नई दिल्ली: देश के 48वें मुख्य न्यायाधीश एन वी रमन्ना के लिए 26 अगस्त सर्वोच्च अदालत में उनके कार्यकाल का अंतिम कार्यदिवस है. देश के मुख्य न्यायाधीश के तौर पर 16 माह 2 दिन और सुप्रीम कोर्ट जज के रूप में 8 वर्ष 6 माह 9 दिन के कार्यकाल के साथ वे सेवानिवृत होने जा रहे हैं.
सीजेआई ने बताया देश में किसका मूल्य नहीं है
सेवानिवृत से दो दिन पूर्व एक मामले की सुनवाई करते हुए सीजेआई ने कहा है कि एक व्यक्ति जो सेवानिवृत्त हो गया है या सेवानिवृत्त होने जा रहा है, उसका देश में कोई मूल्य नहीं है.
अपने जीवन के करीब 4 दशक न्यायपालिका को देने वाले जस्टिस रमन्ना ने सुप्रीम कोर्ट जज के रूप में कई अहम फैसले दिए हैं, लेकिन सीजेआई रमन्ना उनके फैसले से ज्यादा मौखिक टिप्पणियों और अपने संबोधन के दौरान दिए गए बयानों के लिए ज्यादा याद किए जाएंगे.
कई बार जस्टिस रमन्ना की टिप्पणियों की वजह से कई राज्य सरकारों और केंद्र के लिए भी असहज स्थिति उत्पन्न हुई है, तो कई बार उनकी टिप्पणियों के चलते आम जनता में भी धारणााओं को बदलने में भूमिका निभाई. उनके द्वारा कि गयी कुछ टिप्पणियां जो बेहद चर्चित रही हैं.
जजों का जीवन गुलाबों की सेज नहीं
एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जस्टिस रमन्ना ने जजों के जीवन के बारे में कहा था कि मेरे अपने अनुभव से मैं कह सकता हूं कि जजों की जिंदगी गुलाबों की सेज नहीं है. उन्होंने कहा था कि लोग जो सोचते हैं सच्चाई उससे बहुत ही अलग होती है.
राजनीतिक पार्टियां चाहती हैं उनके हिसाब से चले कोर्ट
जुलाई 2022 में सैन फ्रांसिस्को में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीजेआई एन वी रमन्ना ने देश की राजनीतिक पार्टियों पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि विपक्षी पार्टियां चाहती हैं कि सुप्रीम कोर्ट उनके हिसाब से काम करें. उन्होंने कहा राजनीतिक पार्टियां खासकर विपक्षी यह उम्मीद करते हैं कि न्यायिक प्रक्रिया उनका समर्थन करेगी और उनके हिसाब से काम करेगी. उन्होंने यह भी कहा कि देश ने अभी भी संविधान की ओर से हर संस्थान को सौंपी गई भूमिकाओं को सही से निभाना नहीं सीखा है.
पेड़ों के नीचे खड़े होकर किया है काम
वकीलों को चैंबर अलॉटमेंट से संबंधित मामले की सुनवाई के दौरान सीजेआई रमन्ना ने एक भावुक टिप्पणी करते हुए वकीलों से कहा था कि आप भाग्यशाली हैं कि आपको चैंबर मिल रहा है, हमने तो बतौर वकील पेड़ों के नीचे खड़े होकर काम किया है.
अमीर लोगों का पेशा माना जाता है कानून
4 सिंतबर 2021 को उनके सम्मान में आयोजित बार काउंसिल ऑफ इंडिया के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीजेआई एन वी रमन्ना ने कहा कि कानून को अक्सर एक अमीर आदमी के पेशे के रूप में देखा जाता है. लेकिन अब धीरे-धीरे स्थिति बदल रही है, अवसर खुल रहे हैं.
सरकारों ने जजों को बदनाम करना शुरू किया
सुप्रीम कोर्ट में छत्तीसगढ़ के प्रमुख सचिव रहे अमन सिंह के खिलाफ दायर एक अपील पर सुनवाई करते हुए सीजेआई रमन्ना ने कहा था कि अब देशभर की सरकारों ने जजों की छवि खराब करना शुरू कर दिया है. जिस जज का फैसला पसंद नहीं आता उसकी छवि बिगाड़ने की कोशिश की जाती है. ऐसा लगातार देखा जा रहा हैं और यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है.
