क्या दिल्ली में उपराज्यपाल ही करते हैं सबकुछ? केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में दिया ये जवाब

केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय से कहा है कि दिल्ली में सबकुछ उपराज्यपाल करते हैं, यह अवधारणा गलत है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jan 11, 2023, 10:08 PM IST
  • दिल्ली में सबकुछ उपराज्यपाल करते हैं?
  • केंद्र ने इसे बताया गलत अवधारणा
क्या दिल्ली में उपराज्यपाल ही करते हैं सबकुछ? केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में दिया ये जवाब

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि यह अवधारणा गलत है कि राष्ट्रीय राजधानी में सबकुछ उप राज्यपाल करते हैं और आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार 'प्रतीकात्मक' है.

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पेश की दलील
राष्ट्रीय राजधानी में सेवाओं के नियंत्रण को लेकर केंद्र एवं दिल्ली सरकार के विवाद पर सुनवाई कर रही प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के समक्ष सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील प्रस्तुत कीं.

मेहता ने कहा कि संवैधानिक ढांचा 1992 में प्रभाव में आया था और सबकुछ सौहार्द पूर्वक चल रहा है. वर्ष 1992 में अनुच्छेद 239एए संविधान में शामिल किया गया था जिसमें दिल्ली के संबंध में विशेष प्रावधान हैं. सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि 1992 से आज तक मतभेद का हवाला देते हुए केवल सात मामले राष्ट्रपति को भेजे गये हैं.

'अनुच्छेद 239एए भी दिल्ली पर लागू होता है'
उन्होंने पीठ से कहा, 'किसी देश की राजधानी की हमेशा विशिष्ट स्थिति रही है. मैं इस बात से सहमत हूं कि सामूहिक सिद्धांत का सम्मान होना चाहिए. मैं बताना चाहूंगा कि हम अवधारणा के मामले पर विचार कर रहे हैं, संवैधानिक कानून पर नहीं.'

पीठ में न्यायमूर्ति एम आर शाह, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी, न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा भी शामिल रहे. मेहता ने शीर्ष अदालत के एक फैसले का उल्लेख करते हुए कहा कि अनुच्छेद 239एए (दिल्ली के संदर्भ में विशेष प्रावधान) भी दिल्ली पर लागू होता है.

'उपराज्यपाल हमेशा मंत्रियों की सुनते हैं'
उन्होंने कहा कि जब भी मंत्री उपराज्यपाल से संपर्क कर कहते हैं कि इस व्यक्ति का तबादला यहां से वहां किया जाए तो वे ऐसा कर सकते हैं और उपराज्यपाल हमेशा सुनते हैं. उन्होंने कहा, 'हम अवधारणा पर विचार कर रहे हैं, वास्तविक मुद्दे पर नहीं. इस बात का इससे बेहतर प्रमाण कुछ नहीं हो सकता कि केवल सात मामलों में मतभेद रहे हैं.'

मेहता ने कहा, 'दिल्ली की जनता ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की सरकार (जीएनसीटीडी) में विश्वास जताया है. दिल्ली इस देश का हिस्सा है. यह योजना 1992 से चल रही है और सौहार्दपूर्ण तरीके से चली है.' मामले में सुनवाई गुरुवार को जारी रहेगी.
(इनपुट: भाषा)

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