नई दिल्ली: हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व होता है. इस साल पितृ पक्ष 17 सितंबर को शुरू होगा. पितृ पक्ष के दौरान लोग अपने पितरों का तर्पण करते हैं, श्राद्ध में कौवों को भोजन कराया जाता है. आइए जानते हैं श्राद्ध में कौवे को क्यों खाना खिलाते हैं.
क्यों खिलाते हैं खाना
पौराणिक कथा के अनुसार एक बार भगवान राम और मां सीता के साथ वनवास में थे. उस समय देवराज इंद्र के पुत्र एक कौवे के रुप में भगवान राम की कुटिया के पास गए थे. उन्होंने देखा कि श्री राम सो रहे थे मां सीता उनके चरण दबा रही थीं. कौवे के रूप में देवराज इंद्र के पुत्र ने माता सीता ने धैर्य की परीक्षा लेने की उत्सुकता में मां सीता के पैर को चोंच से घायल कर देते हैं. मां सीता के पैर से खून बह रहा था लेकिन इसके बाद भी मां सीता कुछ नहीं बोली, लेकिन श्री राम की नींद खुल गई.
कौवो की मृत्यु
भगवान राम ने जब मां सीता को घायल देखा तो उन्होंने कौवे के मारने के लिए अपना धनुष निकाल लिया. नोक वाल मृत्यु बाण छोड़ा, देवराज इंद्र के बेटे को अपनी गलती का एहसास होता है वह श्री राम और मां सीता से माफी मांगता है.
मुक्ति का मोक्ष
श्री राम ने कौवे को माफ करते हुए वरदान दिया है कि कौवों को अपना हर जन्म याद आएगा. कौवों के माध्यम से कई भी इंसान अपने पूर्वजों को मुक्ति या मोक्ष की प्राप्ति दिला पाएगा. श्राद्ध कर्म के बाद कौवों को भोजन कराने से पितृ प्रसन्न होते हैं. वनवास के बाद राम जी ने पिता दशरथ का श्राद्ध करना था, तब मां ने कौवे की सहायता से ससुर दशरथ जी का तर्पण एंव श्राद्ध कर्म किया था. तब से यह परंपरा चल रही है.
(Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Bharat इसकी पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.)
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