नई दिल्ली: Ram Manohar Lohia Vs Jawaharlal Nehru: लोकसभा चुनाव की घोषणा हो चुकी हैं. कई प्रत्याशियों ने नामांकन भी दाखिल कर दिया है. चुनाव प्रचार भी जोर पकड़ रहा है. प्रचार के लिए अब भतेरे साधन हो चुके हैं. लेकिन पुराने समय में प्रत्याशी संसाधनों के अभाव में चुनाव लड़ा करते थे. कोई पैदल प्रचार करने निकल जाता, तो कोई ऊंट पर बैठकर गांव-गांव जाकर वोट मांगता था. विरले ही नेता होते थे, जिनके पास प्रचार के लिए मोटरसाइकिल या जीप हुआ करती थी. इसी से जुड़ा 1962 का एक किस्सा है, जो आज के दौर में याद करना जरूरी लगता है.
नेहरू ने फूलपुर से लड़ा चुनाव
साल 1962 में लोकसभा चुनाव हो रहे थे. पंडित जवाहरलाल नेहरू देश के प्रधानमंत्री हुआ करते थे. तब वे देश के सबसे पॉपुलर लीडर थे. हालांकि, नेहरू चाहते थे कि विपक्ष हमेशा मजबूत रहे, उनकी गलतियों को उजागर करे. इसका नमूना तब देखने को मिला जब उन्होंने यूपी की फूलपुर सीट पर अपने ही विरोधी की मदद कर दी थी.
सामने उतरे डॉ लोहिया
1962 के चुनाव में नेहरू के सामने फूलपुर लोकसभा सीट पर सोशलिस्ट पार्टी के डॉ. राम मनोहर लोहिया चुनाव लड़ रहे थे. लोहिया समाजवादी नेता हुआ करते थे, जो नेहरू के मुख्य विरोधी थे. हालांकि, वे भी नेहरू की तरह ही गांधीवादी थे. लोहिया ने जर्मनी से पीएचडी की थी. लोहिया इस बात से नाखुश थे कि कांग्रेस बंटवारा नहीं रोक पाई. लिहाजा, वे नेहरू के खिलाफ खूब भाषण दिया करते थे, उनका विरोध किया करते थे.
'मत लड़ो, हार जाओगे'
डॉ. राम मनोहर लोहिया के करीबियों ने उन्हें सलाह दी थी कि वे फूलपुर से चुनाव न लड़ें, हार जाएंगे. लेकिन लोहिया अपने इरादों के पक्के थे. लोहिया ने कहा कि चाहे कुछ भी हो जाए, नेहरू की नीतियों का विरोध करते हुए मैं फूलपुर से ही चुनाव लडूंगा. विरोधियों ने भी लोहिया के इस हौसले की दाद दी.
नेहरू ने दी जीप
PM जवाहर लाल नेहरू जीप में सवार होकर चुनाव प्रचार किया करते थे. जबकि दूसरी तरफ लोहिया तांगे पर वोट मांगने जाते थे. नेहरू को इसकी खबर लगी. उन्होंने लोहिया के लिए तुरंत एक जीप और करीब 25 हजार रुपये भेजे. लोहिया ने जीप वापस लौटा दी. वे खुद्दार आदमी थे. हालांकि, कहते हैं कि पैसे चुनाव में खर्च हो गए थे. लेकिन नेहरू की ऐसी दरियादिली के चर्चे पूरे देश में हुए.
नेहरू ने जीता चुनाव
जैसा की पहले से कयास थे, नतीजे जवाहर लाल नेहरू के पक्ष में रहे. नेहरू को फूलपुर लोकसभा सीट पर 1.18 लाख के करीब वोट मिले. जबकि लोहिया को 54 हजार मत ही मिले. नेहरू 64 हजार वोटों के अंतर से चुनाव जीत गए.
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