नई दिल्ली: रामानंद सागर कृत रामायण से हर घर को एक राम मिल गए. वो राम जिनकी तलाश में हर भारतीय है. ये खोज इतनी आसान नहीं थी बड़े पर्दे पर कई लोग राम बन चुके थे लेकिन टीवी पर किसी ने भी इस रोल को निभाने की जहमत नहीं उठाई. अरुण गोविल ने खुद जाकर सागर जी से बात की और राम का किरदार करने की इच्छा जाहिर की. सागर ने उन्हें देखा और रिजेक्ट कर दिया.
अरुण गोविल को मिला किरदार
सिलेक्शन कमेटी ने किसी और को राम चुन लिया था. शूटिंग की डेट भी फिक्स हो गई थी कि तभी अचानक एक दिन दोबारा सागर ने अरुण गोविल को मिलने बुला लिया. एक इंटरव्यू के दौरान अरुण गोविल ने बताया कि सागर जी ने मुझे मिलने के लिए बुलाया
और कहत हैं कि मेरी सिलेक्शन कमेटी ने मुझे बताया कि हमें तेरे वर्गा राम नहीं मिलेगा. इस तरह से आरुण गोविल को ये किरदार मिला.
रामायण ने किया करियर खत्म
रामायण में राम का किरदार निभाने के बाद लोग बार-बार अरुण गोविल को कहते कि इस किरदार ने तो तुम्हारा करियर ही खत्म कर दिया. उनकी इस बात पर अरुण गोविल जवाब देते कि हर सिक्के के दो पहलू हैं.
कुछ अच्छा और कुछ बुरा. खुशी से कहते हैं कि अगर मैं कमर्शियल फिल्में कर रहा होता तो मैं नहीं सोचता कि मेरा नाम आज भी इतना होता जितना रामायण की वजह से है. इतनी इज्जत इतना सम्मान.
राजीव गांधी ने जब दिल्ली बुलाया
अरुण गोविल के चेहरे पर एक आकस्मिक मुस्कान आ जाती है कहते हैं कि लोग जो ये सम्मान देते हैं ये किसी एक्टर के लिए नहीं है बल्कि एक चरित्र के लिए है. मुझे नहीं लगता कि इतनी फिल्में करने के बाद भी मुझे ये सम्मान मिल पाता.
कहते हैं कि उस दौरान राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे और मुझे उनके लिए कैंपेन करने का मौका भी मिला था. उनका एक बार फोन आया और मुझे दिल्ली बुलाया था.
राजनीति के लिए नहीं बना हूं
पीएम आवास जब अरुण गोविल पहुंचे तो राजीव गांधी ने उन्हें फरीदाबाद से बाय इलेक्शन लड़ने का प्रस्ताव दिया. उस वक्त अरुण गोविल ने उनके ऑफर को मना कर दिया. राजीव गांधी को बताया कि अगर वो इलेक्शन लड़ेंगे तो रामायण की शूटिंग नहीं कर पाएंगे और उस वक्त रामायण ऑन एयर था. अरुण गोविल कहते हैं कि उसके बाद भी उन्हें ऐसे कई ऑफर मिले लेकिन वो आज भी सोचते हैं कि वो राजनीति क लिए नहीं बने हैं.
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