शासक बदलने से खत्म नहीं होता तानाशाही का खतरा
पीडी देसाई मेमोरियल के लिए अपने ऑनलाइन संबोधन में सीजेआई एन वी रमन्ना ने कहा कि शासक का बदल जाना तानाशाही के खतरे के कम होने की गारंटी नहीं होता. इसी संबोधन में सीजेआई ने असहमति और विरोध को लोकतंत्र का अभिन्न हिस्सा बताया था.
बिना उचित बहस के पास हो रहे कानून
15 अगस्त 2021 को सुप्रीम कोर्ट में आयोजित स्वतंत्रता दिवस समारोह को संबोधित करते हुए सीजेआई एन वी रमन्ना ने संसद की कार्यवाही पर चिंता जताते हुए कहा था कि बहस ना होने की वजह से कई ऐसे कानून भी पास हुए जिनमें कुछ कमियां थी. उन्होंने कहा कानून पास करते वक्त संसद में उचित बहस की कमी दिखती है. कानूनों पर बहस ना होने की वजह से भी कोर्ट तक आने वाले मामले बढ़ते हैं. बिना बहस के किसी भी नए कानून के बारे में थाह नहीं ली जा सकती. उसका इरादा और विषयवस्तु पता नहीं चल सकती.
दुर्भाग्य से देश में विपक्ष के लिए भूमिका कम होती जा रही है
जुलाई 2022 में राजस्थान विधानसभा में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीजेआई एन वी रमन्ना ने कहा कि एक मजबूत जीवंत और सक्रिय विपक्ष शासन को बेहतर बनाने में मदद करता है, लेकिन दुर्भाग्य से देश में विपक्ष के लिए भूमिका कम होती जा रही है.
जजों को सोशल मीडिया के दबाव में नहीं आना चाहिए
1 जुलाई 2022 को एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीजेआई ने देश के जजों के लिए कहा था कि जजों को सोशल मीडिया के दबाव में नहीं आना चाहिए. सोशल मीडिया पर जो ट्रेंड करता है वो जरूरी नहीं की सही ही हो. ये भी जरूरी नहीं कि जो बहुमत के लोग सोच रहे है वो सही हो. इसका ये मतलब नहीं की जज सोशल मीडिया या समाज से दूर रहे जजों को सही और गलत का फर्क समझना होगा बिना किसी दबाव में आए.
पुलिस अधिकारियों का जो व्यवहार है उस पर मेरी गहरी आपत्ति है
1 अक्टूबर 2021 को सीनियर पुलिस अधिकारी गुरजिंदर पाल सिंह की तीन अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सीजेआई रमन्ना ने कहा कि देश में स्थिति बेहद दुखद है, जब कोई राजनीतिक दल सत्ता में होता है तो पुलिस अधिकारी एक विशेष दल के साथ होते हैं. फिर जब कोई नई पार्टी सत्ता में आती है तो सरकार उन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू करती है यह एक नया चलन है. जिसे रोकने की सख्त जरूरत है.
सीजेआई ने ब्यूरोक्रेसी पर गंभीर टिप्पणी करते हुए कहा था कि देश भर के ब्यूरोक्रेट्स खासकर पुलिस अधिकारियों का जो व्यवहार है उस पर मेरी गहरी आपत्ति है. सीजेआई ने कहा था कि वह ऐसे पुलिस अधिकारियों और ब्यूरोक्रेट्स के खिलाफ हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक स्टैंडिंग कमेटी बनाने कि सोच रहे हैं जो इस तरह की शिकायतों की जांच करें.
फिर लोकसभा-राज्यसभा की क्या जरूरत
अधिवक्ता और भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सीजेआई रमन्ना ने कहा था कि राजनीतिक विषयों को कोर्ट के सामने लाकर हमारा बोझ बढ़ाया जा रहा है. अब क्या बिल भी हमें ही पास करना होगा.
सीजेआई ने टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर मैं मान जाता हूं कि आपके सारे मामलों पर हम सुनवाई करेंगे और ऑर्डर जारी करेंगे तो फिर लोकसभा-राज्यसभा में राजनीतिक प्रतिनिधियों को चुनकर क्यों लाया जाता है. क्या अब हमें बिल भी पास करना पड़ेगा.
