जब प्रिंस चार्ल्स के स्वागत में अमजद अली खान को प्रधानमंत्री ने भेजा था न्योता, ठंड से बचाने के लिए डायना को पहना दी थी पुरानी शॉल

सरोद वादक अमजद अली खान (Amjad Ali Khan, Birthday) अपना 77वां जन्मदिन मना रहे हैं. ग्वालियर के 'सेनिया बंगश' घराने की छठी पीढ़ी में जन्म लेने वाले अमजद अली खान को संगीत विरासत में मिला.

Written by - Manushri Bajpai | Last Updated : Oct 9, 2022, 09:28 AM IST
  • अमजद अली खान ने डायना को उढ़ाई थी शॉल
  • प्रधानमंत्री के 20 खास महमानों में थे शामिल
जब प्रिंस चार्ल्स के स्वागत में अमजद अली खान को प्रधानमंत्री ने भेजा था न्योता, ठंड से बचाने के लिए डायना को पहना दी थी पुरानी शॉल

नई दिल्ली: मशहूर सरोद वादक अमजद अली खान (Amjad Ali Khan, Birthday) साल 1960 से सरोद वादन से लोगों का दिल जीत रहे हैं, साथ ही देश का मान बढ़ा रहे  हैं. खान साहब को संगीत में प्रतिभा विरासत में मिली है. अमजद अली खान का जन्म ग्वालियर में संगीत के 'सेनिया बंगश' घराने की छठी पीढ़ी में हुआ है. इनके पिता उस्ताद हाफिज अली खान ग्वालियर राज-दरबार में सम्मानजनक संगीतकार थे. खान साहब को भी बचपन से ही संगीत का माहौल मिला. इन्होंने अपनी पहली परफॉर्मेंस 12 साल की उम्र में दी, जिसे सुनने और देखने के बाद बड़े-बड़े संगीतकार सकते में आ गए थे.

प्रिंसेस डायना की मदद की

बात उस समय की है जब देश के प्रधानमंत्री पी.वी.नरसिम्हा राव थे. देश के भ्रमण पर प्रिंसेस डायना और प्रिंस चार्ल्स आए हुए थे. उनके स्वागत में प्रधानमंत्री ने डिनर का ऐयोजन किया था. इस डिनर पर खास 20 लोगों को बुलाया गया था. इन 20 लोगों की लिस्ट में अमजद अली खान का भी नाम शामिल था. इंटरव्यू में इस वाक्ये का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि 'मुझे पता नहीं था कि बहुत ही ख़ास लोगो को बुलाया गया है.

मैं एक पुराना बुज़ुर्गों वाला शॉल लेके निकल गया. वहां पहुँचने पर मुझे अंदाज़ा हुआ कि डिनर सिर्फ़ 20 लोगों के लिए था. आयोजन ओपन एरिया में होने के कारण वहां काफी ठंड हो गयी थी. वहां बैठे लोग इधर उधर कुछ देख रहे थे, मैंने पूछा कि क्या हुआ? तो पता लगा कि डायना को ठंड लग रही है, शॉल चाहिए. पहले तो मैं हिचकिचाया और मेरी हिम्मत भी नहीं हुई कि मैं अपना पुराना शॉल दूँ उन्हें, पर मुझसे देखा नहीं गया और मैंने अपना शॉल उन्हें पहना दिया. उन्होंने मुझे बड़ी विनम्रता से धन्यवाद कहा.

12 साल में दी थी पहली प्रस्तुती

महज 12 वर्ष की उम्र में उन्होंने एकल सरोद वादन की पहली सार्वजनिक प्रस्तुति दी थी. एक छोटे से बालक की सरोद पर अनूठी लयकारी सुन कर दिग्गज संगीतज्ञ दंग रह गए थे.

अमजद अपने पिता के ही शिष्य थे, जिन्होंने सेनिया घराना सरोद वादन में परंपरागत तरीके से यंत्र में दक्षता हासिल की थी. बता दें कि अमजद अली ने शास्त्रीय संगीत में बदलाव किए और वाद्य संगीत की रचना की है.

संगीत के क्षेत्र में है बड़ा योगदान

अमजद अली खान 1963 में पहली बार अमेरिका गए थे. तब वह सिर्फ 18 वर्ष के थे. खान साहब अमेरिका पंडित बिरजू महाराज के नृत्य-दल के साथ सरोद-वादन परफॉर्मेंस देने गए थे.

संगीत के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान के लिए अमजद अली खान को रोस्टम पुरस्कार, यूनेस्को पुरस्कार, कला रत्न पुरस्कार, पद्मश्री, पद्म भूषण, पद्म विभूषण, संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार और तानसेन सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है.

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