नई दिल्ली: कैलाश खेर ऐसे ही भारत की आवाज नहीं बने. एक दौर था जब वो काफी स्ट्रगल कर रहे थे. उन्हें अपने पैशन को समझने में काफी समय लगा. पॉपुलर होने से पहले की जर्नी थकान से भरी थी. इस स्ट्रगल भरे दौर में वो खुद पर डाउट करने लगे थे इस दौरान उन्हें सुसाइड के ख्याल आने लगे. एक इंटरव्यू में उन्होंने इस पूरी घटना को बताया.
कैलाश खेर को हुआ जब डाउट
कैलाश खेर कहते हैं कि 20-21 साल की उम्र में वो जीने के लिए तरह-तरह के काम करने लगे. दिल्ली में एक्सपोर्ट बिजनेस का काम करने लगा. उस वक्त वो जर्मनी हैंडीक्राफ्ट्स भेजा करते थे. जल्द ही बिजनेस भी ठप्प हो गया. कैलाश खेर के मन में पंडित बनने का ख्याल आया. अपनी उम्र के लोगों से कैलाश खेर के विचार बहुत अलग थे.
ऐसे बची थी जान
कैलाश खेर बताते हैं कि मेरे ख्याल किसी से नहीं मिल पाते. हर एक एरिया में मुझे हार मिल रही थी. फिर एक दिन सिंगर ने डिसाइड कर लिया कि वो सुसाइड कर लेंगे. गंगा की धारा में गहरा गोता लगाना चाहते थे. छलांग लगा भी ली कि तभी घाट पर खड़े एक आदमी ने उन्हें देख लिया और छलांग लगाकर बाहर निकाला. आदमी ने पूछा कि जब तैरना नहीं आता तो गया क्यों था?
कमरे में किया खुद को बंद
कैलाश खेर ने भी एकदम से जवाब दिया मरने! उस आदमी ने जोर की टपली मारी. इस पूरी घटना के बाद कैलाश खेर ने खुद को कमरे में बंद कर लिया. खाना भी नहीं खाया. कैलाश खेर अपने सबसे मुश्किल दौर में अकेले बैठकर अपने होने पर सवाल पूछते रहते और भगवान के साथ अपने विचारों को शेयर करते रहते.कैलाश खेर जब आज इसे याद करते हैं और इसे चमत्कार बताते हैं.
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