इलेक्ट्रॉनिक मीडिया बिल्कुल जिम्मेदार नहीं
रांची में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीजेआई एन वी रमन्ना ने मीडिया पर तल्ख टिप्पणी की थी. सीजेआई रमन्ना ने कहा कि प्रिंट मीडिया में तो अब भी कुछ हद तक जवाबदेही है, जबकि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में शून्य जवाबदेही है हाल के दिनों में हम देख रहे हैं कि ऐसे मुद्दों पर तक मीडिया में कंगारू कोर्ट लगाए जा रहे हैं जिनके बारे में अनुभवी जजों को भी फैसला लेने में मुश्किल जाती है. न्याय देने संबंधी मुद्दों पर गलत जानकारी वाली और एजेंडा से प्रेरित डिबेट चलाई जाती है. जो लोकतंत्र के स्वास्थ्य के लिए सही नहीं है.
इन दिनों न्यायाधीशों पर शारीरिक हमले बढ़े हैं
नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ स्टडी एंड रिसर्च इन लॉ द्वारा आयोजित जस्टिस एस बी सिन्हा मेमोरियल लेक्चर को संबोधित करते हुए सीजेआई ने कहा था कि हाल के दिनों में जजों पर शारीरिक हमले बढ़ रहे हैं, जजों को उसी समाज में बिना सुरक्षा या सुरक्षा के वायदे के रहना होता है. जिसमें उनके द्वारा दोषी ठहराए गए लोग रहते हैं.
जजों को नहीं मिलती समान सुरक्षा
इसी कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीजेआई ने कहा कि देश राजनेताओं, नौकरशाहों, पुलिस अधिकारियों और अन्य जनप्रतिनिधियों को अक्सर सुरक्षा दी जाती है. ये सभी रिटायर हो जाते हैं फिर भी सुरक्षा दी जाती है. उन्होंने कहा कि विडंबना यह है कि जजों को समान सुरक्षा नहीं दी जाती है.
नेता आते-जाते रहते हैं लेकिन आप स्थायी हैं
1 अप्रैल 2022 को देश की विभिन्न जांच एजेंसियों के अधिकारियों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए सीजेआई एन वी रमन्ना ने डेमोक्रेसी जांच एजेंसियों की भूमिका और जिम्मेदारी विषय पर अपना संबोधन दिया. इस दौरान उन्होंने अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि नेता आते जाते रहते है लेकिन आप स्थायी हैं.
देश के कई मामलों में सीबीआई की कार्रवाई और उसकी निष्क्रियता पर सीजेआई ने कहा था कि भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर पुलिस की छवि तार-तार हो गई है. अक्सर पुलिस अधिकारी हमारे पास आते हैं और कहते हैं कि उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है राजनीतिक प्रतिनिधि तो बदलते रहते हैं, लेकिन आप हमेशा रहेंगे.
सीजेआई ने कहा सामाजिक वैधता की आवश्यकता है और यह राजनीतिक कार्यपालिका से गठजोड़ को तोड़ने से आएगी. संस्था खराब है या उसका नेतृत्व जितना अच्छा है हम या तो प्रवाह के साथ जा सकते हैं या रोल मॉडल बन सकते हैं. नौकरी की प्रकृति आपको दबाव में काम करने के लिए मजबूर करती है.
पूरी प्रक्रिया एक तरह की सजा है
पिछले सप्ताह देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के सम्मान में रखे गये कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीजेआई एन वी रमन्ना ने कहा था कि संविधान सभा में और हमारी संसद के शुरुआती दिनों में सदन में कानूनी पेशेवरों का वर्चस्व था. परिणामस्वरूप हमें उत्कृष्ट संविधान और त्रुटिरहित कानून मिले. आजकल वकीलों की संख्या कम हो गई है और उनकी जगह दूसरों ने ले ली है. मैं आगे कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता.
सेवानिवृत व्यक्ति या जा सेवानिवृत होने जा रहा है, उसकी कोई वैल्यू नहीं
सेवानिवृत से दो दिन पूर्व बुधवार को एक मामले की सुनवाई के दौरान सीजेआई एन वी रमन्ना टिप्पणी करते हुए कहा कि एक व्यक्ति जो सेवानिवृत्त हो गया है या सेवानिवृत्त होने जा रहा है, उसका देश में कोई मूल्य नहीं है.
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