नई दिल्ली: कर्नाटक विधानसभा चुनाव में इस बार कई बड़े और दिग्गज नेताओं की बगावत से परेशान भाजपा अब भीतरघात और टिकट नहीं मिलने वाले नेताओं की निष्क्रियता की आशंका को लेकर भी सतर्क हो गई है. भाजपा की कोशिश है कि जो भी नेता पार्टी में हैं, वे पूरी ताकत और इच्छा के साथ पार्टी द्वारा घोषित उम्मीदवारों को जिताने के लिए काम करें. इसलिए पार्टी आलाकमान ने कर्नाटक नेताओं को दो टूक अंदाज में यह सख्त संदेश दे दिया है कि मिशन साउथ को कामयाब बनाने के लिए भाजपा का कर्नाटक चुनाव जीतना बहुत जरूरी है.
मिशन साउथ को कामयाब बनाने के लिए कर्नाटक की जीत जरूरी
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, पार्टी के टॉप थ्री नेताओं में से एक दिग्गज नेता और चुनावी रणनीतिकार ने उम्मीदवारों की घोषणा हो जाने के बाद हाल ही में कर्नाटक भाजपा नेताओं और चुनावी मिशन में लगे नेताओं की उच्चस्तरीय बैठक को संबोधित करते हुए स्पष्ट तौर पर पार्टी आलाकमान की सोच से अवगत कराते हुए यह बता दिया कि इस वर्ष के अंत तक होने वाले पड़ोसी राज्य तेलंगाना में के. चन्द्रशेखर राव की सरकार को हराने के लिए भाजपा का कर्नाटक जीतना बहुत जरूरी है. उन्होंने यह साफ तौर पर कहा कि पार्टी के मिशन साउथ को देखते हुए कर्नाटक का यह चुनाव 'अति महत्वपूर्ण' हो गया है.
पार्टी के सूत्रों की मानें तो सिटिंग विधायकों के टिकट काटने के पार्टी के फैसले को पूरी तरह से उचित ठहराते हुए इन दिग्गज नेता ने बैठक में यह भी कहा कि कुछ सिटिंग विधायकों का टिकट काटना बहुत जरूरी था. इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अगर इस बार कर्नाटक का यह चुनाव जीत गए तो फिर भाजपा के लिए दक्षिण का रास्ता स्थायी तौर पर हमेशा के लिए खुल जाएगा.
कर्नाटक के साथ-साथ दक्षिण भारत पर बीजेपी की नजर
बता दें कि दक्षिण भारत के राज्यों में कर्नाटक को भाजपा के लिए सबसे मजबूत राज्य माना जाता है, जहां वो पहले भी कई बार सरकार बना चुकी है और अभी भी राज्य की सत्ता में है. अगले वर्ष 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा के लिए कर्नाटक के साथ-साथ दक्षिण भारत के अन्य राज्य- तेलंगाना, तमिलनाडु, केरल और आंध्र प्रदेश काफी महत्वपूर्ण हो गए हैं.
गौरतलब है कि दक्षिण भारत के कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और पुड्डुचेरी में मिलाकर लोकसभा की कुल 130 सीटें हैं, जिनमें से भाजपा के पास फिलहाल 29 सीटें ही हैं और इसमें से भी 25 सीटें उसे अकेले कर्नाटक से ही मिली है, जबकि तेलंगाना से उसके पास चार सांसद है. यही वजह है कि पार्टी कर्नाटक के गढ़ को मजबूत बनाए रखने के साथ ही दक्षिण भारत के अन्य राज्यों में भी पार्टी का खाता खोलने की पुरजोर कोशिश कर रही है.
(इनपुट- आईएएनएस)
इसे भी पढ़ें- मणिपुर BJP में भगदड़! 12 दिनों में 4 विधायकों का इस्तीफा, सीएम एन बीरेन सिंह का क्या होगा?