Uttarakhand Election: कभी नहीं जीते शिक्षा मंत्री, क्या इस बार टूटेगा ये मिथक?

Uttarakhand Election: उत्तराखंड में अब तक हुए चार विधानसभा चुनाव में कई मिथक बने हैं. इन्हीं में से एक मिथक शिक्षा मंत्रियों के चुनाव हारने का है.  

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Feb 4, 2022, 07:27 AM IST
  • उत्तराखंड में 14 फरवरी को होनी है वोटिंग
  • जो शिक्षा मंत्री रहा, वो अगला चुनाव हारा है
Uttarakhand Election: कभी नहीं जीते शिक्षा मंत्री, क्या इस बार टूटेगा ये मिथक?

 दिल्लीः Uttarakhand Election: उत्तराखंड में पांचवीं विधानसभा के लिए चुनाव होने जा रहे हैं. साल 2000 में अस्तित्व में आए उत्तराखंड में अब तक चार विधानसभा चुनाव हो चुके हैं. चारों चुनाव में कुछ मिथक बनते हुए आए हैं, जो अब तक कायम हैं. इन्हीं में से एक मिथक है शिक्षा मंत्रियों के चुनाव हारने का. उत्तराखंड में अब तक जो भी शिक्षा मंत्री रहा वह अगला चुनाव नहीं जीता.

2002 में तीरथ सिंह हारे

साल 2000 में जब उत्तराखंड अस्तित्व में आया तब भारतीय जनता पार्टी की अंतरिम सरकार बनी. तब तीरथ सिंह रावत को शिक्षा मंत्री बनाया गया. लेकिन, तीरथ सिंह रावत को 2002 के विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा.

2007 में नरेंद्र सिंह को मिली मात

इसके बाद 2002 में कांग्रेस की सरकार बनी तो नारायण दत्त तिवारी मुख्यमंत्री बने. उनकी कैबिनेट में पौड़ी से तीरथ सिंह रावत को हराने वाले नरेंद्र सिंह भंडारी को शिक्षा मंत्री के पद से नवाजा गया. लेकिन, 2007 के विधानसभा चुनाव में नरेंद्र सिंह भंडारी को भी हार का सामना करना पड़ा.

2012 में भी बरकरार रहा मिथक
वहीं, 2007 में बीजेपी ने सूबे की सत्ता में वापसी की. तब पहले गोविंद सिंह बिष्ट तो फिर खजान दास को शिक्षा मंत्री बनाया गया, लेकिन वे 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में जीत हासिल नहीं कर पाए.  

नैथानी भी नहीं तोड़ पाए मिथक

साल 2012 में कांग्रेस ने राज्य में सरकार बनाई और इस बार प्रदेश में शिक्षा मंत्री का पद मंत्री प्रसाद नैथानी ने संभाला. देवप्रयाग से विधायक नैथानी भी इस मिथक को तोड़ नहीं पाए और 2017 के चुनाव में हार गए.

अरविंद पांडे के पास है मौका

अब प्रदेश में शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे हैं. उन्होंने 2017 में उधम सिंह नगर जिले की गदरपुर सीट से चुनाव जीता था और त्रिवेंद्र सिंह, तीरथ सिंह और पुष्कर धामी सरकार में शिक्षा मंत्री रहे. इस बार भी बीजेपी ने उन्हें गदरपुर सीट से मैदान में उतारा है.

चार बार के विधायक हैं अरविंद पांडे

अरविंद पांडे लगातार चार बार के विधायक हैं. दो बार उन्होंने बाजपुर तो दो बार गदरपुर सीट से चुनाव जीता है. इस बार उनके पास न सिर्फ गदरपुर सीट से जीत की हैट्रिक लगाने का मौका है बल्कि शिक्षा मंत्रियों के चुनाव नहीं जीतने का मिथक तोड़ने का भी अवसर है.

कांग्रेस के प्रेमानंद महाजन से मिलेगी टक्कर

हालांकि, उन्हें गदरपुर सीट से कांग्रेस प्रत्याशी प्रेमानंद महाजन से टक्कर मिलेगी. प्रेमानंद महाजन 2002 और 2007 में इस सीट से बसपा के टिकट पर चुनाव जीत चुके हैं.

लेकिन, यह 10 मार्च को चुनाव परिणाम वाले दिन ही पता लग पाएगा कि अरविंद पांडे इस मिथक को तोड़ पाने में सफल रहते हैं या 2022 के विधानसभा चुनाव में भी यह मिथक बरकरार रहता है.

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