नालसा के गठन के साथ ही सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस के रामस्वामी को पहला कार्यकारी अध्यक्ष का कार्यभार सौपा गया.
करीब डेढ़ साल तक NALSA के इन्फ्रास्ट्रक्चर से लेकर उसके नियमों व अन्य बिंदुओं की तैयारी की गई. जुलाई 1997 में जस्टिस के रामास्वामी के बाद सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन जज जस्टिस ए एस आनंद को कार्यकारी अध्यक्ष का पदभार सौंपा गया.
स्थापना के करीब तीन साल बाद फरवरी 1998 में पहली बार नालसा अपने ऑफिस, स्टाफ और इन्फ्रास्ट्रक्चर के साथ वास्तविक रूप से कार्य करना शुरू किया. अक्टूबर 1998 में जस्टिस आनंद के देश का मुख्य न्यायाधीश बनने पर सीनियर मोस्ट जज जस्टिस एस पी भरूच को कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया गया.
जस्टिस कपाड़िया ने नहीं दी थी सहमति
देश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एस एच कपाड़िया ने नालसा का कार्यकारी अध्यक्ष बनने के लिए अपनी सहमति नहीं दी थी. जस्टिस कपाड़िया ने बेहद कम दिनों के कार्यकाल को देखते हुए कार्यकारी अध्यक्ष नहीं बने थे.
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस तरुण चटर्जी नालसा के कार्यकारी अध्यक्ष रहते हुए सीनियर मोस्ट जज के रूप में 11 जनवरी 2010 को सेवानिवृत्त हो गए. उनके बाद सुप्रीम कोर्ट में सीनियर मोस्ट जज जस्टिस कपाड़िया थे, लेकिन 12 मई 2010 को वे देश के मुख्य न्यायाधीश बनने वाले थे. ऐसे में उनके पास कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में 4 माह का ही कार्यकाल होता, इसी के चलते उन्होंने अपनी सहमति नहीं दी थी. जिसके चलते दूसरे सीनियर मोस्ट जज जस्टिस अल्तमस कबीर को नालसा का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया था.
31वें कार्यकारी अध्यक्ष, सबसे छोटा कार्यकाल
जस्टिस डी वाई चन्द्रचूड़ की ओर से सहमति होने दिए जाने पर वे नालसा के 31 वे कार्यकारी अध्यक्ष होंगे. उनका कार्यकाल उनकी नियुक्ति से 9 नवंबर 2022 तक ही रहेगा. 9 नवंबर को सीजेआई जस्टिस यूयू ललित के मुख्य न्यायाधीश पद से सेवानिवृत होने पर जस्टिस चन्द्रचूड़ उनकी जिम्मेदारी लेंगे.
ऐसे में मुख्य न्यायाधीश के रूप में वे नालसा के संरक्षक भी होंगे. इसी सप्ताह के अंत नालसा कार्यकारी अध्यक्ष की नियुक्ति होने की स्थिति में वे करीब दो माह के लिए कार्यकारी अध्यक्ष बने रह सकते हैं, जो कि NALSA के इतिहास में सबसे छोटे अवधि के लिए कार्यकारी अध्यक्ष हो सकते हैं.
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