Maharashtra: सुप्रीम कोर्ट में टल गई शिवसेना की लड़ाई पर सुनवाई, जानें आज कोर्ट में क्या हुआ

शिवसेना के बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने की अर्जी पर सुनवाई 1 अगस्त तक टल गई है. शिंदे गुटे की दलील- दूसरी पार्टी में नहीं हुए शामिल तो अयोग्यता कैसे?

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jul 20, 2022, 02:25 PM IST
  • शिंदे गुटे ने सुप्रीम कोर्ट के सामने रखी ये दलीलें..
  • बागी विधायकों की 'अयोग्यता' पर 1 अगस्त को सुनवाई
Maharashtra: सुप्रीम कोर्ट में टल गई शिवसेना की लड़ाई पर सुनवाई, जानें आज कोर्ट में क्या हुआ

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट की उस याचिका पर बुधवार को सुनवाई की. जिसमें संवैधानिक प्रावधान के तहत उनके खिलाफ शुरू की गई अयोग्यता कार्यवाही को चुनौती दी गई है. इस सुनवाई के दौरान अदालत में क्या-क्या हुआ आपको बताते हैं.

शिंदे गुटे ने पेश की ये की दलील

1 अगस्त तक शिवसेना के बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने की अर्जी पर सुनवाई टल गई है. शिंदे गुटे की दलील- दूसरी पार्टी में नहीं हुए शामिल तो अयोग्यता कैसे? सुप्रीम कोर्ट ने शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट की याचिका पर सुनवाई की. आपको बताते हैं कि सुनवाई के दौरान क्या-क्या हुआ.

उद्धव ठाकरे गुट की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमण की अध्यक्षता वाली पीठ से कहा कि जब यह मामला सुप्रीम कोर्ट में था तो महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को नई सरकार को शपथ नहीं दिलानी चाहिए थी.

कपिल सिब्बल ने पीठ से क्या कहा?

पीठ में न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति हिमा कोहली भी शामिल रहे. सिब्बल ने पीठ से कहा, 'पार्टी द्वारा नामित आधिकारिक सचेतक के अलावा किसी अन्य सचेतक को विधानसभाध्यक्ष द्वारा मान्यता दिया जाना दुर्भावनापूर्ण है.'

प्रधान न्यायाधीश की अगुवाई वाली पीठ ने 11 जुलाई को उद्धव ठाकरे गुट के विधायकों को अंतरिम राहत प्रदान करते हुए महाराष्ट्र के विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर से कहा था कि वे उनकी अयोग्यता के अनुरोध वाली याचिका पर आगे कार्रवाई नहीं करें.

शिंदे के वकील ने कोर्ट में क्या कहा?

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की ओर से पेश वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा कि लोकतंत्र में लोग एकजुट हो सकते हैं और प्रधानमंत्री से कह सकते हैं कि 'माफ करें, आप पद पर नहीं रह सकते.'

उन्होंने कहा कि अगर कोई नेता पार्टी के भीतर ही समर्थन (बहुमत) जुटाता है और बिना पार्टी छोड़े (नेतृत्व से) सवाल करता है तो यह यह दलबदल नहीं है. उन्होंने कहा कि अगर पार्टी में बड़ी संख्या में लोगों को लगता है कि किसी अन्य नेता को नेतृत्व करना चाहिए, तो इसमें क्या गलत है.

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