Irrfan Khan Birthday Special: कुछ नाम से साहब होते हैं कुछ काम से वहीं इरफान तो दोनों ही हैं नाम से भी साहब और काम से भी साहब. इरफान खान का असली नाम बेहद कम लोग जानते हैं. उनका पूरा नाम है साहेबजादे इरफान अली खान. कॉन्वेट स्कूल में जब पढ़ते थे तो पूरे नाम को लोग पचा नहीं पाते. समय बदला, तारीख बदली और साहिबजादे इरफान अली खान में से सिर्फ इरफान ही बचा.
पिता थे शिकारी
इरफान के पिता पैदायशी जमींदार तो थे. लेकिन अपनी जागीरें भाइयों में ही बांट दी. टायर का बिजनेस था लेकिन उसे भी नौकर ही संभालते. शिकार के बेहद शौकीन थे. ऐसे में इरफान को भी अकसर शिकार पर ले जाया करते. इरफान को भले ही बंदूक चलाना आती हो लेकिन कभी शिकार नहीं किया. यहां तक की लाइफ में कभी नॉन वेज भी नहीं खाया. ऐसे में उनके पिता खीझ कर कह देते कि तुम पठान के घर में ब्राह्मण पैदा हो गए हो.
इरफान की जब हुई बोलती बंद
इरफान के घर पर फिल्में देखना अलाउड नहीं था. ऐसा कभी नहीं हुआ कि घरवाले कोई फिल्म दिखाने ले गए हों. राजस्थान के टोंक से जब भी इरफान के अंकल आते तो उन्हें जरूर फिल्म दिखाने ले जाते. कहते हैं कि पहली बार जब स्टेज पर गाना गाने चढ़े तो आवाज ही नहीं निकली. शब्द याद थे सब याद था लेकिन माइक ना उनकी आवाज सुन पाया ना जनता. एक इंटरव्यू के दैरान जब ये किस्सा बताया तो काफी हंसे.
पिता को खोया
19 साल की उम्र में पिता को खोने के बाद इरफान भले ही NSD चले गए लेकिन मां जानती थी कि जिद्दी और सनकी है. जो मन में होगा वहीं करेगा. इरफान की मां ने लगातार प्रेशर बनाया कि पहले निकाह पढ़ लो फिर जो मन आए वो करना. इरफान कहते हैं कि मैं अपने काम को लेकर इतना फोकस्ड था कि उनकी बात नहीं मानी और अपना काम करता गया.
इरफान भले ही हमारे बीच में नहीं है लेकिन जब भी उनके पुराने इंटरव्यू, फिल्में और चर्चाएं सामने आती हैं तो ऐसा लगता है कि आज भी किसी दूसरे ग्रह पर बैठकर किसी नई स्क्रिप्ट की तैयारी कर रहे होंगे. ये पान सिंह तोमर जरूर आज भी किसी दूर गगन में कोई नया इतिहास रच रहा होगा.
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